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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

GM सरसों

  • 26 Dec 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (DMH-11), बार्नेज/बारस्टार सिस्टम, ब्रोंकाइटिस, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC), BT कपास

मेन्स के लिये:

GM फसलों और धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (DMH-11) का महत्त्व 

चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में खेत में जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) सरसों धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (DMH-11) का परीक्षण किया गया और इसे अधिक उत्पादक पाया गया।

  • DMH-11, मधुमक्खियों के प्राकृतिक परागण को नकारात्मक रूप से प्रभावित नही करता है|

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें: 

  • GM फसलें उन पौधों से प्राप्त होती हैं जिनके जीन कृत्रिम रूप से संशोधित किये जातें हैं, आमतौर इसमें किसी अन्य फसल के आनुवंशिक गुणों जैसे- उपज में वृद्धि, खरपतवार के प्रति सहिष्णुता, रोग या सूखे से  प्रतिरोध या बेहतर पोषण मूल्य का समामेलन किया जा सके।
    • इससे पहले भारत ने केवल एक GM फसल BT कपास की व्यावसायिक खेती को मंज़ूरी दी थी, लेकिन GEAC ने व्यावसायिक उपयोग के लिये GM सरसों की सिफारिश की है। 

GM सरसों:

  • धारा सरसों हाइब्रिड (DMH-11) एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजेनिक सरसों है। यह हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों का आनुवंशिक तौर पर संशोधित रूप है।  
  • DMH-11 भारतीय सरसों की किस्म 'वरुण' और पूर्वी यूरोपीय 'अर्ली हीरा-2' सरसों के बीच संकरण का परिणाम है।
  • इसमें दो एलियन जीन ('बार्नेज' और 'बारस्टार') होते हैं जो बैसिलस एमाइलोलिफेशियन्स नामक मिट्टी के जीवाणु से आइसोलेट होते हैं  एवं उच्च उपज वाली वाणिज्यिक सरसों की संकर प्रजाति विकसित करने में सहायक हैं।
  • वरुण में बार्नेज अस्थायी बाँझपन की स्थिति उत्पन्न करता है जिसके कारण यह स्वाभाविक रूप से स्व-परागण नहीं कर सकता है। अर्ली हीरा-2  में बरस्टार बार्नेज के प्रभाव को रोकता है जिससे बीज उत्पन्न होते हैं।
  • DMH-11 ने राष्ट्रीय जाँच की तुलना में लगभग 28% और क्षेत्रीय जाँचों की तुलना में 37% अधिक उपज प्रदर्शित की है। इसके उपयोग को GEAC द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है।
    • "बार जीन" संकर बीज की आनुवंशिक शुद्धता को बनाए रखता है।

बार्नेज/बारस्टार प्रणाली की आवश्यकता:

  • संकर बीज उत्पादन के लिये कुशल नर बंध्यता और उर्वरता बहाली प्रणाली की आवश्यकता होती है।
  • सरसों में वर्तमान में उपलब्ध पारंपरिक साइटोप्लाज्मिक -जेनेटिक नर बंध्यता प्रणाली में कुछ पर्यावरणीय परिस्थितियों में बंध्यता के टूटने की सीमाएँ हैं जिससे बीज की शुद्धता कम हो जाती है।
  • आनुवंशिक रूप से तैयार की गई बार्नेज/बारस्टार प्रणाली सरसों में संकर बीज उत्पादन के लिये एक कुशल और मज़बूत वैकल्पिक विधि प्रदान करती है।
  • भारत में फसलीय पौधों के आनुवंशिक परिवर्तन के लिये केंद्र (CGMCP) ने बार्नेज/बारस्टार प्रणाली में कुछ बदलावों के साथ एक सफल प्रयास किया है जिसके परिणामस्वरूप जीएम सरसों हाइब्रिड एमएच-11 का विकास संभव हो सका, जिसमें वर्ष 2008 से 2016 के दौरान आवश्यक विनियामक परीक्षण प्रक्रियाएँ शामिल हैं।

क्यों आवश्यक है जीएम सरसों?

  • घरेलू मांग को पूरा करने के लिये भारत का खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है। यह अंततः विदेशी मुद्रा में कमी का कारण बनता है। जीएम सरसों कृषि-आयात पर विदेशी मुद्रा निकासी को कम करने हेतु आवश्यक है।
  • भारत में तिलहनी फसलों अर्थात् सोयाबीन, रेपसीड सरसों, मूँगफली, तिल, सूरजमुखी, कुसुम और अलसी की उत्पादकता इन फसलों की वैश्विक उत्पादकता की तुलना में बहुत कम है।
  • आनुवंशिक रूप से विविध बीजों के संकरण से बढ़ी हुई उपज और अनुकूलन के साथ संकर प्रजाति उत्पन्न होती है।

DMH-11 संबंधी सुरक्षा चिंताएँ:

  • तकनीक के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले तीन जीनों- बार्नेज, बारस्टार और बार की सुरक्षा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
  • निर्धारित दिशा-निर्देशों और लागू नियमों के अनुसार मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रभाव का आकलन करने के लिये तीन वर्षों (BRL-I के दो वर्ष तथा BRL-II का एक वर्ष) के फील्ड परीक्षण किये गए हैं। 
  • यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि जीएम सरसों की विषाक्तता, एलर्जी, संरचनागत विश्लेषण, क्षेत्र परीक्षण और पर्यावरण सुरक्षा अध्ययनों पर व्यापक शोध से पता चला है कि वे भोजन तथा फीड के उपयोग के साथ-साथ उत्पादन के लिये भी सुरक्षित हैं।
  • DMH-11 में "बार जीन" होता है जो शाकनाशी सहिष्णुता के लिये ज़िम्मेदार होता है। शाकनाशी सहिष्णुता के संबंध में "बार जीन" की प्रभावशीलता सवालों के घेरे में है।

 आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का महत्त्व 

  • आनुवंशिक रूप से विविध पौधों के संकरण से उपज और अनुकूलन के साथ संकर प्रजाति उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया को हाइब्रिड विगोरोथेरोसिस के रूप में जाना जाता है जिसका चावल, मक्का, बाजरा, सूरजमुखी और कई सब्जियों आदि फसलों में व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। 
  • यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित है कि सामान्य रूप से संकर फसलों में पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-25% अधिक उपज मिलती हैं।
  • देश में रेपसीड सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में हाइब्रिड तकनीक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

Q. कीटों के प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012)

  1. सूखा सहन करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना
  2. उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना
  3. अंतरिक्ष यानों और स्टेशनों में उन्हें उगने और प्रकाश-संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना
  4. उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल  1, 2 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: C

व्याख्या: 

  • आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (जीएम फसलें या बायोटेक फसलें) कृषि में उपयोग किये जाने वाले पौधे हैं, जिनके डीएनए को आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों का उपयोग करके संशोधित किया गया है। अधिकतर मामलों में इसका उद्देश्य पौधे में एक नया लक्षण पैदा करना है जो प्रजातियों में स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। खाद्य फसलों में लक्षणों के उदाहरणों में कुछ कीटों, रोगों, पर्यावरणीय परिस्थितियों, खराब होने में कमी, रासायनिक उपचारों के प्रतिरोध (जैसे- जड़ी-बूटियों का प्रतिरोध) या फसल के पोषक तत्त्व प्रोफाइल में सुधार शामिल हैं।
  • जीएम फसल प्रौद्योगिकी के कुछ संभावित अनुप्रयोग हैं:
    • पोषण वृद्धि - उच्च विटामिन सामग्री; अधिक स्वस्थ फैटी एसिड प्रोफाइल। अत: कथन 2 सही है।
    • तनाव सहनशीलता - उच्च और निम्न तापमान, लवणता और सूखे के प्रति सहनशीलता। अत: कथन 1 सही है।
    • ऐसी कोई संभावना नहीं है जो जीएम फसलों को अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष स्टेशनों में बढ़ने एवं प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम बनाती हो। अत: कथन  3 सही नहीं है।
    • वैज्ञानिक कुछ आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें बनाने में सक्षम हैं जो सामान्य रूप से  एक महीने तक ताज़ा रहती हैं। अत: कथन 4 सही है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

Q. बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किसके संदर्भ में किया गया है?

(a) फसल पौधों का क्लोनल प्रवर्द्धन

(b) आनुवंशिक रूप से संशोधित फसली पौधों का विकास

(c) पादप वृद्धिकर पदार्थों का उत्पादन

(d) जैव उर्वरकों का उत्पादन

उत्तर: B

व्याख्या: 

  • बोल्गार्ड I बीटी कपास (एकल-जीन प्रौद्योगिकी) 2002 में भारत में व्यावसायीकरण के लिये अनुमोदित पहली बायोटेक फसल प्रौद्योगिकी है, इसके बाद वर्ष 2006 के मध्य में बोल्गार्ड II डबल-जीन प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति, बायोटेक के लिये भारतीय नियामक निकाय द्वारा अनुमोदित फसलें है।
  • बोल्गार्ड I कपास एक कीट-प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक फसल है जिसे बोलवर्म से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह जीवाणु बैसिलस थुरिंगिनेसिस से एक माइक्रोबियल प्रोटीन को व्यक्त करने के लिये कपास जीनोम को आनुवंशिक रूप से बदलकर बनाया गया था।
  • बोल्गार्ड II तकनीक में एक बेहतर डबल-जीन तकनीक शामिल है - cry1ac और cry2ab, जो बोलवर्म तथा स्पोडोप्टेरा कैटरपिलर से सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे बेहतर बोलवर्म प्रतिधारण, अधिकतम उपज, कम कीटनाशकों की लागत एवं कीट प्रतिरोध के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।
  • बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II दोनों कीट-संरक्षित कपास दुनिया भर में व्यापक रूप से बोलवर्म को नियंत्रित करने के पर्यावरण के अनुकूल तरीके के रूप में अपनाए जाते हैं। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न. किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में जैव प्रौद्योगिकी कैसे मदद कर सकती है? (2019)

स्रोत: पी.आई.बी

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