सिकल सेल रोग | 28 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:जैव प्रौद्योगिकी, सिकल सेल रोग, आनुवंशिक विकार, जनजातीय समुदाय मेन्स के लिये:सिकल सेल रोग (SCD) के उपचार एवं पहुँच से संबंधित जनजातीय समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ और सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
ज़िला स्वास्थ्य संस्थानों में सिकल सेल रोग के उपचार के लिये आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के दौरान, SCD के उपचार के प्रबंधन में हाशिये पर रहने वाले स्वदेशी जनजातीय समुदायों के लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंता बढ़ रही है।
सिकल-सेल विकार क्या है?
- परिचय:
- सिकल सेल रोग एक वंशानुगत हीमोग्लोबिन विकार है जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन द्वारा विशेषता है जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) अपने सामान्य गोल आकार के बजाय सिकल या अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं।
- RBC में इस असामान्यता के परिणामस्वरूप कठोरता बढ़ जाती है, जिससे पूरे शरीर में प्रभावी ढंग से इनके प्रसारित होने की क्षमता क्षीण हो जाती है। परिणामस्वरूप, SCD वाले व्यक्तियों को प्रायः एनीमिया, अंग क्षति, आवर्ती और गंभीर दर्द एवं लघु जीवनकाल जैसी जटिलताओं का अनुभव होता है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, हाशिये पर रहने वाली आदिवासी आबादी SCD के प्रति सबसे अधिक सुभेद्य है।
- विलंबित विकास और यौवन।
- क्रोनिक एनीमिया जिसके कारण थकान, कमज़ोरी और पीलापन होता है।
- दर्द प्रकरण (जिसे सिकल सेल जोखिम भी कहा जाता है) हड्डियों, छाती, पीठ, हाथ और पैरों में अचानक और तीव्र दर्द का कारण बनता है।
- लक्षण: सिकल सेल रोग के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं-
- उपचार प्रक्रियाएँ:
- रुधिर आधान: ये एनीमिया से राहत दिलाने और दर्द संकट के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- हाइड्रॉक्सीयूरिया: यह दवा दर्द प्रकरण की आवृत्ति को कम करने और बीमारी की कुछ दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है।
- जीन थेरेपी: इसका उपचार अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण द्वारा क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट जैसी विधियों से भी किया जा सकता है।
भारत में सिकल सेल रोग (SCD) की वर्तमान स्थिति क्या है?
- SCD जन्मों की संख्या के मामले में भारत नाइजीरिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
- स्थानीय अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में प्रत्येक वर्ष अनुमानित 15,000 से 25,000 SCD वाले शिशु पैदा होते हैं।
- इनमें से अधिकांश जन्म आदिवासी समुदायों में होते हैं, जो स्वास्थ्य देखभाल पहुँच और जागरूकता में भौगोलिक एवं सामाजिक आर्थिक असमानताओं को उजागर करते हैं।
SCD के उपचार और पहुँच से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- सीमित जागरूकता: जनता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच SCD के बारे में समझ की कमी है, जिसके कारण निदान में विलंब होता है तथा उपचार अपर्याप्त होता है।
- अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचा: कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में SCD के प्रबंधन के लिये विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं तथा प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की कमी है।
- उच्च उपचार लागत: दवाओं, नियमित जाँच और संभावित अस्पताल में भर्ती होने की लागत के कारण SCD का दीर्घकालिक प्रबंधन कई परिवारों के लिये वित्तीय रूप से बोझिल हो सकता है।
- उदाहरण के लिये, CRISPR जैसे उपचारों की लागत 2-3 मिलियन डॉलर है और अस्थि मज्जा दाताओं को ढूँढना मुश्किल है।
- दवाओं तक सीमित पहुँच: SCD उपचार के लिये आवश्यक दवाओं, जैसे हाइड्रोक्सीयूरिया और दर्द निवारक दवाओं की असंगत उपलब्धता, कुछ क्षेत्रों में चिंता का विषय है।
- अपर्याप्त स्क्रीनिंग कार्यक्रम: व्यवस्थित नवजात जाँच और शीघ्र पता लगाने की पहल के अभाव के परिणामस्वरूप शीघ्र हस्तक्षेप तथा आनुवंशिक परामर्श के अवसर चूक जाते हैं।
- भौगोलिक और सामाजिक आर्थिक बाधाएँ: भौगोलिक अलगाव, परिवहन की कमी तथा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण ग्रामीण, दूरदराज एवं आदिवासी समुदायों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- वर्तिकाग्र और भेदभाव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में और बाधा डालते हैं।
SCD के संबंध में सरकारी पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन:
- इसका उद्देश्य सभी सिकल सेल रोग रोगियों के लिये देखभाल बढ़ाना और स्क्रीनिंग तथा जागरूकता अभियानों को शामिल करते हुए एक एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से रोग की व्यापकता को कम करना है।
- वर्ष 2047 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में सिकल सेल रोग के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य।
- सिकल सेल एनीमिया मिशन के तहत, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) SCD के लिये जीन-संपादन उपचार विकसित कर रहा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2013:
- यह भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमें सिकल सेल एनीमिया जैसी वंशानुगत विसंगतियों पर विशेष ध्यान देने के साथ रोग की रोकथाम और प्रबंधन के प्रावधान शामिल हैं।
- NHM के भीतर समर्पित कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र पता लगाने की सुविधा और सिकल सेल एनीमिया का समय पर उपचार सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- NHM अपनी "आवश्यक दवाओं की सूची" में SCD के इलाज के लिये हाइड्रोक्सीयूरिया जैसी दवाओं की सुविधा प्रदान करता है।
- स्टेम सेल अनुसंधान 2017 के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश:
- यह SCD के लिये अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (BMT) को छोड़कर, स्टेम सेल थेरेपी के व्यावसायीकरण को नैदानिक परीक्षणों तक सीमित करता है।
- स्टेम कोशिकाओं पर जीन संपादन की अनुमति केवल इन-विट्रो अध्ययन के लिए है।
- जीन थेरेपी उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश 2019: यह वंशानुगत आनुवंशिक विकारों हेतु जीन थेरेपी के विकास और नैदानिक परीक्षणों के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- भारत ने सिकल सेल एनीमिया उपचार के लिए CRISPR तकनीक विकसित करने के लिये पाँच वर्ष की परियोजना को भी मंज़ूरी दे दी है।
- मध्य प्रदेश का राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन:
- इसका उद्देश्य बीमारी की जाँच और प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करना है।
- दिव्यांगजन अधिकार (RPwDs) अधिनियम, 2016:
- SCD को 21 दिव्यांगों में शामिल किया गया है जो बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों और उच्च समर्थन आवश्यकताओं वाले लोगों के लिये उच्च शिक्षा में आरक्षण (न्यूनतम 5%), सरकारी नौकरियों (न्यूनतम 4%) तथा भूमि आवंटन (न्यूनतम 5%) जैसे लाभ प्रदान करता है।
- यह 6 से 18 वर्ष के बीच बेंचमार्क दिव्यांगता वाले प्रत्येक बच्चे के लिये निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान करता है।
नोट:
- हाल ही में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिये डिज़ाइन की गई दो जीन थेरेपी को मंज़ूरी दी।
- उपचार हेतु स्वीकृत जीन थेरेपी में Lyfgenia और Casgevy शामिल हैं।
- 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिये दोनों उपचारों को मंज़ूरी प्रदान की गई।
- यूनाइटेड किंगडम ने भी Casgevy के उपयोग को मंज़ूरी प्रदान की यह विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने वाली पहली CRISPR-आधारित थेरेपी है।
- Lyfgenia CRISPR पर आधारित नहीं है और रक्त स्टेम कोशिकाओं को बदलने के लिये वायरल वेक्टर पर निर्भर करता है।
- दोनों उपचारों में रोगी के रक्त स्टेम कोशिकाओं को एकत्र करना, उन्हें संशोधित करना और अस्थि मज्जा में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये कीमोथेरेपी की हाई डोज़ दी जाती है।
- उसके पश्चात् संशोधित कोशिकाओं को हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से रोगी में संचरित की जाती है।
आगे की राह
- शीघ्र जाँच और स्क्रीनिंग:
- आनुवंशिक परामर्श और परीक्षण कार्यक्रमों को सुदृढ़ कर उन्हें विस्तारित करने की आवश्यकता है।
- तत्काल आवश्यकताओं के लिये हाइड्रोक्सीयूरिया जैसे मूलभूत उपचार को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
- प्रभावित परिवारों को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिये प्रारंभिक अवस्था में वाहकों की पहचान करना।
- ज़मीनी स्तर से इस समस्या का समाधान करने के लिये नैदानिक परीक्षणों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
- सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता:
- निरंतर जारी रहने वाली जन जागरूकता पहलों का कार्यान्वन करना।
- समुदायों को रोग की वंशानुगत प्रकृति और आनुवंशिक परीक्षण के महत्त्व के संबंध में शिक्षित करना।
- नियामक चर्चाओं में जनता की भागीदारी आवश्यक है।
- अनुसंधान और विकास:
- संबद्ध विषय पर जारी अनुसंधान के लिये संसाधन आवंटित करना।
- अधिक प्रभावी उपचार विकल्प और संभावित इलाज विकसित करने के लिये SCD के आनुवंशिक तथा आणविक पहलुओं के संबंध में गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की आवश्यकता है।
- बेहतर दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों के लिये व्यापक स्वास्थ्य देखभाल पहुँच महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध और विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021) |