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खेल प्रशासन और मुद्दे

  • 27 Apr 2023
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय कुश्ती संघ, प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR), दंड प्रक्रिया संहिता, मौलिक अधिकार, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), भारतीय ओलंपिक संघ

मेन्स के लिये:

खेल प्रशासन और मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में खेल प्रशासन संबंधी चिंताओं के आलोक में महिला पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Federation of India- WFI) के अध्यक्ष पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच करने का फैसला लिया है।

सर्वोच्च न्यायालय की टिपण्णी:

  • न्यायालय ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करने के संबंध में पहलवानों द्वारा दायर याचिका की जाँच करने का फैसला किया है और मामले को आगे की सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है।
    • न्यायालय ने बताया कि याचिकाकर्त्ता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 का उपयोग करते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच के आदेश की मांग कर सकते हैं।
  • न्यायालय ने पाया कि भारत का प्रतिनिधित्त्व करने वाले पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के संबंध में याचिका दायर किया जाना एक गंभीर आरोप है, साथ ही यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों की रक्षा के अपने कर्त्तव्य के प्रति सचेत है जो व्यक्तियों को अनुमति देता है कि वे न्याय के लिये शीर्ष न्यायालय का रुख करें।

भारत में खेल शासन का वर्तमान मॉडल:

  • भारत में खेलों के शासन के मौजूदा दो मॉडल हैं:
    • पहला- युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports- MYAS) द्वारा नियंत्रित एवं भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) जैसे संस्थान तथा अन्य संस्थान SAI के तहत खेल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
    • दूसरा- भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्षता में राज्य ओलंपिक संघ (SOAs) और राष्ट्रीय एवं राज्य खेल संघ (NSFs और SFs)।
  • युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय NSF एवं SFs को वित्तीय तथा ढाँचागत सहायता प्रदान करता है और अप्रत्यक्ष रूप से इन संघों को राजनीतिक प्रतिनिधित्त्व के माध्यम से नियंत्रित करता है।
  • IOA एक अंब्रेला निकाय है जिसके तहत NSF, SF और SOAs देश में विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है।
  • उनके बीच व्यवस्थाओं का चित्रण इस प्रकार है:

खेलों में सुशासन के लिये कायदे कानून:

  • खेल संहिता 2011:
    • राष्ट्रीय खेल संघों के सुशासन से संबंधित सभी अधिसूचनाओं और निर्देशों को समायोजित करने के उद्देश्य से वर्ष 2011 में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा इस संहिता को अधिसूचित किया गया था।
    • यह नियमों का एक समूह है, जो 'सुशासन, नैतिकता और निष्पक्ष खेल के बुनियादी सार्वभौमिक सिद्धांतों' को प्रतिपादित करता है।
    • यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के साथ-साथ पारदर्शी कामकाज़ की परिकल्पना के अतिरिक्त संघों के पदाधिकारियों की आयु एवं कार्यकाल पर प्रतिबंध लगाता है।
      • इस संहिता के अनुसार, कानून की व्यवस्था का पालन न करना जनहित के विरुद्ध है।
  • सुशासन हेतु मसौदा राष्ट्रीय संहिता:
    • भारत में खेल संगठनों के प्रबंधन और संचालन हेतु सुझाए गए दिशा-निर्देशों का एक संग्रह राष्ट्रीय खेल सुशासन संहिता 2017 दस्तावेज़ के मसौदे में शामिल है।
    • इसमें पदाधिकारियों हेतु आयु और कार्यकाल का निर्धारण, गवर्निंग बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की उपस्थिति, पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनाव तथा खेल निकायों में पारदर्शिता व जवाबदेही में सुधार संबंधी अन्य उपाय शामिल हैं।

भारत में खेल शासन से संबंधित मुद्दे:

  • अस्पष्ट अधिकार और उत्तरदायित्त्व:
    • भारतीय खेलों में प्रबंधन और प्रशासन को प्रायः स्पष्ट रूप से अलग नहीं किया जाता है। कार्यकारी समिति, जिसे प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, प्रबंधन कार्य करना बंद कर देती है।
    • यह चेक एंड बैलेंस की कमी उत्पन करता है, क्योंकि उन्हें निरीक्षण या उत्तरदायित्त्व के बिना काम करने की अनुमति है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव:
    • वर्तमान खेल मॉडल में असीमित शक्तियों और निर्णय लेने में पारदर्शिता की कमी के कारण उत्तरदायित्त्व का अभाव है। साथ ही अनियमित राजस्व प्रबंधन के मुद्दे भी शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये जुलाई 2010 में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें पाया गया कि भारत में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की 14 परियोजनाओं में अनियमितताएँ थीं।
      • वर्ष 2013 का इंडियन प्रीमियर लीग स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाज़ी का मामला तब सामने आया जब दिल्ली पुलिस ने कथित स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में तीन क्रिकेटरों को गिरफ्तार किया।
  • गैर-पेशेवरीकरण:
    • भारतीय खेल संगठन, विशेष रूप से शासी निकाय, पेशेवर और व्यावसायिक क्षेत्र की चुनौतियों के अनुकूल नहीं हैं। वे अभी भी बढ़े हुए कार्यभार को संभालने हेतु कुशल पेशेवरों को काम पर रखने के बजाय स्वयंसेवकों पर निर्भर हैं।
  • पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव:
    • भारत में खेल के बुनियादी ढाँचे की स्थिति अभी भी वांछित स्तर को हासिल नहीं कर पाई है। यह देश में खेल संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
    • भारत के संविधान के अनुसार, खेल राज्य का विषय है, फलस्वरूप पूरे देश में समान रूप से खेल के बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु कोई व्यापक दृष्टिकोण नहीं है।
  • यौन उत्पीड़न से संबंधित मुद्दे:
    • ऐसे कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं जहाँ एथलीटों ने कोच और अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न एवं दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है।
      • हालाँकि खेल संगठनों की प्रतिक्रिया धीमी और अपर्याप्त रही है।
    • इसके अलावा प्रमुख मुद्दों में से एक यौन उत्पीड़न की शिकायतों का समाधान करने हेतु एक उचित तंत्र का अभाव है।
      • कई खेल संगठनों के पास इस तरह की शिकायतों से निपटने हेतु कोई औपचारिक नीति नहीं है, इसके अलावा घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिये कोई स्पष्ट शृंखला नहीं होती है।

खेल प्रशासन से संबंधित मुद्दे:

  • एथलीटों को सशक्त बनाना:
    • एथलीट खेलों में प्राथमिक हितधारक होते हैं और निर्णय लेने में उनकी भागीदारी खेल संगठनों में आवश्यक जवाबदेही और पारदर्शिता ला सकती है।
    • खेल प्रशासन को एथलीटों को सशक्त बनाने हेतु सभी स्तरों पर उनका प्रतिनिधित्त्व सुनिश्चित करने के लिये एक तंत्र की स्थापना करनी चाहिये।
      • ओलंपिक चार्टर में एथलीटों के प्रतिनिधियों के चुनाव के लिये देशों की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (भारत - IOA) और उनके बोर्डों के सदस्यों का भी प्रावधान है।
  • खेल संघों की स्वायत्तता:
    • खेल प्रशासन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में खेल संघों की स्वायत्तता महत्त्वपूर्ण है।
    • यह खेल संगठनों को सरकारी और बाहरी प्रभाव से मुक्त अपने स्वयं के लोकतांत्रिक ढाँचे के माध्यम से स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम बनाता है, जिससे भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद की संभावना कम हो जाती है।
  • ऊर्घ्वगामी सुधार:
    • सुधार पिरामिड के निचले तल से शुरू होने चाहिये, जिसका अर्थ है कि ज़िला और राज्य निकायों का पुनर्गठन करना जो राष्ट्रीय खेल प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि ज़मीनी स्तर से शुरू करते हुए सभी स्तरों पर खेल प्रशासन संरचना में जवाबदेही और पारदर्शिता का निर्माण किया जाए।
  • खेल जागरूकता बढ़ाना:
    • बच्चों के दैनिक जीवन में खेलों को शामिल करने से उनके आत्मविश्वास, आत्म-छवि में सुधार हो सकता है और यहाँ तक कि खेल में कॅरियर भी बन सकता है।
    • देश में एक मज़बूत खेल संस्कृति का निर्माण करने के लिये प्राथमिक शिक्षा स्तर पर बदलाव की शुरुआत करने की ज़रूरत है। शिक्षा प्रणाली को बच्चे की समग्र परवरिश के हिस्से के रूप में खेल को समान महत्त्व देना चाहिये।
  • महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्त्व:
    • खेल प्रशासन के पदों पर अधिक महिला प्रतिनिधित्त्व को प्रोत्साहित करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और उनके अधिकारों की रक्षा होगी। इसे कई उपायों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे:
      • लिंग-संवेदनशील नीतियाँ बनाना।
      • खेल प्रशासन में नेतृत्त्व के पदों तक पहुँचने के लिये महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना।
      • महिलाओं को खेलों में कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
      • समावेशिता और विविधता की संस्कृति को बढ़ावा देना।
      • लिंग के आधार पर कोटे का निर्धारण।
      • महिलाओं के लिये सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना।

निष्कर्ष:

  • खेल प्रशासन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • अधिक पारदर्शी एवं समावेशी खेल संस्कृति बनाना और यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि एथलीटों के अधिकारों की रक्षा की जाए तथा खेल प्रशासन में उनकी आवाज़ सुनी जाए।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स इस पुरस्कार के पहले विजेता थे।
  2. यह पुरस्कार अब तक ज़्यादातर 'फॉर्मूला वन' के खिलाड़ियों को ही मिला है।
  3. रोजर फेडरर को यह पुरस्कार दूसरों की तुलना में सबसे अधिक बार मिला है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स प्रमुख वैश्विक खेल पुरस्कार हैं। पहली बार वर्ष 2000 में प्रदान किया गया यह वार्षिक पुरस्कार वर्ष के सबसे प्रमुख और प्रेरणादायक विजेता खिलाड़ी को दिया जाता है एवं लॉरियस स्पोर्ट फॉर गुड के कार्यों को प्रदर्शित करता है।
  • अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स इस पुरस्कार के पहले विजेता थे। अत: कथन 1 सही है।
  • यह पुरस्कार अब तक ज़्यादातर पुरुष फुटबॉल टीम (6 बार) के खिलाड़ियों को मिला है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • यह पुरस्कार रोजर फेडरर ने सर्वाधिक (5) बार प्राप्त किया है, इसके बाद उसैन बोल्ट (4 बार) और नोवाक जोकोविच (4 बार) का स्थान है। अत: कथन 3 सही है।

प्रश्न. 32वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इस ओलंपिक का आधिकारिक आदर्श वाक्य- 'एक नई दुनिया' है।
  2. इस ओलंपिक में स्पोर्ट क्लाइंबिंग, सर्फिंग, स्केटबोर्डिंग, कराटे और बेसबॉल खेलों को शामिल किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • 32वें ग्रीष्मकालीन ओलंपियाड (टोक्यो 2020) का आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त, 2021 तक किया गया था। ओलंपिक खेल वर्ष 1948 से प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किये जाते हैं। हालाँकि टोक्यो ओलंपिक खेल, 2020 के आयोजन को कोविड महामारी के कारण वर्ष 2021 तक के लिये स्थगित कर दिया गया था।
  • ओलंपिक खेल, 2020 के लिये आधिकारिक आदर्श वाक्य- "यूनाइटेड बाय इमोशन" (United by Emotion) था। इस आदर्श वाक्य ने विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाने के लिये खेल की क्षमता पर बल दिया और उन्हें इस तरह से जुड़ने एवं जश्न मनाने की अनुमति दी जो प्रचलित मतभेदों से परे हो। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • टोक्यो ओलंपिक खेल, 2020 में रग्बी, स्पोर्ट क्लाइंबिंग, फेंसिंग, फुटबॉल, स्केटबोर्डिंग, हैंडबॉल, सर्फिंग, कराटे, बेसबॉल सहित कुल 46 ओलंपिक खेलों को शामिल किया गया। अत: कथन 2 सही है।

प्रश्न. खिलाड़ी ओलंपिक्स में व्यक्तिगत विजय और देश के गौरव के लिये भाग लेता है; वापसी पर विजेताओं पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा नकद प्रोत्साहनों की बौछार की जाती है। प्रोत्साहन के तौर पर पुरस्कार कार्यविधि के तर्काधार के मुकाबले, राज्य प्रायोजित प्रतिभा खोज और उसके पोषण के गुणावगुण पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2014)

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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