जैव विविधता और पर्यावरण
सतकोसिया बाघ अभयारण्य
- 26 Dec 2020
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) ने ओडिशा को सतकोसिया बाघ अभयारण्य (Satkosia Tiger Reserve) पर पर्यटन के प्रतिकूल प्रभाव पर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहा है।
प्रमुख बिंदु:
- भुवनेश्वर स्थित सतकोसिया बाघ अभयारण्य में मध्य ओडिशा के दो निकटवर्ती अभयारण्य नामतः सतकोसिया गॉर्ज अभयारण्य और बैसीपल्ली अभयारण्य शामिल हैं।
- वर्ष 2007 में दोनों अभयारण्यों के कुल 963.87 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करते हुए इस क्षेत्र को बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- छोटा नागपुर पठार और दक्कन के पठार के बीच फैले एक संक्रमणकालीन क्षेत्र में स्थित यह बाघ अभयारण्य दोनों जैविक क्षेत्रों के स्थानिक जीवन को प्रदर्शित करता है।
वनस्पति और प्राणी समूह:
- क्षेत्र में नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन और नम प्रायद्वीपीय साल वन पाए जाते हैं।
- यहाँ बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, चौसिंघा, स्लॉथ बीयर, जंगली कुत्ता, स्थानिक और प्रवासी पक्षी की विभिन्न प्रजातियाँ तथा विभिन्न प्रकार के सरीसृप आदि पाए जाते हैं।
मगरमच्छ संरक्षण:
- मार्च 1974 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) और खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के तकनीकी सहयोग से ओडिशा सरकार के वन विभाग ने मगरमच्छों के लिये एक प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया था।
- मार्च 1975 में घड़ियाल अनुसंधान और संरक्षण इकाई (Gharial Research and Conservation Unit- GRACU) की शुरुआत की गई थी, जिसने भारत में मगरमच्छ संरक्षण में अग्रणी कार्य किया है।
- GRACU द्वारा की जाने वाली गतिविधियों में संरक्षण के उद्देश्य से मगरमच्छों का प्रजनन तथा पाले गए मगरमच्छों को जंगलों में छोड़ना और उनका पुनर्वास शामिल है।
सतकोसिया गॉर्ज अभयारण्य (Satkosia Gorge Sanctuary):
- इसका नाम अंगुल से 60 किलोमीटर दक्षिण में स्थित टिकरपाड़ा के निकट महानदी के संकरे विस्तार जिसकी लंबाई “सत-कोष” या सात मील है, के आधार पर किया गया है।
- इस क्षेत्र को वर्ष 1976 में एक अभयारण्य घोषित किया गया था और यह ओडिशा के चार ज़िलों अर्थात् अंगुल, बुध, कटक और नयागढ़ में विस्तारित है।
- भारत के भू-आकृति विज्ञान में सतकोसिया गॉर्ज की विशेषता अनूठी है क्योंकि यहाँ महानदी पूर्वी घाट के ठीक दाईं ओर निकलती है और एक शानदार घाट का निर्माण करती है।
- प्राणी समूह: यह घड़ियाल, मगरमच्छ एवं दुर्लभ ताजे पानी के कछुए जैसे चित्रा इंडिका और भारतीय सॉफ्शेल कछुए के लिये जाना जाता है।
बैसीपल्ली अभयारण्य (Baisipalli Sanctuary):
- इस अभयारण्य का नाम इसके दायरे में मौजूद 22 बस्तियों के आधार पर रखा गया है।
- मई 1981 में इसे अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
- यह उस स्थान पर स्थित है जहाँ महानदी नयागढ़ ज़िले के पूर्वी घाट पहाड़ों में एक गॉर्ज से होकर गुजरती है।
- पूरा क्षेत्र दक्कन प्रायद्वीप जैव-भौगोलिक क्षेत्र (Deccan Peninsula Biogeographic Zone), पूर्वी पठार प्रांत और पूर्वी घाट सब-डिवीज़न का एक हिस्सा है।
- वनस्पति तथा प्राणी समूह: यहाँ साल वनों का प्रभुत्त्व है तथा बाघ, तेंदुआ, हाथी, चौसिंघा और जल-पक्षी एवं सरीसृप आदि प्रमुखता से पाए जाते हैं।
ओडिशा में प्रमुख संरक्षित क्षेत्र
राष्ट्रीय उद्यान:
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान
- सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान
वन्यजीव अभयारण्य:
- बदरमा वन्यजीव अभयारण्य
- चिलिका (नलबण) वन्यजीव अभयारण्य
- हदगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- कोटगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य
- लखारी घाटी वन्यजीव अभयारण्य
- गहिरमाथा (समुद्री) वन्यजीव अभयारण्य