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शासन व्यवस्था

आपदा प्रबंधन और भगदड़

  • 08 Jul 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (RFID)

मेन्स के लिये:

आपदा प्रबंधन, भगदड़ प्रबंधन चुनौतियों से निपटने की रणनीति।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में देश ने उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में एक और दुखद भगदड़ देखी जिसमें 100 से अधिक लोगों की जान चली गई।

  • यह विनाशकारी घटना पिछले दो दशकों में देश भर में धार्मिक समारोहों और त्योहारों के दौरान हुई ऐसी ही त्रासदियों की लंबी सूची में शामिल हो गई है।
  • ये घटनाएँ सीमित स्थानों में बड़ी भीड़ को प्रबंधित करने की मौजूदा चुनौतियों को उजागर करती हैं और बेहतर सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

भगदड़ क्या होती है?

  • परिचय: भगदड़ भीड़ का एक आवेगपूर्ण सामूहिक आंदोलन है जिसके परिणामस्वरूप लोग अक्सर घायल और उनकी मौतें होती हैं। यह अक्सर किसी खतरे की आशंका, भौतिक स्थान की हानि और संतुष्टिदायक कुछ पाने की सामूहिक इच्छा के कारण होता है।
  • भगदड़ के दो मुख्य प्रकार हैं: एकदिशात्मक भगदड़ तब होती है जब एक ही दिशा में चलती भीड़ को बल में अचानक परिवर्तन का सामना करना पड़ता है, जो अचानक रुकने जैसी शक्तियों या टूटे हुए अवरोधों जैसी नकारात्मक शक्तियों के कारण उत्पन्न होता है।
    • अशांत भगदड़ तब होती है जब भीड़ अनियंत्रित हो, अथवा भीड़ कई दिशाओं से आ जाए।
  • भगदड़ में मृत्यु: भगदड़ के कारण निम्नलिखित प्रकार से मृत्यु हो सकती है:
    • अभिघातजन्य श्वासावरोध: यह सबसे आम कारण है जो वक्ष या ऊपरी पेट के बाहरी दबाव के कारण होता है। यह 6-7 लोगों की मध्यम भीड़ में भी हो सकता है जो एक दिशा में धक्का दे रहे हो।
    • अन्य कारण: मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा), आंतरिक अंगों को प्रत्यक्ष रूप से दमित करने वाली चोटें, सिर की चोटें और गर्दन का संपीड़न।
  • भगदड़ में योगदान देने वाले कारक:
    • मनोवैज्ञानिक कारक: भगदड़ का प्राथमिक कारक या प्रवर्द्धक घबराहट है।
      • इसमें आपात स्थितियों में सहयोगात्मक व्यवहार का अभाव शामिल है। घबराहट पैदा करने वाली स्थितियों में, सहयोगात्मक व्यवहार शुरुआत में लाभकारी होता है किंतु सहयोगात्मक व्यवहार में ह्रास के साथ वैयक्तिक अस्तित्व की प्रवृत्ति प्रबल हो जाती है और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • पर्यावरण और संरचनात्मक तत्त्व:
      • प्रकाश की उचित व्यवस्था का अभाव।
      • भीड़ के प्रवाह का अनुचित प्रबंधन (विभिन्न समूहों के लिये भीड़ के प्रवाह को नियोजित करने में विफलता)।
      • बैरियर अथवा भवनों का ढहना।
      • बाहर निकलने या निकासी मार्गों का अवरुद्ध होना।
      • आग का खतरा।
      • भीड़ का अधिक घनत्व (जब घनत्व प्रति वर्ग मीटर 3-4 व्यक्तियों हो)। इस घनत्व की स्थिति में भवन से लोगों के निकास में लगने वाला समय बढ़ जाता है, जिससे घबराहट और भगदड़ का जोखिम उत्पन्न होता है।

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  • भगदड़ का प्रभाव:
    • मनोवैज्ञानिक अभिघात: जीवित बचे व्यक्तियों और साक्षियों को दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक अभिघात का सामना करना पड़ सकता है जिसमें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) शामिल है।
    • आर्थिक परिणाम: भगदड़ मुख्य रूप से आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों को प्रभावित करती है, जिससे परिवार में आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है और समुदाय में आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं।
      • मृत व्यक्तियों के चिकित्सा व्यय, मुआवज़ा, कानूनी लागत और चोटों के कारण देश की आर्थिक उत्पादकता में कमी आती है।
    • सामाजिक प्रभाव: भगदड़ जैसे घटनाओं से जनमानस का इवेंट आयोजकों और अधिकारियों में विश्वास की कमी, सामाजिक अशांति और दोष, और समुदाय के मनोबल तथा सामंजस्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
      • ऐसे परिणामों के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं, जिसके लिये अंतर्निहित मुद्दों को संबोधित करने और इसी तरह की घटनाओं को रोकने के प्रयासों की आवश्यकता होती है।
    • बुनियादी ढाँचे पर प्रभाव: यह भौतिक बुनियादी ढाँचे जैसे कि बैरियर और भवनों को क्षति पहुँचा  सकता है। बुनियादी ढाँचे की मरम्मत और उन्नयन से जुड़ी लागतों का वहन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

भारत में पहले हुई घातक भगदड़ों की परिस्थितियाँ क्या थीं?

  • माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल (2022): कश्मीर में एक हिंदू तीर्थयात्रा के दौरान भीड़ उमड़ने से 12 लोगों की मृत्यु हुई।
  • मुंबई पैदल यात्री पुल (2017): भीड़भाड़ के समय भगदड़ में 22 लोगों की मृत्यु हुई।
  • वाराणसी पुल (2016): धार्मिक समारोह के लिये भीड़ भरे पुल को पार करते समय 24 लोगों की मृत्यु हुई।
  • गोदावरी नदी (2015): हिंदू स्नान उत्सव के दौरान भगदड़ में 27 लोगों की मृत्यु हुई।
  • रतनगढ़ मंदिर (2013): पुल ढहने से हुई  भगदड़ में 115 लोगों की मृत्यु हुई।
  • इलाहाबाद रेलवे स्टेशन (2013): कुंभ मेले के दौरान प्लेटफॉर्म बदलने के कारण 36 लोगों की मृत्यु हुई।
  • जोधपुर मंदिर (2008): नवरात्र उत्सव के दौरान भगदड़ में 168 लोगों की मृत्यु हुई।
  • नैना देवी मंदिर (2008): भूस्खलन की अफवाहों के कारण हुई भगदड़ में 145 लोगों की मृत्यु हुई।
  • वाई मंदिर (2005): भगदड़ और उसके बाद लगी आग में 258 लोगों की मृत्यु हुई।

भगदड़ को नियंत्रित करने के लिये भारत की क्या पहल हैं?

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) त्योहारों के दौरान सुरक्षित भीड़ प्रबंधन और सावधानियों के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
    • यातायात और भीड़ प्रबंधन: NDMA त्योहारों के दौरान यातायात को नियंत्रित करने, मार्ग मानचित्र प्रदर्शित करने और पैदल यात्रियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये बैरिकेड्स का उपयोग करने की सलाह देता है।
    • सुरक्षा उपाय: अपराधों को रोकने के लिये CCTV निगरानी और पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए, NDMA ने आयोजकों से अनधिकृत पार्किंग तथा स्टॉल का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने का आग्रह किया।
    • चिकित्सा संबंधी तैयारियाँ: NDMA ने एम्बुलेंस को स्टैंडबाय पर रखने और चिकित्सा कर्मचारियों को तैयार रखने की सिफारिश की है, साथ ही नज़दीकी अस्पतालों को स्पष्ट संकेत भी दिये हैं।
    • भीड़ से सुरक्षा के सुझाव: सभा के दौरान उपस्थित लोगों को निकास मार्गों और शांत व्यवहार के बारे में शिक्षित करते हुए, NDMA ने भगदड़ की स्थिति से निपटने के लिये तैयारियों पर ज़ोर दिया है।
    • अग्नि सुरक्षा: NDMA सुरक्षित विद्युत वायरिंग, LPG सिलेंडर के उपयोग की निगरानी ​​तथा आग से बचाव के लिये आतिशबाज़ी के साथ सावधानी बरतने पर प्रकाश डालता है।
    • आपदा जोखिम न्यूनीकरण: NDMA आपदा न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (UNISDR) के सहयोग से एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जैसे सरकारी पहलों और आगामी सम्मेलनों का समर्थन करता है, जिसमें आपदा के लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है तथा सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework) को मान्यता दी जाती है।
    • सामुदायिक उत्तरदायित्व: NDMA आपदा निवारण में सामूहिक उत्तरदायित्व को रेखांकित करता है तथा उत्सव के आयोजनों के दौरान सुरक्षा को बढ़ावा देता है। 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) 

  • भारतीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में NDMA देश में आपदा प्रबंधन के लिये सर्वोच्च वैधानिक निकाय है। इसे राज्य और ज़िला स्तर पर संस्थागत तंत्र के निर्माण के लिये आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार स्थापित किया गया था।
  • NDMA आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं और दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने के लिये ज़िम्मेदार है, जिसमें रोकथाम, शमन, तैयारी तथा प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य एक सक्रिय और सतत् विकास रणनीति के माध्यम से एक सुरक्षित तथा आपदा-प्रतिरोधी भारत का निर्माण करना है।

भगदड़ को रोकने के लिये क्या प्रयास किये जा सकते हैं?

  • वास्तविक समय घनत्व निगरानी (Real-time Density Monitoring): वास्तविक समय में भीड़ घनत्व की निगरानी के लिये सेंसर (थर्मल, LiDAR) का एक नेटवर्क तैनात कर सकते हैं। यह डेटा, भीड़ के बढ़ने का अनुमान लगाने और प्रारंभिक चेतावनियों को ट्रिगर करने के लिये AI मॉडल में फीड किया जा सकता है।
    • टिकट अथवा रिस्टबैंड में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग लगाना प्रारंभ करना। यह भीड़ की आवाजाही पर वास्तविक समय में नज़र रखने, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान करने और डिस्प्ले के माध्यम से लक्षित संचार को सक्षम बनाने की अनुमति प्रदान करता है।
    • वास्तविक समय में भीड़ की निगरानी के साथ-साथ विसंगति का पता लगाने के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरों तथा थर्मल इमेजिंग से लैस ड्रोन का उपयोग करना। ये बड़ी स्क्रीन पर शांतिदायक संदेश या घोषणाएँ भी प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • इंटेलिजेंट लाइटिंग सिस्टम: भीड़-प्रतिक्रियाशील प्रकाश व्यवस्था लागू करना जो आंदोलन या शांत स्थितियों का मार्गदर्शन करने हेतु भीड़ घनत्व के आधार पर चमक एवं रंग को समायोजित कर सकती है।
    • बायोल्यूमिनसेंट सामग्रियों से युक्त रास्ते के साथ वॉक-वे को लागू करना जो आपात स्थिति के मामले में स्वचालित रूप से उज्ज्वल चमकते हैं। यह गति को निर्देशित कर सकते है और साथ ही कम रोशनी वाली स्थितियों में घबराहट को भी कम कर सकता है।
  • इंटरैक्टिव संचार डिस्प्ले: इंटरैक्टिव डिस्प्ले स्थापित करना जो वास्तविक समय में प्रतीक्षा समय, निकासी मार्ग और आवश्यक जानकारी को कई भाषाओं में दिखाएँ।
  • अभियान: लोगों को भीड़ सुरक्षा प्रोटोकॉल और साथ ही साथ बड़ी सभाओं के दौरान उचित व्यवहार के बारे में शिक्षित करने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाना।

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दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भगदड़ की रोकथाम के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण पहलों की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये। साथ ही इसमें क्या सुधार किये जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न: आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020)

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