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GM सरसों की मंज़ूरी पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

  • 25 Jul 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें, शाकनाशी प्रतिरोध, बीटी कपास, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC), धारा सरसों हाइब्रिड -11 (DMH -11), 'अर्ली हीरा -2' सरसों, बैसिलस एमाइलोलिकेफेशियंस,

मेन्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का महत्त्व, चुनौतियाँ और शमन

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court- SC) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों की फसलों को पर्यावरण के लिये सशर्त मंज़ूरी देने के केंद्र के फैसले पर विभाजित निर्णय दिया। अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच को भेजा जाएगा।

  • आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (GM फसलें या बायोटेक फसलें) कृषि में उपयोग किये जाने वाले पौधे हैं, जिनके DNA को आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों का उपयोग करके संशोधित किया जाता है। 

GM सरसों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • विभाजित निर्णय के पीछे कारण:
    • न्यायमूर्ति नागरत्ना ने भारत में फसल के प्रभाव और इसके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों पर किसी भी स्वदेशी अध्ययन पर भरोसा किये बिना परियोजना को मंज़ूरी देने के लिये GEAC की आलोचना की तथा सिफारिश करते समय केवल विदेशी शोध अध्ययनों पर विचार किया गया।
    • इसके विपरीत, न्यायमूर्ति करोल ने GM सरसों के व्यावसायिक विमोचन के लिये GEAC की मंज़ूरी को बरकरार रखा।
    • हालाँकि दोनों न्यायाधीश बहस के दौरान उठाए गए कुछ बिंदुओं पर सहमत थे।
      • उन्होंने स्वीकार किया कि GEAC द्वारा लिये गए निर्णयों की न्यायिक समीक्षा स्वीकार्य है तथा केंद्र द्वारा राष्ट्रीय नीति के क्रियान्वयन पर विचार करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • राष्ट्रीय नीति हेतु निर्देश:
    • न्यायाधीशों ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को चार महीने के भीतर नियमों के साथ ऐसी नीति तैयार करने को कहा।
    • इस नीति में अनुसंधान, खेती, व्यापार और वाणिज्य को शामिल किया जाना चाहिये तथा इसे कृषि विशेषज्ञों, जैव प्रौद्योगिकीविदों, राज्य सरकारों एवं किसान प्रतिनिधियों सहित हितधारकों के परामर्श से विकसित किया जाना चाहिये।
  • GEAC की भूमिका: 

GM सरसों क्या है? 

  • परिचय: 
    • धारा सरसों हाइब्रिड-11 (DMH-11) को भारत में भारतीय सरसों किस्म 'वरुणा' और 'अर्ली हीरा-2' (पूर्वी यूरोपीय किस्म) के संकरण से विकसित किया गया है।
    • इसमें दो विदेशी जीन ('बार्नेज' और 'बार्स्टार') शामिल हैं, जिन्हें बैसिलस एमाइलोलिकेफेशियंस नामक मृदा जीवाणु से पृथक किया गया है, जो उच्च उपज देने वाली व्यावसायिक सरसों संकर प्रजातियों के प्रजनन को सक्षम बनाते हैं।
    • इसे कृषि के लिये जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • विशेषताएँ:
    • इसे हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों की किस्म के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसे विशिष्ट हर्बिसाइड्स का सामना करने के लिये इंजीनियर किया गया है, जो खरपतवार नियंत्रण में सहायता कर सकता है तथा फसल की उपज बढ़ा सकता है। 
  • महत्त्व:
    • तेल उत्पादन और आयात में सरसों का योगदान: सत्र 2021-22 में 116.5 लाख टन खाद्य तेलों का उत्पादन करने के बावजूद, भारत ने 141.93 लाख टन आयात किया, जो एक महत्त्वपूर्ण अंतर को दर्शाता है और सत्र 2025-26 तक 34 मिलियन टन की मांग अनुमानित है।
      • सरसों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जो भारत के कुल खाद्य तेल उत्पादन का 40% है।
    • GM सरसों की संभावित उपज वृद्धि: GM सरसों राष्ट्रीय मानक की तुलना में लगभग 28% की उपज वृद्धि प्रदर्शित करती है और लगभग 37% तक क्षेत्रीय बेंचमार्क को पार करती है, जो विशिष्ट कृषि क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन का संकेत देती है।
      • DMH-11 जैसी इसकी किस्मों में उपज को 3-3.5 टन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाने की क्षमता है।
    • बेहतर कृषि आदान दक्षता: GM सरसों पारंपरिक किस्मों की तुलना में जल, उर्वरक और कीटनाशकों की कम आवश्यकता के कारण संसाधन उपयोग को अनुकूलित कर सकती है। यह दक्षता संधारणीय कृषि प्रथाओं और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • कीमत अस्थिरता में कमी: GM सरसों के माध्यम से बढ़ा हुआ उत्पादन घरेलू बाज़ार में खाद्य तेल की कीमतों को स्थिर कर सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

आनुवंशिक/जीन संवर्द्धित (Genetically Modified- GM) फसलें क्या हैं?

  • GM फसल ऐसी वनस्पति हैं जिनके जीन को आमतौर पर किसी अन्य जीन से आनुवंशिक पदार्थ निर्दिष्ट कर कृत्रिम रूप से संवर्द्धित किया जाता है, ताकि उन्हें नई विशेषताएँ दी जा सकें, जैसे कि अधिक उपज, शाकनाशी के प्रति सहनशीलता, रोग या अनावृष्टि के प्रति प्रतिरोध या बेहतर पोषण मूल्य
  • बीटी-कपास (भारत में एकमात्र व्यावसायिक रूप से कृषि योग्य GM फसल) के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ:
    • कीट प्रतिरोध: बीटी-कपास के साथ प्राथमिक चुनौती BT टॉक्सिन के लिये कीट प्रतिरोध का उभरना है। कीट नियंत्रण के एक ही तरीके पर अत्यधिक निर्भरता ने इस प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।
    • द्वितीयक कीट प्रकोप: बॉलवर्म को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हुए, बीटी-कपास ने एफिड्स और व्हाइटफ्लाइज़ जैसे शोषक कीटों की संख्या में वृद्धि की है, जिससे अतिरिक्त कीटनाशक अनुप्रयोगों की आवश्यकता बढ़ी है।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: गैर-लक्ष्यित जीवों, जैसे कि लाभकारी कीटों पर बीटी-कपास के प्रभाव के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
    • आर्थिक निहितार्थ: प्रारंभिक उपज लाभ के बावजूद बीटी-कपास के दीर्घकालिक आर्थिक लाभ विवादास्पद हैं तथा कुछ अध्ययनों में घटते लाभ का संकेत दिया गया है।

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जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) क्या है?

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत कार्य करती है। यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुसंधान एवं औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों तथा पुनः संयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी गतिविधियों के मूल्यांकन हेतु उत्तरदायी है।
  • समिति प्रायोगिक क्षेत्र परीक्षणों सहित पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संशोधित (GE) जीवों और उत्पादों को जारी करने से संबंधित प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिये भी उत्तरदायी है।
  • GEAC की अध्यक्षता MoEF&CC के विशेष सचिव/अपर सचिव द्वारा की जाती है और सह-अध्यक्षता जैवप्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के एक प्रतिनिधि द्वारा की जाती है।
    • वर्तमान में, इसके 24 सदस्य हैं और ऊपर बताए गए क्षेत्रों में अनुप्रयोगों की समीक्षा के लिये प्रत्येक माह बैठक होती है।

GM सरसों से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

  • जैव विविधता चिंता: पुष्पन और पराग उत्पादन में परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों पर संभावित प्रभाव
    • इसके परिवर्तित जीन अन्य लाभकारी जीवों जैसे कीटों, मृदा सूक्ष्मजीवों और वन्य जीवों को प्रभावित कर सकते हैं तथा लाभकारी कीट आबादी को आकस्मिक क्षति पहुँचने से कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक संतुलन  को बाधित कर सकते हैं।
  • खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: GM किस्मों द्वारा सुगम एकल-फसल उत्पादन से फसल रोगों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है, जिससे दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
    • मानव स्वास्थ्य पर अज्ञात प्रभाव वाले नवीन प्रोटीनों के निर्माण की संभावना है, क्योंकि GM सरसों में प्रयुक्त जीन मानव आहार का हिस्सा नहीं हैं।
  • नैतिक विचार: स्व-समाप्त होने वाले बीज जैसे आनुवंशिक संसाधनों के वस्तुकरण (Commodification) को लेकर नैतिक चिंताएँ हैं और विशेष पेटेंट व्यवस्था कृषि संप्रभुता के लिये निहितार्थ हैं।  
    • GM सरसों के प्रयोग से किसानों के बीजों के भंडारण और आदान-प्रदान के अधिकार के साथ-साथ प्रौद्योगिकियों तक समान पहुँच पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।
  • नियामक चुनौतियाँ: कड़े जैव-सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने और दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी के लिये मज़बूत संस्थागत क्षमता, बुनियादी ढाँचे तथा नियामक चुनौतियों की आवश्यकता होती है।

आगे की राह

  • अनुकूली प्रबंधन रणनीतियाँ: गैर-लक्षित जीवों पर GM सरसों के पारिस्थितिकी प्रभावों को समझने के लिये व्यापक अनुसंधान करना और अनुकूली प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना।  
  • खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य: फसल में शामिल किये गए नए प्रोटीन की एलर्जी और विषाक्तता का जोखिम मूल्यांकन। खाद्य सुरक्षा पर GM सरसों के प्रभावों की निगरानी के लिये दीर्घकालिक अध्ययनों में निवेश करना, जिसमें फसल रोगों पर इसके प्रभाव शामिल हैं। 
    • उदाहरण के लिये, भारत में बीटी कपास को सफलतापूर्वक अपनाना। 
  • नैतिक विचार: GM प्रौद्योगिकियों तक समान पहुँच, जिसमें किसानों को बीज बचाने और आदान-प्रदान करने का अधिकार शामिल है। ऐसी नीतियों को लागू करना जो पारंपरिक कृषि प्रथाओं की रक्षा करती हैं और निर्णय लेने में किसान स्वायत्तता को बढ़ावा देती हैं।
  •  क्षमता निर्माण: नियामकों को प्रशिक्षित करके संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना, GM  फसलों के परीक्षण के लिये प्रयोगशाला सुविधाओं को बढ़ाना और डेटा संग्रह एवं विश्लेषण क्षमताओं में सुधार करना। 
    • पारदर्शी नियामक ढाँचे की स्थापना करना जिसमें सार्वजनिक परामर्श और हितधारक जुड़ाव शामिल हो।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों की फसलें कृषि उत्पादकता के लिये संभावित लाभ रखती हैं, लेकिन साथ ही महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करती हैं। भारत में GM सरसों को अपनाने से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन चुनौतियों को कम करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?

और पढ़ें : बीटी कपास, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कीटों के प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012) 

  1. सूखा सहन करने के लिये सक्षम बनाना  
  2.  उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना 
  3.  अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगाने तथा प्रकाश संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना
  4.  उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न . फसल विविधता के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021)

प्रश्न . अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी में शोध और विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी?(2021)

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