प्रारंभिक परीक्षा
वन रैंक वन पेंशन
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह विश्लेषण करने को कहा है कि सशस्त्र बलों में कितने लोगों को 'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) नीति से लाभ हुआ है।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि 'वन रैंक वन पेंशन' पर केंद्र के रुख ने सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों को वास्तव में दी गई सुविधाओं की तुलना में बहुत अधिक अतिशयोक्तिपूर्ण तस्वीर प्रस्तुत की है।
'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) नीति
- ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का अर्थ है कि सेवानिवृत्त होने की तारीख से इतर समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त हो रहे सशस्त्र सैन्यकर्मियों को एक समान पेंशन दी जाएगी।
- वन रैंक, वन पेंशन’ से पहले, पूर्व सैनिकों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पेंशन मिलती थी।
- उत्तर प्रदेश और पंजाब में OROP लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।
- सशस्त्र बल कार्मिक, जो 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हुए थे, वे इसके अंतर्गत आते हैं।
- इस योजना का कार्यान्वयन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल कोश्यारी समिति की सिफारिश पर आधारित था।
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
गोला-बारूद स्टॉक का रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID)
हाल ही में भारतीय सेना ने अपने गोला-बारूद की रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैगिंग का कार्यान्वयन शुरू किया।
- इससे पहले वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने फास्टैग (FASTag) और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID) के साथ ई-वे बिल (E-Way Bill) प्रणाली को एकीकृत किया है।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID):
- RFID एक प्रकार की निष्क्रिय वायरलेस तकनीक है जो किसी वस्तु या व्यक्ति की ट्रैकिंग और मैचिंग की अनुमति देती है।
- सिस्टम के दो बुनियादी हिस्से हैं: टैग और रीडर।
- रीडर द्वारा रेडियो तरंगों को छोड़ दिया जाता है तथा RFID टैग द्वारा सिग्नल को वापस प्राप्त किया जाता है, जबकि टैग अपनी पहचान एवं अन्य जानकारी को संप्रेषित करने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग करता है।
- यह टैग कई फीट दूर से वस्तु की पहचान कर सकता है और इसे ट्रैक करने के लिये वस्तु के प्रत्यक्ष ‘लाइन-ऑफ-साइट’ (Line-of-Sight) के भीतर होने की आवश्यकता नहीं है।
- प्रौद्योगिकी को 1970 के दशक से पहले मंज़ूरी दी गई है, लेकिन हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और घरेलू माइक्रोचिपिंग जैसी वस्तुओं में इसके उपयोग के कारण यह बहुत अधिक प्रचलित हो गई है।
विस्फोटक भंडार का RFID:
- RFID कार्यान्वयन को भारतीय सेना के आयुध सेवा निदेशालय द्वारा संचालित किया जाता है, जो कि आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण के बाद नवनिर्मित इकाई- म्यूनिशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, पुणे के साथ किया गया है।
- RFID टैगिंग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा स्थापित एक वैश्विक मानक संगठन ‘जीएस-1 इंडिया’ के परामर्श से वैश्विक मानकों के अनुरूप है।
- आयुध सेवा निदेशालय के कंप्यूटरीकृत इन्वेंटरी कंट्रोल ग्रुप (CICG) द्वारा संचालित एंटरप्राइज़ रिसोर्स एप्लीकेशन द्वारा RFID टैग को ट्रैकिंग के लिये उपयोग किया जाएगा।
महत्त्व:
- यह गोला-बारूद के प्रबंधन में बदलाव लाएगा, साथ ही ट्रैकिंग क्षमता में सुधार करेगा।
- यह सैनिकों द्वारा गोला-बारूद के भंडारण और उपयोग को सुरक्षित बनाएगा और फील्ड आर्मी को अधिक सुविधा प्रदान करेगा।
- यह गोला बारूद डिपो में किये जाने वाले सभी तकनीकी गतिविधियों की दक्षता में वृद्धि करेगा और इन्वेंट्री ले जाने की लागत को कम करेगा।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 मार्च, 2022
राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान, 2022
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत (26 फरवरी, 2022 से) की गई है। सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को पहले से कहीं अधिक बीमारियों से बचाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हाल के दिनों में कई नए टीके पेश किये गए हैं जैसे- न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV), मीजल्स-रूबेला वैक्सीन (MR), और रोटावायरस वैक्सीन। सरकार ने बच्चों की अतिरिक्त सुरक्षा हेतु टीकाकरण कार्यक्रम में “इंजेक्टेबल इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन” को भी शामिल किया है। वर्ष 1988 में विश्व स्वास्थ्य सभा के प्रस्ताव के बाद वित्तीय वर्ष 1994-95 में भारत में पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसे ओरल पोलियो वैक्सीन के तहत 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 पल्स पोलियो कार्यक्रम (2019-20) के 25 वर्षों को चिह्नित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान था। इसमें 27 राज्यों के कुल 272 ज़िलों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य रखा गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2022 तक कम-से-कम 90% अखिल भारतीय टीकाकरण कवरेज के लक्ष्य को हासिल करना है।
भाषा प्रमाणपत्र सेल्फी अभियान
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘भाषा प्रमाणपत्र सेल्फी’ अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान को बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है ताकि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को बढ़ावा दिया जा सके। इस पहल का उद्देश्य ‘भाषा संगम’ (Bhasha Sangam) मोबाइल एप को बढ़ावा देना है जिसे MyGov India और शिक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है। इस एप का उपयोग कर लोग लगभग 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में दैनिक उपयोग के 100 से अधिक वाक्य सीख सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि देश के लोग कई भारतीय भाषाओं में बुनियादी संवाद कौशल प्राप्त करें। बुनियादी संवाद कौशल सीखने वाले 75 लाख लोगों को इस पहल के उद्देश्य को प्राप्त करने के लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया गया है। वर्ष 2015 में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिये ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल को शुरू किया गया था ताकि विभिन्न संस्कृतियों के लोगों में आपसी समझ और बंधन को बढ़ाया जा सके, जिससे भारत की एकता एवं अखंडता मज़बूत होगी। यह शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है।
इमनाती चक्रवात
हाल ही में मेडागास्कर में एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘इमनाती’ ने कहर बरपाया। इसने मनाकारा के दक्षिण-पूर्वी ज़िले के ठीक उत्तर में लैंडफॉल (Landfall) की स्थिति देखी गई। उष्णकटिबंधीय चक्रवात कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच उत्पन्न होने वाले चक्रवात हैं। इनकी उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय सागरीय भागों पर तब होती है जब तापमान 27ºC से अधिक हो। कोरिओलिस बल की उपस्थिति, उर्ध्वाधर पवनों की गति में अंतर कम होना, कमज़ोर निम्न दाब क्षेत्र तथा समुद्र तल पर ऊपरी अपसरण इन चक्रवातों की उत्पत्ति व विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ पैदा करते हैं। अत्यधिक वाष्पीकरण के कारण आर्द्र हवाओं के ऊपर उठने से इनका निर्माण होता है। इन चक्रवातों को ऊर्जा, संघनन की गुप्त उष्मा से मिलती है। इसीलिये इन चक्रवातों का मुख्य प्रभाव तटीय भागों में ही होता है क्योंकि स्थल भाग पर आने पर इनकी ऊर्जा के स्रोत, संघनन की गुप्त उष्मा का ह्रास होता चला जाता है। इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) एवं उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ ( Willy-Willies) कहा जाता है।