जैव विविधता और पर्यावरण
SDG प्रगति एवं चुनौतियाँ
- 29 Mar 2025
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:सतत् विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक 2024, आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंडाई फ्रेमवर्क, आदिस अबाबा एक्शन एजेंडा, पेरिस समझौता, ESG रिपोर्टिंग। मेन्स के लिये:सतत् विकास लक्ष्य, इससे संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
भारत ने सतत् विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक 2024 में उल्लेखनीय सुधार किया है और इसे 166 देशों में से 109वाँ स्थान मिला है।
- राज्यों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, पिछले तीन वर्षों में समग्र सूचकांक में औसतन पाँच अंकों की वृद्धि हुई है।
सतत् विकास लक्ष्यों के संदर्भ में भारत का अब तक प्रदर्शन कैसा रहा है?
- समग्र प्रगति: भारत का SDG सूचकांक स्कोर 57 (2018) से सुधरकर 71 (2023-24) हो गया।
- राज्यों का प्रदर्शन: केरल और उत्तराखंड 8 लक्ष्यों में 80 से अधिक स्कोर के साथ अग्रणी हैं।
- हालाँकि, 9 से अधिक राज्यों में गरीबी उन्मूलन (लक्ष्य संख्या 1), लैंगिक समानता (लक्ष्य संख्या 5), असमानता में कमी (लक्ष्य संख्या 10) और मज़बूत संस्थान (लक्ष्य संख्या 16) जैसे आयामों में गिरावट दर्ज़ की गई है।
- लक्ष्य विशिष्ट प्रगति:
- SDG-3: मातृ मृत्यु अनुपात प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 130 (वर्ष 2014-16) से घटकर 97 (वर्ष 2018-20) हो गया।
- SDG-4: उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) वर्ष 2014-15 और वर्ष 2021-22 के बीच 23.7% से बढ़कर 28.4% हो गया है।
- SDG-6: वर्ष 2020-2021 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में 95% से अधिक लोगों और शहरों में 97.2% लोगों को पीने योग्य जल के बेहतर स्रोतों तक पहुँच प्राप्त हुई।
- SDG-7: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता दिसंबर 2023 के 180.80 गीगावाट से बढ़कर दिसंबर 2024 में 209.44 गीगावाट हो गई।
- बजटीय आवंटन: कुछ राज्य (जैसे हरियाणा, ओडिशा, मेघालय) अब SDG-विशिष्ट बजट प्रकाशित करते हैं।
- विकासशील देशों को सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये प्रतिवर्ष 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।
SDG रिपोर्ट, 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
और पढ़ें: सतत् विकास लक्ष्य रिपोर्ट, 2024
सतत् विकास लक्ष्य क्या हैं?
- सतत् विकास लक्ष्य (SDG): यह परस्पर संबंधित लक्ष्य हैं जो गरीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित हैं।
- इसे वर्ष 2015 में 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा सतत् विकास के वर्ष 2030 के एजेंडे के भाग के रूप में अपनाया गया था।
- उद्देश्य: इसका लक्ष्य वैश्विक साझेदारी के माध्यम से वर्ष 2030 तक शांति, समृद्धि और स्थिरता प्राप्त करना है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- सतत विकास लक्ष्य के मूल सिद्धांत:
- सार्वभौमिकता: सभी देशों (विकसित एवं विकासशील) पर लागू।
- एकीकरण: एक लक्ष्य में प्रगति अन्य लक्ष्यों को प्रभावित करती है (उदाहरण के लिये, गरीबी में कमी से शिक्षा में सुधार होता है)।
- किसी को पीछे न छोड़ना: हाशिये पर स्थित और कमजोर समूहों पर ध्यान केंद्रित करना।
- बहु-हितधारक दृष्टिकोण: यह सरकारों, व्यवसायों, नागरिक समाज और नागरिकों की आवश्यकता पर केंद्रित हैं।
- SDG सूची:
- निगरानी: वैश्विक सतत विकास रिपोर्ट (GSDR) द्वारा प्रत्येक 4 वर्ष में प्रगति का आकलन किया जाता है।
- सहायक समझौते:
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंडाइ फ्रेमवर्क, आपदा लचीलेपन को मजबूत करेगा।
- सतत् विकास के वित्तपोषण के लिये आदिस अबाबा एक्शन एजेंडा।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता।
सतत् विकास लक्ष्य के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता: प्रमुख संसाधन उत्पादक देशों में संघर्ष (जैसे, रूस और यूक्रेन से वैश्विक गेहूँ निर्यात का 30%) से विश्व भर में खाद्यान्न की कमी की समस्या को बढ़ावा मिलता है।
- युद्धग्रस्त क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल (SDG 3) और शिक्षा (SDG 4) जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं।
- आर्थिक असमानताएँ: विकासशील देश आर्थिक विकास के लिये वानिकी, खनन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहते हैं, जिससे जलवायु लक्ष्यों (SDG 13) के साथ संघर्ष की स्थिति बनती है।
- धनी देश धारणीयता हेतु प्रयास कर रहे हैं लेकिन गरीब देशों के पास परिवर्तन के लिये धन और प्रौद्योगिकी का अभाव है।
- सरकारी चुनौतियाँ: कुछ सरकारें स्थिरता की तुलना में अल्पकालिक आर्थिक लाभ को प्राथमिकता देती हैं (उदाहरण के लिये, जीवाश्म ईंधन लॉबिंग।
- बिना किसी विकल्प के प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने से बेरोज़गारी (SDG 8) और गरीबी (SDG 1) में वृद्धि होती है।
- गरीबी और असमानता: 650 मिलियन लोग अभी भी भुखमरी से ग्रस्त हैं जबकि 10% के पास विद्युत का अभाव है - जो SDG 1 (गरीबी उन्मूलन) और SDG 7 (स्वच्छ ऊर्जा) की प्राप्ति में प्रमुख बाधाएँ हैं।
- ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोज़गार में पिछड़ रहे हैं, जिससे असमानता बढ़ रही है (SDG 10)।
- वैश्विक आर्थिक संकट: कोविड-19 से लाखों लोग गरीबी की श्रेणी में आ गए हैं, जिससे वर्षों की प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है (उदाहरण के लिये, अकेले दक्षिण पूर्व एशिया में 5 मिलियन लोग गरीबी की श्रेणी में शामिल हुए हैं)।
- देश में आर्थिक मंदी (जैसे, अमेरिकी मंदी) से व्यापार साझेदारों (जैसे, मैक्सिको) को नुकसान होता है, जिससे सतत् विकास लक्ष्य की प्रगति बाधित होती है।
आगे की राह
- संघर्ष समाधान: चल रहे युद्धों (जैसे, यूक्रेन, सूडान) के समाधान के लिये संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाली वार्ता को बढ़ावा देना चाहिये।
- संघर्ष के बाद पुनर्बहाली के लिये वित्तपोषण हेतु शांति पहलों का विस्तार करना चाहिये।
- सतत् विकास लक्ष्यों हेतु वित्तपोषण: प्रतिवर्ष 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिये विकसित देशों को अपनी 0.7% GDP सहायता प्रतिबद्धता को पूरा करना होगा।
- प्रभाव निवेश और सतत् विकास लक्ष्य बॉण्ड के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी विकासशील देशों को सहायता प्रदान कर सकती है।
- देश-विशिष्ट SDG रणनीतियाँ: प्रत्येक राष्ट्र को सबसे ज़रूरी SDG पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये (उदाहरण के लिये, भारत को लैंगिक समानता में सुधार (SDG 5) और असमानता में कमी (SDG 10) पर बल देना चाहिये)।
- बहु-हितधारक सहयोग: बड़ी कंपनियों के लिये पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाने से कॉर्पोरेट SDG प्रतिबद्धताओं को मजबूती मिल सकती है, जबकि एआई और ब्लॉकचेन SDG निगरानी को बढ़ा सकते हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B प्रश्न. सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)। |