शासन व्यवस्था
विदेश नीति को आकार देने में UPI की भूमिका
- 05 Sep 2023
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प्रिलिम्स के लिये:इंडिया स्टैक, डेटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA), डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस मेन्स के लिये:विदेशी निवेश आकर्षित करने में UPI की सफलता का महत्त्व, डिजिटल कूटनीति भारत के वैश्विक प्रभाव में किस प्रकार योगदान दे सकती है |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (United Payments Interface- UPI) के 10 अरब लेन-देन को पार करने के साथ ही भारत की डिजिटल ताकत नई ऊँचाइयों पर पहुँच गई है, जो न केवल घरेलू सफलता बल्कि विदेश नीति में इसकी प्रमुख भूमिका को भी दर्शाता है।
- UPI पर लेन-देन वर्ष-दर-वर्ष 50% से अधिक बढ़ा है। अक्तूबर 2019 में पहली बार UPI ने 1 बिलियन मासिक लेन-देन की सीमा को पार किया।
UPI का भारत की विदेश नीति में योगदान:
- डिजिटल कूटनीति:
- भारत का लक्ष्य डिजिटल प्रशासन को आगे बढ़ाकर ग्लोबल साउथ (Global South) में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना है।
- भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (Digital Public Infrastructure- DPI) पर ज़ोर विकासशील देशों में भौतिक बुनियादी ढाँचे के विकास पर चीन के फोकस से अलग है।
- अंतर्राष्ट्रीय विस्तार:
- जून 2023 से भारत ने इंडिया स्टैक साझा करने के लिये आर्मेनिया, सिएरा लियोन, सूरीनाम, एंटीगुआ और बारबुडा तथा पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- इसी तरह UPI की पहुँच फ्राँस, UAE, सिंगापुर और श्रीलंका जैसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों हुई है, जापान, मॉरीशस और सऊदी अरब जैसे देशों ने भुगतान प्रणाली को अपनाने में रुचि दिखाई है।
- ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोज़िटरी (GDPIR):
- भारत वैश्विक स्तर पर DPI पद्धत्ति को साझा करने के लिये GDPIR स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- GDPIR का लक्ष्य G20 सदस्यों और अन्य देशों के बीच DPI से संबंधित उपकरणों तथा संसाधनों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है।
- आर्थिक कूटनीति:
- UPI की सफलता विदेशी निवेश और साझेदारी को आकर्षित करती है, जो भारत के आर्थिक कूटनीतिक प्रयासों तथा द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में योगदान देती है।
इंडिया स्टैक:
- इंडिया स्टैक API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का एक सेट है जो सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप और डेवलपर्स को उपस्थिति-रहित, कागज़ रहित और कैशलेस सेवा वितरण की दिशा में भारत की कठिन समस्याओं को हल करने के लिये एक अद्वितीय डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- इंडिया स्टैक सरकार के नेतृत्व वाली एक पहल है जो विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न डिजिटल सेवाओं को सक्षम करने के लिये एक मज़बूत डिजिटल बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर केंद्रित है।
- इस संग्रह के घटकों का स्वामित्व और रखरखाव विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
- इंडिया स्टैक का लक्ष्य पहचान सत्यापन, डेटा विनिमय और डिजिटल भुगतान प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना एवं बढ़ाना है ताकि उन्हें नागरिकों के लिये अधिक सुलभ और कुशल बनाया जा सके।
- इसमें डिजिटल सार्वजनिक उत्पाद शामिल हैं, ये डिजिटल संसाधन तथा उपकरण विभिन्न डिजिटल सेवाओं और पहलों का समर्थन करने के लिये जनता को उपलब्ध कराए जाते हैं।
- इंडिया स्टैक में तीन प्रमुख लेयर शामिल हैं: पहचान, भुगतान और डेटा प्रबंधन।
- आइडेंटिटी लेयर (आधार):
- आधार डिजिटल पहचान वाले उत्पादों की पेशकश करते हुए इंडिया स्टैक की आधारशिला के रूप में कार्य करता है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है।
- आधार को निवास का प्रमाण माना जाता है, न कि नागरिकता का प्रमाण और यह भारत में निवास का कोई अधिकार नहीं देता है।
- पेमेंट्स लेयर (UPI):
- UPI की दूसरी लेयर धन संरक्षकों, पेमेंट रेल और फ्रंट-एंड पेमेंट अनुप्रयोगों के मध्य अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित करती है।
- नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा प्रबंधित PhonePe, Google Pay और Paytm जैसी तृतीय-पक्ष की निजी संस्थाओं को UPI का लाइसेंस दिया गया है।
- डेटा गवर्नेंस लेयर:
- डिजिटल लॉकर, डेटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर बनाया गया है, इसमें एक सहमति प्रबंधन प्रणाली शामिल है, जो बेहतर वित्तीय, स्वास्थ्य और दूरसंचार से संबंधित उत्पादों तथा सेवाओं की जानकारी को सुरक्षित रूप से साझा करने में सक्षम बनाती है।
- इसमें आधार केंद्रित डिजिटल पहचान वाले उत्पादों का सेट शामिल है। इसका उपयोग टू-फैक्टर या बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से दूरस्थ रूप से प्रमाणित करने, ड्राइविंग लाइसेंस, शैक्षिक डिप्लोमा और बीमा पॉलिसियों जैसे डिजिटल हस्ताक्षरित रिकॉर्ड प्राप्त करने तथा सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल हस्ताक्षर सेवा का उपयोग करके दस्तावेज़ों या संदेशों पर हस्ताक्षर करने के लिये किया जा सकता है।
- आइडेंटिटी लेयर (आधार):
- UPI के अतिरिक्त भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटलीकरण के क्षेत्र में कई कार्य किये हैं, जिनमें CoWin, डिजिलॉकर, आरोग्य सेतु और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) शामिल हैं, ये सभी भारतीय स्टैक की तीन मूलभूत लेयर्स का उपयोग करते हैं।
- इंडिया स्टैक का विज़न एक देश (भारत) तक सीमित नहीं है; इसे किसी भी राष्ट्र पर लागू किया जा सकता है, चाहे वह विकसित हो या विकासशील।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल1 उत्तर: (d) |