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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2023

  • 29 Mar 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

CSE, DTE, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक अपशिष्ट, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, लैंडफिल

मेन्स के लिये:

भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2023

चर्चा में क्यों?

विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (Centre for Science and Environment- CSE) तथा डाउन टू अर्थ (DTE) पत्रिका ने हाल ही में भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी की, जिसमें जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं उद्योग के साथ-साथ जल, प्लास्टिक, वन एवं जैवविविधता सहित विभिन्न विषयों के आकलन की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।

  • रिपोर्ट का प्रकाशन वार्षिक तौर पर किया जाता है, जो जलवायु परिवर्तन, प्रवासन, स्वास्थ्य एवं खाद्य प्रणालियों पर केंद्रित है। इसमें जैवविविधता, वन एवं वन्य जीवन, ऊर्जा, उद्योग, आवास, प्रदूषण, अपशिष्ट, कृषि और ग्रामीण विकास भी शामिल हैं।
  • CSE नई दिल्ली में स्थित एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक हित अनुसंधान संगठन (Advocacy) है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • अतिक्रमण:
    • देश में 30,000 से अधिक जल निकायों पर अतिक्रमण किया गया है और भारत प्रतिदिन 150,000 टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) उत्पन्न कर रहा है, जिनमें से आधे से अधिक या तो लैंडफिल में फेंक दिया जाता है या अनुपयुक्त पड़ा रहता है।
  • वायु प्रदूषण:
    • भारत में वायु प्रदूषण के कारण जीवन की औसत अवधि 4 वर्ष और 11 माह कम हो जाती है।
    • वायु प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों के कारण शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण भारत में जीवन की औसत अवधि के अधिक वर्ष कम हो रहे हैं।
    • ग्रामीण भारत को 35% अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की आवश्यकता है।
  • पर्यावरणीय अपराध:
    • पर्यावरणीय अपराध बेरोकटोक जारी हैं और लंबित मामलों को निपटाने के लिये न्यायालयों को प्रतिदिन 245 मामलों पर निर्णय देने की आवश्यकता है।
  • चरम मौसमी घटनाएँ:
    • जनवरी और अक्तूबर 2022 के बीच भारत ने 271 दिनों में चरम मौसमी घटनाओं को देखा।
    • इन चरम मौसमी घटनाओं ने 2,900 से अधिक लोगों की जान ले ली।
  • सतत् विकास लक्ष्य:
    • पिछले पाँच वर्षों में संयुक्त राष्ट्र-अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को प्राप्त करने में भारत की वर्ष 2022 की वैश्विक रैंकिंग में नौ स्थानों की गिरावट दर्ज की गई है, जो अब 121वें स्थान पर है।
    • भारत चार दक्षिण एशियाई देशों बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और नेपाल से नीचे है।
      • भारत सतत् विकास लक्ष्य- 2 (भुखमरी से मुक्ति), सतत् विकास लक्ष्य- 3 (लोगों हेतु स्‍वास्‍थ्‍य और आरोग्यता), सतत् विकास लक्ष्य- 5 (लैंगिक समानता) एवं सतत् विकास लक्ष्य- 11 (संवहनीय शहरी तथा सामुदायिक विकास) सहित 17 सतत् विकास लक्ष्य में से 11 में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट:
    • भले ही प्लास्टिक अपशिष्ट की समस्या का पैमाना अभी भी बहुत बड़ा है, फिर भी कई नीतियाँ और तात्कालिकता सही दिशा में हैं।
    • शहर प्लास्टिक के उपयोग को कम कर रहे हैं, स्रोत पर अपशिष्ट को अलग करना और आय का साधन बनाने हेतु अपशिष्ट का पुन: उपयोग एवं पुनर्चक्रण करना सीख रहे हैं।
  • कृषि:
    • कृषि क्षेत्र में पारंपरिक और पुनर्योजी कृषि पद्धतियों की प्रभावशीलता के प्रमाण देखे जा सकते हैं।
    • वनों और जैवविविधता के मुद्दे देखें तो वनों को हो रहा नुकसान एक सर्वविदित सत्य है, लेकिन साथ ही अधिक-से-अधिक समुदाय वनों पर अधिकार की मांग कर रहे हैं और इससे भी अधिक चिंता का विषय यह है कि उन्हें ये अधिकार दिये जा रहे हैं।

सिफारिशें:

  • हमें एक सर्वसहमति-आधारित बुनियादी कार्यक्रम की आवश्यकता है जो सभी देशों को दो सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक समस्याओं से निपटने हेतु एकजुट करता हो, वे समस्याएँ हैं- वर्तमान में हम जिस अस्तित्त्व संबंधी संकट का सामना कर रहे हैं उससे कैसे बचा जाए और एक न्यायसंगत तथा समावेशी विश्व व्यवस्था कैसे बनाई जाए।
  • महामारी संधि इस दिशा में एक स्वागत योग्य कदम हो सकता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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