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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खेल प्रशासन के राजनीतिकरण की निंदा

  • 10 Feb 2025
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय ओलंपिक संघ, राज्य विषय, भारतीय राष्ट्रीय खेल संहिता

मेन्स के लिये:

खेल प्रशासन में न्यायिक निगरानी, ​​भारतीय खेल महासंघों में राजनीतिकरण, खेल प्रशासन

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने युवा मामले और खेल मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह AKFI के IKF द्वारा निलंबन के बीच भारत की एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप 2025 में भागीदारी सुनिश्चित करे।

  • यह निर्देश भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ (AKFI) को अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी महासंघ (IKF) द्वारा निलंबित किये जाने के बाद आया है, जिसमें न्यायालय ने खेल प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप और नौकरशाही नियंत्रण की आलोचना की है।

IKF द्वारा AKFI को निलंबित क्यों किया गया?

  • AKFI: AKFI भारत में कबड्डी के लिये सर्वोच्च शासी निकाय है। यह राष्ट्रीय, इनडोर, बीच और सर्कल स्टाइल सहित सभी प्रकार की कबड्डी को नियंत्रित करने के साथ टूर्नामेंट आयोजित करने, टीमों का चयन करने एवं खेल के विकास की देखरेख करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • मुख्यालय: जयपुर, राजस्थान
    • संबद्धता: भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), एशियाई कबड्डी महासंघ (AKF), और अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी महासंघ (IKF)। AKFI IKF और AKF से प्राप्त दिशा-निर्देशों का पालन करता है।
    • मान्यता: इसे युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त है।
  • AKFI के संबंध में चिंताएँ: AKFI पर अपारदर्शी चुनाव, कुप्रबंधन एवं राजनेताओं द्वारा एकाधिकार के आरोप लगते हैं जिससे भाई-भतीजावाद और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप: AKFI प्रबंधन की चिंताओं के बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.पी. गर्ग को इसके मामलों की देखरेख के लिये प्रशासक नियुक्त किया।
  • AKFI का निलंबन: IKF ने प्रशासनिक मुद्दों पर AKFI को निलंबित कर दिया, जिसमें निर्वाचित निकाय की अनुपस्थिति का हवाला दिया गया, जिससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी भागीदारी खतरे में पड़ गई।
    • IKF ने आश्वासन दिया कि यदि प्रशासक के स्थान पर कोई निर्वाचित निकाय नियुक्त किया जाता है तो AKFI की संबद्धता बहाल कर दी जाएगी तथा भारत, ईरान चैंपियनशिप में भाग ले सकेगा।

नोट: वर्ष 2004 में स्थापित और जयपुर में मुख्यालय वाला IKF, कबड्डी का वैश्विक शासी निकाय है, जिसके 24 संबद्ध देश (भारत सहित) हैं।

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.पी. गर्ग को दिसंबर 2023 के चुनावों से नव निर्वाचित निकाय को प्रभार सौंपने का निर्देश दिया।
    • न्यायालय ने आगामी एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप 2025 के कारण इसकी तात्कालिकता पर बल दिया तथा AKFI की शासी संस्था को तत्काल टीमों का चयन करने, प्रशिक्षण शिविरों की व्यवस्था करने तथा टूर्नामेंट में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
  • न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राधिकार हस्तांतरण का तात्पर्य AKFI चुनावों के समर्थन से नहीं है तथा इससे संबंधित मुद्दे निर्णय के लिये खुले हैं।

खेल प्रशासन के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की क्या चिंताएँ हैं?

  • राजनीतिकरण: पूर्व राजनेता और नौकरशाह खेल निकायों पर हावी हो जाते हैं, जिससे खिलाड़ी कम प्रभावी हो जाते हैं।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि खेल संघों में सुधार तब होता है जब राजनेता या नौकरशाही द्वारा नियुक्त लोगों के बजाय खिलाड़ी ज़िम्मेदारी संभालते हैं।
  • कुप्रबंधन: अपारदर्शी चुनाव प्रक्रिया, वित्तीय अनियमितताओं और कुछ व्यक्तियों द्वारा एकाधिकार के आरोप सामने आए हैं।
    • AKFI जैसे संघ उचित रूप से निर्वाचित शासी निकायों के बिना कार्य करते हैं तथा खेल मानदंडों का उल्लंघन करते हैं जो भारतीय राष्ट्रीय खेल संहिता 2011 के अनुरूप नहीं हैं।
  • नियंत्रण और संतुलन न होना: स्पष्ट निगरानी या जवाबदेही के अभाव में, खेल निकाय पारदर्शिता के बिना कार्य करते हैं जैसा कि वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्पष्ट हुआ, जहाँ केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 14 परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट की थी।
  • एथलीटों पर प्रभाव: प्रशासनिक अक्षमताओं के कारण टीम चयन, प्रशिक्षण और टूर्नामेंट में भागीदारी में देरी से एथलीटों को नुकसान होता है।
    • एथलीटों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है लेकिन कमज़ोर शिकायत प्रणाली तथा देरी से की जाने वाली कार्यवाही के कारण इनको असुरक्षित महसूस होता है इसीलिये इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
  • खेल अवसंरचना: चूंकि खेल, राज्य का विषय है इसलिये पूरे भारत में इससे संबंधित अवसंरचना विकास के लिये कोई एक समान दृष्टिकोण नहीं है।

भारत की राष्ट्रीय खेल संहिता 2011 क्या है?

इसे जानने के लिये यहाँ क्लिक करें: भारतीय राष्ट्रीय खेल संहिता 2011

आगे की राह

  • लेखापरीक्षा: खेल महासंघों की मान्यता से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिये राजनयिक माध्यमों का प्रयोग करना तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार और निहित स्वार्थों को समाप्त करने के लिये केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) एवं इंटरपोल के तहत जाँच सुनिश्चित होनी चाहिये।
    • सभी खेल महासंघों को संचालित करने के लिये स्पष्ट कानून और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ एक केंद्रीय नियामक निकाय की आवश्यकता है जिससे पारदर्शी शासन एवं निष्पक्ष तथा जवाबदेह प्रशासन के लिये सख्त निगरानी सुनिश्चित हो सके।
  • एथलीटों को सशक्त बनाना: पारदर्शिता और जवाबदेहिता के क्रम में निर्णय लेने में एथलीटों की सक्रिय भूमिका होनी चाहिये।
    • ओलंपिक चार्टर का पालन करना चाहिये जिसके तहत राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों (जैसे, भारत में IOA) में एथलीट प्रतिनिधियों को अनिवार्य बनाया गया है।
  • महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना: लैंगिक समानता सुनिश्चित करने, कोटा स्थापित करने तथा खेल प्रशासन कॅरियर में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के क्रम में सुरक्षित, समावेशी वातावरण विकसित करना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय खेल महासंघों में राजनीतिक हस्तक्षेप तथा नौकरशाही नियंत्रण के प्रभाव का परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स

प्रश्न. खिलाड़ी ओलंपिक्स में व्यक्तिगत विजय और देश के गौरव के लिये भाग लेता है; वापसी पर विजेताओं पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा नकद प्रोत्साहनों की बौछार की जाती है। प्रोत्साहन के तौर पर पुरस्कार कार्यविधि के तर्काधार के मुकाबले, राज्य प्रायोजित प्रतिभा खोज और उसके पोषण के गुणावगुण पर चर्चा कीजिये। (2014)

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