जैव विविधता और पर्यावरण
नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क में स्लॉथ बीयर की मृत्यु
- 19 Sep 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:सुस्त भालू या स्लॉथ बीयर, एशियाई काला भालू, नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क मेन्स के लिये:लुप्तप्राय प्रजातियों का शिकार और उनके संरक्षण के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा के ‘नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क’ (Nandankanan Zoological Park) में लगातार दो स्लॉथ बीयर (Sloth Bear) की मृत्यु का मामला सामने आया है।
मुख्य बिंदु:
- नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क में 16 सितंबर, 2020 को एक 7 वर्षीय नर ‘स्लॉथ बीयर’ की मृत्यु हो गई थी।
- इसके अगले ही दिन (17 सितंबर) को एक 25 वर्षीय मादा स्लॉथ बीयर की भी समान लक्षणों के बाद मृत्यु हो गई, इस मादा स्लॉथ बीयर को सितंबर 2013 में राँची चिड़िया घर से नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क लाया गया था।
- गौरतलब है कि 30 अगस्त, 2020 को नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क में ही एक 28 वर्षीय हिमालयन ब्लैक बीयर (Himalayan black bear) की मृत्यु हो गई थी।
- वर्ष 2019 में ‘एलीफैंट एंडोथिलियोट्रोपिक हर्पीसवायरस’ (Elephant Endotheliotropic Herpesvirus- EEHV) के कारण एक माह के अंदर ही नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क के 8 में से 4 हाथियों की भी मृत्यु हो गई थी।
- EEHV से संक्रमित होने के बाद हाथियों के बिंबाणु या प्लेटलेट काउंट (Clatelet Count) में तीव्र गिरावट होती है जिससे उनमें आंतरिक रक्तस्राव होने लगता है।
नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क (Nandankanan Zoological Park):
- नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क की स्थापना वर्ष 1960 में की गई थी।
- यह ‘WAZA’ (World Association of Zoos & Aquarium) का सदस्य बनाने वाला भारत का पहला चिड़ियाघर है।
- WAZA, चिड़ियाघरों और एक्वैरियम, क्षेत्रीय संघों, राष्ट्रीय महासंघों का वैश्विक गठबंधन है, यह दुनिया भर में जानवरों और उनके आवासों की देखभाल और संरक्षण के लिये कार्य करता है।
- यह चिड़ियाघर दुनिया का पहला कैप्टिव मगरमच्छ प्रजनन केंद्र (Captive Crocodile Breeding Centre) था।
- भारतीय पैंगोलिन या इंडियन पैंगोलिन (Indian Pangolin) और सफेद बाघ (White Tiger) का प्रजनन केंद्र है।
सुस्त भालू या स्लॉथ बीयर (Sloth Bear):
- वैज्ञानिक नाम: मेलूरसस अर्सिनस (Melursus ursinus)
- वास स्थान: इसे हनी बीयर (Honey bear) और हिंदी भालु भी कहा जाता है, यह उर्सिडा/उर्सिडी (Ursidae) परिवार का हिस्सा है। ये भारत और श्रीलंका के उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
संरक्षण स्थिति:
- स्लॉथ बीयर को IUCN की रेडलिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की श्रेणी में रखा गया है।
- इसे ‘वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
- साथ ही भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत स्लॉथ बीयर के शिकार को प्रतिबंधित किया गया है।
- खतरा: निवास स्थान की हानि, शरीर के अंगों के लिये अवैध शिकार स्लॉथ बीयर की प्रजाति के लिये सबसे बड़ा खतरा है। स्लॉथ बीयर को तमाशा दिखाने या प्रदर्शन में उपयोग के लिये पकड़ लिया जाता है। साथ ही उनके आक्रामक व्यवहार और फसलों को नुकसान पहुँचाने के कारण भी स्लॉथ बीयर का शिकार किया जाता है।
हिमालयन काला भालू (Himalayan Black Bear):
- वैज्ञानिक नाम: उर्सस थिबेटेनस (Ursus thibetenus)
- वास स्थान: इसे एशियाई काला भालू (Asiatic Black Bear) भी कहा जाता है, ये दक्षिणी और पूर्वी एशिया के पहाड़ी और घने जंगली क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
संरक्षण स्थिति:
- एशियाई काले भालू को IUCN की रेडलिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की श्रेणी में रखा गया है।
- एशियाई काले भालू को ‘वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत एशियाई काले भालू के शिकार को प्रतिबंधित किया गया है।
खतरा:
- एशियाई काले भालू का शरीर के अंगों की तस्करी के लिये अवैध शिकार किया जाता है। इसके साथ ही वनोंमूलन, मानव बस्तियों और सड़कों के विस्तार के कारण इनके प्राकृतिक निवास स्थान को भी भारी क्षति पहुँची है।