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स्टेम सेल-व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण

  • 03 Jan 2023
  • 10 min read

हाल ही में माइटोकॉन्ड्रिया के जीनोम में विलोपन के कारण होने वाले दुर्लभ विकारों (Rare Disorder) वाले छह बच्चों का पहली बार स्टेम-सेल व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया गया। 

  • इस प्रक्रिया में दाता माताओं से बच्चों के हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल में माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण शामिल था, जो सभी प्रकार की रक्त कोशिकाओं को जन्म देता है।  

स्टेम सेल-व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण:

  • इसमें घायल कोशिकाओं को बचाने के लिये स्टेम सेल के सहज माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण या इलाज हेतु क्षतिग्रस्त भाग में स्टेम सेल माइटोकॉन्ड्रिया का इंजेक्शन लगाना शामिल है। 
    • स्टेम सेल कोशिकाओं की उत्पत्ति के संदर्भ में सबसे बुनियादी कोशिकाएँ हैं और उनमें विभेदन एवं स्व-नवीनीकरण(Self- renewal) की उच्च क्षमता होती है।
    • विभिन्न मानव ऊतकों, अंगों या कार्यात्मक कोशिकाओं में विकसित होने की स्टेम कोशिकाओं की क्षमता उन्हें पुनर्योजी चिकित्सा और चिकित्सीय ऊतक (Tissue) इंजीनियरिंग में उपयोग के लिये बेहद आशाजनक बनाती है।

माइटोकॉन्ड्रिया

  • माइटोकॉन्ड्रिया किसी भी कोशिका के अंदर पाया जाता है जिसका मुख्य काम कोशिका के हर हिस्से में ऊर्जा पहुँचाना होता है, इसी कारण माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है।
    • वे कोशिका की जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शक्ति प्रदान करने के लिये आवश्यक रासायनिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
      • माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा उत्पादित रासायनिक ऊर्जा एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) के रूप में संग्रहित होती है।
    • माइटोकॉन्ड्रिया की अपनी डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) होती है। आमतौर पर माइटोकॉन्ड्रिया, अथवा माइटोकॉन्ड्रियल DNA, लगभग सभी बहुकोशिकीय जीवों में माँ से ही प्राप्त होते हैं।
  • स्तनधारियों के शुक्राणुओं में माइटोकॉन्ड्रिया आमतौर पर निषेचन के बाद अंडे की कोशिका (Egg Cell) द्वारा नष्ट हो जाते हैं।
    • माइटोकॉन्ड्रिया शुक्राणु के निचले हिस्से पर मौजूद होते हैं, जिसका उपयोग शुक्राणु कोशिकाओं को आगे की ओर बढ़ाने के लिये किया जाता है; कभी-कभी निषेचन के दौरान यह हिस्सा नष्ट हो जाता है।

Inner-membrane

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. वंशानुगत रोगों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. अंडों के अंतःपात्र (इन विट्रो) निषेचन से पहले या बाद में सुत्रकणिका प्रतिस्थापन (माइटोकॉन्ड्रिया रिप्लेसमेंट) चिकित्सा द्वारा सुत्रकणिका रोगों (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) को माता-पिता से संतान में जाने से रोका जा सकता है।
  2. किसी संतान में सुत्रकणिका रोग (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) आनुवंशिक रूप से पूर्णतः माता से जाता है न कि पिता से।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (C) 

व्याख्या: 

  • तकनीकी विकास अंडे/भ्रूण के साइटोप्लाज़्म के लगभग पूर्ण प्रतिस्थापन की अनुमति देता है, विरासत में मिली माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों वाले रोगियों के लिये अवांछित दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया के संचरण को समाप्त करता है, जिसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT) कहा जाता है।
  • इस तथ्य के बावजूद कि इसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी कहा जाता है, उपचार कार्यात्मक रूप से माता की सुत्रकणिका आनुवंशिक सामग्री को रोगग्रस्त माइटोकॉन्ड्रिया वाले अंडे (ओओसाइट) से एक दाता अंडे में स्थानांतरित करने का कार्य करता है जिसमें स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया होता है और जिसकी मूल परमाणु आनुवंशिक सामग्री को हटा दिया गया है। दाता अंडे में स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया सामान्य विकास की अनुमति दे सकता है तथा माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी के संचरण को रोक सकता है।
  • इन प्रक्रियाओं में इन विट्रो निषेचन सहित सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग किया जाता है। मातृ आनुवंशिक सामग्री को हटाने से पहले या मातृ आनुवंशिक सामग्री को दाता अंडे में स्थानांतरित करने के बाद पिता का शुक्राणु रोगी के अंडे को निषेचित कर सकता है। अतः कथन 1 सही है।
  • ऊर्जा उत्पादक ऑर्गेनेल माइटोकॉन्ड्रिया में अपना कॉम्पैक्ट जीनोम होता है, जो परमाणु जीनोम से अलग होता है। लगभग सभी स्तनधारियों में यह माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम विशेष रूप से माँ से विरासत में मिला होता है एवं पैतृक माइटोकॉन्ड्रिया या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (एमटीडीएनए) का संचरण मनुष्यों में आश्वस्त रूप से प्रदर्शित नहीं किया गया है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल रोग पुराने (दीर्घकालिक) आनुवंशिक, अक्सर विरासत में मिले विकार होते हैं जो तब होते हैं जब माइटोकॉन्ड्रिया शरीर को ठीक से काम करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा का उत्पादन करने में विफल रहता है। चूँकि माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम विशेष रूप से माता से विरासत में मिला होता है, इसलिये संतान को माइटोकॉन्ड्रियल रोग पूरी तरह से माँ से विरासत में मिलते हैं, न कि पिता से। अतः कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।


प्रश्न. अक्सर सुर्खियों में रहने वाली ‘स्टेम कोशिकाओं’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)

  1. स्टेम कोशिकाएँ केवल स्तनपायी जीवों से ही प्राप्त की जा सकती है।
  2. स्टेम कोशिकाएँ नई औषधियों को परखने के लिये प्रयोग की जा सकती है।
  3. स्टेम कोशिकाएँ चिकित्सा थेरेपी के लिये प्रयोग की जा सकती हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • स्टेम कोशिकाएँ अविभाजित या "रिक्त" कोशिकाएँ होती हैं जो नई कोशिकाओं के रूप में विकसित होने में सक्षम होती हैं तथा शरीर के विभिन्न भागों में कई कार्य करती हैं। शरीर में अधिकांश कोशिकाएँ विभेदित कोशिकाएँ हैं। ये कोशिकाएँ किसी विशेष अंग में केवल एक विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति कर सकती हैं। उदाहरण के लिये लाल रक्त कोशिकाएँ विशेष रूप से रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने के लिये होती हैं।
  • स्टेम कोशिकाएँ न केवल स्तनधारियों में पाई जाती हैं, बल्कि पौधों और अन्य जीवों में भी पाई जाती हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • चूँकि स्टेम कोशिकाओं में कई अन्य प्रकार की कोशिकाओं में परिवर्तित होने की क्षमता होती है, वैज्ञानिकों का मानना है कि वे बीमारियों के इलाज़ और रोग को समझने के लिये उपयोगी हो सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्टेम कोशिकाओं का उपयोग निम्नलिखित में किया जा सकता है:
    • क्षतिग्रस्त अंगों या ऊतकों के प्रत्यारोपण के लिये प्रयोगशाला में नई कोशिकाएँ विकसित करना।
    • अंगों के ठीक से काम न करने वाले भाग को ठीक करना।
    • कोशिकाओं में अनुवांशिक दोष के कारणों पर शोध करना कि रोग कैसे होते हैं या कुछ कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाओं के रूप में क्यों विकसित होती हैं।
    • सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिये नई दवाओं का परीक्षण करना। अतः कथन 2 सही है।
    • चिकित्सा उपचार की व्यवस्था करना। अतः कथन 3 सही है।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू

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