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आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों

  • 20 Jan 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें, शाकनाशी, प्रतिरोध, सूखा, बी.टी. कपास, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC), धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (DMH -11), 'अर्ली हीरा -2' सरसों, बैसिलस एमाइलोलिकफेशियन्स,

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य 2: शून्य भुखमरी को प्राप्त करने में आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का महत्त्व। 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सरसों (Mustard ) जैसी आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें आम जन के लिये गुणवत्तापूर्ण खाद्य तेल को सस्ता कर देंगी तथा विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करके राष्ट्रीय हित में योगदान देंगी।

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC) ने सरसों के आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण, धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (Dhara Mustard Hybrid-11 :11) को जारी किये जाने हेतु पर्यावरणीय मंज़ूरी दे दी है।
  • यदि इसे व्यावसायिक खेती के लिये मंज़ूरी मिल जाती है तो यह भारतीय किसानों के लिये उपलब्ध पहली आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य फसल होगी।

भारत की खाद्य तेल मांग:

  • भारत की कुल खाद्य तेल मांग 24.6 मिलियन टन (2020-21) थी और घरेलू उपलब्धता 11.1 मिलियन टन (2020-21) थी।
  • वर्ष 2020-21 में कुल खाद्य तेल मांग का 13.45 मिलियन टन (54%) लगभग ₹1,15,000 करोड़ के आयात के माध्यम से पूरा किया गया, जिसमें पाम ऑयल (57%), सोयाबीन तेल (22%), सूरजमुखी तेल (15%) और कुछ मात्रा में कैनोला गुणवत्ता वाला सरसों का तेल शामिल थे।
  • वर्ष 2022-23 में कुल खाद्य तेल मांग का 155.33 लाख टन (55.76%) आयात के माध्यम से पूरा किया गया।
  • भारत पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है, ध्यातव्य है की भारत की वनस्पति तेल की खपत में  40% हिस्सेदारी पाम ऑयल की है।
    • भारत अपनी वार्षिक 8.3 मीट्रिक टन पाम ऑयल ज़रूरत का आधा हिस्सा इंडोनेशिया से पूरा करता है।
  • वर्ष 2021 में भारत ने घरेलू पाम तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (National Mission on Edible Oil-Oil Palm) का अनावरण किया।

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM ) फसलें क्या हैं?

  • GM फसलों के जीन कृत्रिम रूप से संशोधित किये जाते हैं, आमतौर इसमें किसी अन्य फसल से आनुवंशिक गुणों जैसे- उपज में वृद्धि, खरपतवार के प्रति सहिष्णुता, रोग या सूखे से  प्रतिरोध, या बेहतर पोषण मूल्य का समामेलन किया जा सके।
  • इससे पहले, भारत ने केवल एक GM फसल, BT कपास की व्यावसायिक खेती को मंज़ूरी दी थी, लेकिन GEAC ने व्यावसायिक उपयोग के लिये GM सरसों की सिफारिश की है। 

GM सरसों क्या है?

  • धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 (DMH-11) एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजेनिक सरसों है। यह हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों का आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण है।
  • DMH-11 भारतीय सरसों की किस्म 'वरुणा' और पूर्वी यूरोपीय 'अर्ली हीरा-2' सरसों के बीच संकरण का परिणाम है।
  • इसमें दो एलियन जीन ('बार्नेज' और 'बारस्टार') शामिल होते हैं जो बैसिलस एमाइलोलिफेशियन्स (Bacillus amyloliquefaciens) नामक मृदा जीवाणु से पृथक किये जाते हैं जो उच्च उपज वाली वाणिज्यिक सरसों की संकर प्रजाति विकसित करने में सहायक है।
  • DMH-11 ने राष्ट्रीय सीमा की तुलना में लगभग 28% अधिक और क्षेत्रीय सीमा की तुलना में 37% अधिक उपज प्रदर्शित है और इसके उपयोग का दावा तथा अनुमोदन GEAC द्वारा अनुमोदित किया गया है।
    • "बार जीन" संकर बीज की आनुवंशिक शुद्धता को बनाए रखता है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) क्या है? 

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत कार्य करती है।
  • यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुसंधान एवं औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों तथा पुनः संयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी गतिविधियों के मूल्यांकन हेतु उत्तरदायी है।
  • समिति प्रायोगिक क्षेत्र परीक्षणों सहित पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संशोधित (GE) जीवों और उत्पादों को जारी करने से संबंधित प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिये भी उत्तरदायी है।
  • GEAC की अध्यक्षता MoEF&CC के विशेष सचिव/अपर सचिव द्वारा की जाती है और सह-अध्यक्षता जैवप्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के एक प्रतिनिधि द्वारा की जाती है।
    • वर्तमान में, इसके 24 सदस्य हैं और ऊपर बताए गए क्षेत्रों में अनुप्रयोगों की समीक्षा के लिये प्रत्येक माह बैठक होती है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पीड़कों के प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012)

  1. सूखा सहन करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना 
  2. उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना  
  3. अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगने और प्रकाश संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना
  4. उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:  

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल 1, 2 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c) 

व्याख्या: 

  • आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (जीएम फसलें या बायोटेक फसलें) कृषि में उपयोग किये जाने वाले पौधे हैं, जिनके डीएनए को आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों का उपयोग करके संशोधित किया जाता है। अधिकतर मामलों में इसका उद्देश्य पौधे में एक नया लक्षण उत्पन्न करना है जो प्रजातियों में स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। खाद्य फसलों में लक्षणों के उदाहरणों में कुछ कीटों, रोगों, पर्यावरणीय परिस्थितियों, खराब होने में कमी, रासायनिक उपचारों के प्रतिरोध (जैसे- जड़ी-बूटियों का प्रतिरोध) या फसल के पोषक तत्त्व प्रोफाइल में सुधार शामिल हैं।
  • जीएम फसल प्रौद्योगिकी के कुछ संभावित अनुप्रयोग हैं:
  • पोषण वृद्धि- उच्च विटामिन सामग्री; अधिक स्वस्थ फैटी एसिड प्रोफाइल; अत: कथन 2 सही है।
  • तनाव सहनशीलता- उच्च और निम्न तापमान, लवणता एवं सूखे के प्रति सहनशीलता; अत: कथन 1 सही है।
  • ऐसी कोई संभावना नहीं है जो जीएम फसलों को अंतरिक्ष यान एवं अंतरिक्ष स्टेशनों में बढ़ने और प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम बनाती हो। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • वैज्ञानिक कुछ आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें बनाने में सक्षम हैं जो सामान्य रूप से एक महीने तक ताज़ा रहती हैं। अत: कथन 4 सही है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021)

प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)

प्रश्न. विज्ञान किस प्रकार हमारे जीवन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है? विज्ञान आधारित तकनीकों से कृषि में कौन से उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं? (वर्ष 2020)

प्रश्न. जल इंजीनियरीग और कृषि-विज्ञान के क्षेत्रों में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019)

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