भगदड़ का प्रबंधन | 28 Dec 2024

प्रिलिम्स के लिये:

हाइपोक्सिया, हाइपरकेपनिया, कुंभ मेला, NDMA, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, LiDAR। 

मेन्स के लिये:

आपदा प्रबंधन, भगदड़ से निपटने की रणनीति।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, एक तेलुगु अभिनेता की अचानक उपस्थिति के कारण हैदराबाद में भगदड़ मच गई, जिससे भारत में भीड़ प्रबंधन और भगदड़ से संबंधित मुद्दे फिर से चिंता का विषय बना हुआ है।

भगदड़ क्या है?

  • भगदड़: भगदड़ लोगों या जानवरों की अचानक, अनियंत्रित भीड़ है, जो आमतौर पर घबराहट, डर या उत्तेजना से उत्पन्न होती है। 
    • यह भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में होता है, जहाँ लोगों का उच्च घनत्व आवाजाही को प्रतिबंधित करता है, जिससे अराजकता और संभावित हताहतों की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • कारण: भगदड़ मानव, बुनियादी ढाँचे और संगठनात्मक कारकों के कारण होती है।
  • मानव परिबल:
    • घबराहट या भय: अचानक भय (जैसे, आग, विस्फोट या खतरे का आभास) सामूहिक उन्माद (अनियंत्रित भय या चिंता) उत्पन्न कर सकता है।
    • उत्साह या उल्लास: अत्यधिक उत्साह, जैसे कि संगीत समारोहों या समारोहों के दौरान, नियंत्रण खोने का कारण बन सकता है।
    • अधीरता या आक्रामकता: लंबे इंतजार, देरी या सीमित पहुँच बिंदुओं के कारण निराशा के कारण लोग धक्का-मुक्की कर सकते हैं।
  • खराब बुनियादी ढाँचा: 
    • भीड़भाड़: अपर्याप्त स्थान से कुचलने का खतरा बढ़ जाता है।
    • अपर्याप्त सुविधाएँ: संकीर्ण रास्ते, अवरुद्ध निकास मार्ग या अवरोधों का अभाव बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।
    • प्रतिकूल परिस्थितियाँ: असमान जमीन, फिसलन भरा फर्श और मंद रोशनी से गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
  • संगठनात्मक कारक:
    • अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन: भीड़ को नियंत्रित करने या निर्देशित करने के लिये प्रशिक्षित कर्मियों की कमी।
    • अपर्याप्त योजना: खराब स्थल डिज़ाइन, सीमित प्रवेश/निकास बिंदु, या अपर्याप्त आपातकालीन योजना।
    • संचार में विफलता: स्पष्ट निर्देशों के अभाव से भ्रम और घबराहट उत्पन्न होती है।
  • मौत का कारण: भगदड़ के दौरान छाती पर पड़ने वाले दबाव से डायाफ्राम (फेफड़ों का आधार) की सिकुड़ने और फैलने की क्षमता सीमित हो जाती है। शरीर कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने या पर्याप्त हवा में सांस लेने में असमर्थ हो जाता है।
    • इससे हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) और हाइपरकेपनिया (कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता) उत्पन्न होती है, जो दोनों ही जीवन के लिये खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न करती हैं।
  • प्रभाव: 
    • भौतिक प्रभाव: भगदड़ से मृत्यु दर बहुत अधिक बढ़ सकती है। लोगों की अक्सर में धक्का मुक्की बढ़ जाती है, जिससे चोट, फ्रैक्चर और हड्डियाँ टूट जाती हैं।
    • मनोवैज्ञानिक प्रभाव: भगदड़ से बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक आघात, अभिघात-पश्चात तनाव विकार (PTSD), चिंता, घबराहट के दौरे और दीर्घकालिक भावनात्मक आघात का अनुभव हो सकता है।
    • कानूनी प्रभाव: किसी बड़ी भगदड़ के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों के लिये सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिये सख्त नियमों और बेहतर भीड़ प्रबंधन की मांग उठ सकती है।
    • बुनियादी ढाँचे पर प्रभाव: यह बाधाओं और इमारतों सहित भौतिक बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे मरम्मत एवं उन्नयन की लागत काफी बढ़ सकती है।

भारत में भगदड़ संबंधी घटनाएँ:

  • हाथरस (2024): उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में कम-से-कम 121 लोग मारे गए, जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ और बच्चे थे।
  • मुंबई में फुटओवर ब्रिज (2017): भीड़भाड़ के दौरान भगदड़ में 22 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • इलाहाबाद रेलवे स्टेशन (2013): कुंभ मेले के दौरान प्लेटफार्म परिवर्तन के कारण 36 लोगों की मृत्यु हो गई
  • नैना देवी मंदिर (2008): हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भूस्खलन की अफवाह के कारण मची भगदड़ में लगभग 145 हिंदू तीर्थयात्री मारे गए ।
  • मंधारदेवी मंदिर (2005): महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में 265 से अधिक हिंदू श्रद्धालुओं की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए ।

भगदड़ को नियंत्रित करने के लिये NDMA के दिशा-निर्देश क्या हैं?

  • बुनियादी ढाँचे का विकास: आयोजन स्थल में बड़ी भीड़ का प्रबंधन, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों और संकीर्ण रास्तों जैसे आपदा-प्रवण क्षेत्रों में सुनिश्चित करना।
    • सामान्य, पहुँच और आपातकालीन यातायात के लिये अलग-अलग मार्गों को प्रोत्साहित करने से बच्चों, बुजुर्गों और विकलांगों जैसे कमज़ोर समूहों के आवागमन को प्रबंधित करने में मदद मिलती है।
  • घबराहट प्रबंधन: अफवाहों या अचानक घटित घटनाओं (जैसे, तेज आवाज) जैसी घटनाओं के मामले में, NDMA भगदड़ को रोकने के लिये प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा त्वरित हस्तक्षेप की सलाह देता है।
  • भीड़ नियंत्रण: NDMA भीड़ नियंत्रण के लिये समुदाय-आधारित दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जो केवल बल पर निर्भर रहने के बजाय स्पष्ट संचार और समझ पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • मांग प्रबंधन: इसमें ऐतिहासिक भीड़ डेटा, आगमन पैटर्न और पीक अवधि का विश्लेषण करना शामिल है। पहले से टिकट बुक कराने या पंजीकरण कराने से लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • अग्नि सुरक्षा: NDMA ने आग से बचाव के लिये सुरक्षित विद्युत वायरिंग, एलपीजी सिलेंडर के उपयोग की निगरानी, तथा आतिशबाजी के प्रयोग में सावधानी बरतने जैसी सावधानियों पर ज़ोर दिया है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) 

  • NDMA के बारे में: भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला NDMA आपदाओं के प्रबंधन के लिये देश का सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
  • स्थापना और उद्देश्य: प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिये राज्य और ज़िला दोनों स्तरों पर संस्थागत तंत्र बनाने हेतु आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत इसकी स्थापना की गई थी ।
  • ज़िम्मेदारियाँ: NDMA को आपदा प्रबंधन के लिये नीतियाँ, योजनाएँ और दिशा-निर्देश तैयार करने का कार्य सौंपा गया है, जिसमें रोकथाम, शमन, तैयारी और प्रतिक्रिया पर ज़ोर दिया जाता है।
  • विज़न और लक्ष्य: प्राधिकरण का लक्ष्य सक्रिय दृष्टिकोण और सतत् विकास रणनीतियों के माध्यम से एक सुरक्षित और आपदा-प्रतिरोधी भारत का निर्माण करना है।

आगे की राह:

  • लाइव क्राउड ट्रैकिंग: भीड़ को ट्रैक करने के लिये थर्मल और LiDAR सेंसरों को तैनात करना, भीड़ की भविष्यवाणी करने और प्रारंभिक चेतावनी देने के लिये AI मॉडल में डेटा फीड करना।
  • संचार उपकरण: प्रतीक्षा समय, निकासी मार्ग और कई भाषाओं में जानकारी दिखाने वाले इंटरैक्टिव डिस्प्ले स्थापित करना।
  • प्रकाश व्यवस्था और मार्ग प्रणालियाँ: भीड़-उत्तरदायी प्रकाश व्यवस्था लागू करें जो गति को निर्देशित करने या स्थितियों को शांत करने के लिये घनत्व के आधार पर चमक एवं रंग को समायोजित करती है।
    • आपातकालीन स्थिति के दौरान कम रोशनी में दिशा दिखाने के लिये अधिक चमकने वाले बायोल्यूमिनसेंट मार्गों का उपयोग कीजिये।
  • जन जागरूकता और शिक्षा: बड़े समारोहों में भीड़ सुरक्षा प्रोटोकॉल और उचित व्यवहार के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिये अभियान शुरू करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भगदड़ के प्रमुख कारणों पर चर्चा करें तथा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी उपाय सुझाएँ।

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न    

मेन्स:  

प्रश्न: आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020)