प्रारंभिक परीक्षा
सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के लिये कैसगेवी थेरेपी
- 30 Nov 2023
- 8 min read
स्रोत:इकॉनोमिक टाइम्स
हाल ही में यूके ड्रग रेगुलेटर ने कैसगेवी (Casgevy) नामक जीन थेरेपी को मंज़ूरी दी है, जिसे सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के इलाज के लिये एक महत्त्वपूर्ण सफलता माना गया।
- विशेष रूप से यह CRISPR-Cas9 जीन संपादन तकनीक का लाभ उठाने वाली विश्व की पहली लाइसेंस प्राप्त थेरेपी का प्रतीक है, जिसने इसके नवप्रवर्तकों को रसायन विज्ञान में 2020 का नोबेल पुरस्कार दिलाया।
कैसगेवी थेरेपी कैसे कार्य करती है?
- सिकल सेल रोग एवं थैलेसीमिया दोनों लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन (Hb) प्रोटीन के जीन में त्रुटियों के कारण होते हैं, जो अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाते हैं।
- थेरेपी में रोगी की स्वयं की रक्त स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है, जिन्हें CRISPR-Cas9 का उपयोग करके सटीक रूप से संपादित किया जाता है।
- BCL11A नामक जीन, जो भ्रूण से वयस्क हीमोग्लोबिन में बदलने के लिये महत्त्वपूर्ण है, साथ ही यह थेरेपी द्वारा लक्षित भी है।
- भ्रूण का हीमोग्लोबिन, जो जन्म के समय हर किसी में स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है, में वयस्क हीमोग्लोबिन जैसी असामान्यताएँ नहीं होती हैं।
- थेरेपी भ्रूण के हीमोग्लोबिन का अधिक उत्पादन शुरू करने के लिये शरीर के अपने तंत्र का उपयोग करती है, जिससे दोनों स्थितियों के लक्षण कम हो जाते हैं।
- कैसगेवी में एक ही उपचार शामिल होता है जिसमें रक्त स्टेम कोशिकाओं को एफेरेसिस के माध्यम से निकाला जाता है और फिर रोगी में दोबारा प्रेषित करने से पूर्व लगभग छह महीने तक संपादित किया जाता है।
- एफेरेसिस एक चिकित्सा तकनीक है जिसमें किसी व्यक्ति के रक्त को एक उपकरण के माध्यम से पारित किया जाता है जो एक विशेष घटक को अलग करता है तथा शेष को परिसंचरण में वापस कर देता है।
सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया क्या हैं?
- सिकल सेल रोग:
- परिचय: सिकल सेल रोग एक आनुवांशिक रक्त रोग है जिसमे हीमोग्लोबिन में विसंगति उत्पन्न हो जाती है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
- इसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं, जिससे वाहिकाओं के माध्यम से उनकी गति बाधित होती है, जिससे गंभीर दर्द, संक्रमण, एनीमिया और स्ट्रोक जैसी संभावित जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।
- केवल भारत में अनुमानतः प्रतिवर्ष 30,000-40,000 बच्चे सिकल सेल रोग के साथ जन्म लेते हैं।
- प्रकार: इसमें विभिन्न प्रकार शामिल हैं, जिसमें से प्रत्येक माता-पिता से विरासत में मिले जीन पर निर्भर करता है, जो असामान्य हीमोग्लोबिन की एन्कोडिंग करते हैं। SCD के सबसे प्रचलित रूपों में शामिल हैं:
- HbSS (सिकल सेल एनीमिया): व्यक्तियों को दो "S" जीन विरासत में मिलते हैं, प्रत्येक माता-पिता से एक, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य हीमोग्लोबिन "S" होता है।
- यह प्रकार प्राय: कठोर अर्द्धचंद्राकार लाल रक्त कोशिकाओं की विशेषता वाले गंभीर लक्षणों की ओर ले जाता है।
- HbSC: माता-पिता में से एक से "S" जीन और दूसरे से एक अलग असामान्य हीमोग्लोबिन, "C" विरासत में मिलने से यह सिकल सेल रोग का कम प्रभावी प्रकार होता है।
- HbS बीटा थैलेसीमिया: यह रूप एक माता-पिता से "S" जीन और दूसरे से बीटा थैलेसीमिया जीन विरासत में मिलने से उत्पन्न होता है।
- गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि बीटा थैलेसीमिया "शून्य" (HbS बीटा0) है या "प्लस" (HbS बीटा+), पहले वाले में प्राय: अधिक गंभीर लक्षण प्रस्तुत होते है और बाद वाले में कम गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं।
- HbSS (सिकल सेल एनीमिया): व्यक्तियों को दो "S" जीन विरासत में मिलते हैं, प्रत्येक माता-पिता से एक, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य हीमोग्लोबिन "S" होता है।
- परिचय: सिकल सेल रोग एक आनुवांशिक रक्त रोग है जिसमे हीमोग्लोबिन में विसंगति उत्पन्न हो जाती है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
- थैलेसीमिया: सिकल सेल रोग के समान थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को कम हीमोग्लोबिन के स्तर के कारण गंभीर एनीमिया का अनुभव होता है, जिससे लौह संचय को प्रबंधित करने के लिये आजीवन रक्ताधान और केलेशन थेरेपी की आवश्यकता होती है।
- प्रमुख लक्षणों में थकान, पीलिया, सांस की तकलीफ, विकास में रुकावट, चेहरे की हड्डी की विकृति (गंभीर मामलों में) शामिल हैं।
नोट: केलेशन थेरेपी भारी धातु विषाक्तता का एक सिद्ध उपचार है। इसमें ऐसे पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो भारी धातुओं को बांधते हैं और उन्हें शरीर से निकालने में सहायता करते हैं।
नोट: भारत में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का लक्ष्य-2047 तक सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करना है।
CRISPR-Cas9 टेक्नोलॉजी क्या है?
- CRISPR-Cas9 एक अभूतपूर्व तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों और चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को जीनोम के विशिष्ट भागों को संशोधित करने का अधिकार देती है।
- यह DNA अनुक्रम के भीतर खंडों को सटीक रूप से हटाने, जोड़ने अथवा संशोधित करने के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
- DNA को बदलने में दो महत्त्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं। सर्वप्रथम Cas9 है, जो आणविक कैंची की एक जोड़ी की तरह DNA को सटीक स्थानों पर काटता है।
- तत्पश्चात गाइड RNA (gRNA) होता है, जिसमें एक डिज़ाइन किया गया अनुक्रम होता है। यह क्रम Cas9 को कटौती करने के लिये जीनोम में सटीक स्थान पर निर्देशित करता है।
- यह सटीक मार्गदर्शन सुनिश्चित करता है कि Cas9 जहाँ आवश्यक हो वहीं सटीक रूप से कार्य करता है, जिससे DNA में विशिष्ट परिवर्तन की अनुमति प्राप्त होती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकासात्मक उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के गरीब वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायता करेंगी? (2021) |