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शासन व्यवस्था

कचरा मुक्त शहरों का स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल

  • 29 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्वच्छ भारत मिशन, स्वच्छ सर्वेक्षण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कचरा मुक्त शहर।

मेन्स के लिये:

भारत में स्वच्छता और इसका महत्त्व, स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल, कचरा।

चर्चा में क्यों?

सुशासन दिवस की पूर्व संध्या पर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने 'कचरा मुक्त शहरों का स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल- टूलकिट 2022' लॉन्च किया।

  • यह कचरा प्रबंधन का सबसे महत्त्वपूर्ण शासकीय उपकरण है- कचरा मुक्त शहरों के लिये स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल।
  • संशोधित प्रोटोकॉल में प्रमाणन के लिये आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया को सरल और पूरी तरह से डिजिटल, पेपरलेस बनाया गया है।
  • सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी), क्षमता निर्माण, अपशिष्ट उप-उत्पादों की बिक्री के राजस्व से संबंधित नए घटकों को शहरों की अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को मज़बूत करने एवं एक स्वच्छ पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने के लिये जोड़ा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • MoHUA द्वारा ‘स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल’ वर्ष 2018 में शुरू किया गया था ताकि शहरों को कचरा मुक्त स्थिति प्राप्त करने के लिये एक तंत्र को संस्थागत रूप दिया जा सके और शहरों को स्थायी स्वच्छता संबंधी उच्च क्षमता प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया जा सके।
    • कचरा मुक्त शहरों के लिये हाल ही में संपन्न प्रमाणन अभ्यास में लगभग 50% यूएलबी (शहरी स्थानीय निकाय- 2,238 शहर) ने प्रमाणन अभ्यास में भाग लिया, जिनमें से कुल 299 शहरों को प्रमाणित किया गया है।
      • 9 शहरों को 5-स्टार, 143 शहरों को 3-स्टार और 147 शहरों को 1-स्टार का दर्जा दिया गया है।
      • अक्तूबर 2021 में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 को "कचरा मुक्त शहर" (GFC) बनाने के लिये लॉन्च किया गया था, जिससे भारत को समग्र स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के एक पारिस्थितिकी तंत्र की ओर विकास के एक नए प्रक्षेपवक्र पर रखा गया।
    • यह उन विभिन्न पहलों में से एक है जिसका उद्देश्य स्वच्छ भारत मिशन-शहरी को एक सफल परियोजना बनाना है।
  • मानदंड:
    • यह 12 मापदंडों पर आधारित है जो एक स्मार्ट फ्रेमवर्क का पालन करते हैं- जैसे एकल मीट्रिक, मापने योग्य, प्राप्त करने योग्य, कठोर सत्यापन तंत्र और परिणाम लक्षित।
      • स्टार रेटिंग की स्थिति को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि शहर धीरे-धीरे एक मॉडल (7-स्टार) शहर में विकसित हो सकें, जिसमें उनकी समग्र स्वच्छता में प्रगतिशील सुधार हो।
    • यह एक व्यापक ढाँचा है जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के 23 विभिन्न घटकों में शहरों का आकलन करता है और प्राप्त कुल अंकों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

प्रक्रिया:

  • स्टार रेटिंग एक निश्चित स्टार रेटिंग प्राप्त करने हेतु स्व-मूल्यांकन (Self-Assessment) और स्व-सत्यापन (Self-Verification) पर आधारित है। यह स्व-घोषणा (Self-Declaration) की पारदर्शी प्रणाली हेतु नागरिक समूहों की भागीदारी भी सुनिश्चित करती है।
  • इसके अलावा स्व-घोषणा को MoHUA द्वारा नियुक्त एक तृतीय स्वतंत्र पक्ष एजेंसी के माध्यम से सत्यापित किया जाता है।

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  • महत्त्व:
    • स्वच्छ सर्वेक्षण सरकार द्वारा किया जाने वाला वार्षिक शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण है।
    • स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के तहत शहरों का प्रदर्शन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्वच्छ सर्वेक्षण में उनके अंतिम मूल्यांकन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
    • यह ढांँचे में परिभाषित पूर्वापेक्षाओं के एक सेट (Set of Prerequisites) के माध्यम से स्वच्छता के कुछ न्यूनतम मानकों को भी सुनिश्चित करता है।
    • चूंकि रेटिंग का निर्धारण शहर के स्तर पर किया जाता है, इससे प्रक्रिया को लागू करना आसान हो जाता है और शहरों को उनकी समग्र स्वच्छता में सुधार करने में मदद मिलती है।
    • रेटिंग प्रोटोकॉल एक परिणाम आधारित उपकरण है जो MoHUA और अन्य हितधारकों को इस एकल रेटिंग के आधार पर शहरों का मूल्यांकन करने में मदद करता है।

भारत में कचरा

  • भारत विश्व में सर्वाधिक कचरा उत्पन्न करता है (जनवरी 2020 तक प्रतिदिन 147,613 मीट्रिक टन (एमटी) ठोस कचरा उत्पन्न), जो कि चीन से भी अधिक है लेकिन वर्तमान में भारत और चीन दोनों द्वारा उत्पन्न प्रति व्यक्ति कचरा विकसित देशों द्वारा उत्पन्न कचरे का एक छोटा सा ही अंश है।
    • भारतीय शहरों में प्रति व्यक्ति अपशिष्ट उत्पादन प्रतिदिन 200 ग्राम से 600 ग्राम तक होता है। नगरपालिका द्वारा लगभग 75-80% कचरा ही एकत्र किया जाता है और इस कचरे का केवल 22-28% ही संसाधित और उपचारित होता है।
    • यह अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत का कचरा उत्पादन दोगुना हो जाएगा, जबकि चीन के अपशिष्ट उत्पादन में बहुत धीमी वृद्धि होगी। 
  • संबंधित पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी 

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