भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI का स्वर्ण भंडार
- 11 May 2023
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प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का विदेशी मुद्रा एवं स्वर्ण भंडार, अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (BIS), SDR, IMF मेन्स के लिये:भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एवं इसके प्रबंधन में केंद्रीय बैंक की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर 2022 से मार्च 2023 तक वित्त वर्ष 2022-23 में RBI का स्वर्ण भंडार 794.64 मीट्रिक टन तक पहुँच गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 (760.42 मीट्रिक टन) से लगभग 5% अधिक है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में आरक्षित अंश (Reserve Tranche) और विशेष आहरण अधिकार एवं विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के साथ स्वर्ण भंडार भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का निर्माण करते हैं।
RBI द्वारा स्वर्ण की खरीद:
- कुल भंडार:
- RBI के अनुसार, लगभग 437.22 टन स्वर्ण विदेशों में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास भंडारित है तथा लगभग 301.10 टन स्वर्ण का भंडार घरेलू स्तर पर किया गया है।
- 31 मार्च, 2023 तक देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 578.449 बिलियन डॉलर था और स्वर्ण भंडार 45.2 बिलियन डॉलर आँका गया था।
- मूल्य के संदर्भ में (अमेरिकी डॉलर में) मार्च 2023 के अंत तक कुल विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 7.81% हो गई।
- RBI ने वित्त वर्ष 2023 में 34.22 टन स्वर्ण (वित्त वर्ष 2022 में 65.11 टन स्वर्ण) खरीदा।
- वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2021 के मध्य RBI का स्वर्ण भंडार लगभग 228.41 टन था।
- विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) के क्षेत्रीय CEO (भारत) के अनुसार, RBI उन शीर्ष पाँच केंद्रीय बैंकों में शामिल है जिनके द्वारा स्वर्ण की खरीद की जा रही है।
अन्य बैंकों द्वारा स्वर्ण की खरीद:
- विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council- WGC) के अनुसार, मुख्य रूप से उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा स्वर्ण की खरीद की जा रही है।
- WGC की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सितंबर 2019 के बाद से अपने स्वर्ण भंडार में पहली वृद्धि दर्ज की।
- चीन ऐतिहासिक रूप से स्वर्ण का एक बड़ा खरीदार रहा है।
- वर्ष 2022 के दौरान मिस्र, कतर, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान सहित मध्य-पूर्व के केंद्रीय बैंकों ने अपने स्वर्ण भंडार में काफी वृद्धि की है।
- वर्ष 2022 के अंत तक उज़्बेकिस्तान का केंद्रीय बैंक स्वर्ण का खरीदार बन गया, जिसके स्वर्ण भंडार में 34 टन की वृद्धि हुई।
- जनवरी-मार्च 2023 में सिंगापुर का मौद्रिक प्राधिकरण अपने स्वर्ण भंडार में 69 टन की वृद्धि के बाद स्वर्ण की सबसे बड़ी एकल खरीदार संस्था बन गया।
RBI द्वारा स्वर्ण की जमाखोरी का कारण:
- नकारात्मक ब्याज दर के खिलाफ प्रतिरोधी रणनीति:
- जब RBI के पास अपने भंडार में विदेशी मुद्रा (USD) होती है, तो वह अमेरिकी सरकार के बॉण्ड्स, जिस पर यह ब्याज अर्जित करता है, को खरीदने के लिये इन डॉलर्स का निवेश करता है।
- हालाँकि अमेरिका में मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण इन बॉण्ड्स पर वास्तविक ब्याज नकारात्मक हो गया है।
- वास्तविक ब्याज दर वह ब्याज़ दर है जो निवेशक, बचतकर्त्ता या ऋणदाता को मुद्रास्फीति (वास्तविक ब्याज = मामूली ब्याज -मुद्रास्फीति दर) के समायोजन के बाद प्राप्त (या प्राप्त करने की अपेक्षा) होती है।
- इस प्रकार की मुद्रास्फीति के समय स्वर्ण की मांग बढ़ जाती है और इसका धारक होने के कारण RBI तनावग्रस्त आर्थिक परिस्थितियों में भी लाभांश प्राप्त कर सकता है।
- भू-राजनीतिक अनिश्चितता में सतर्कता: रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन के मध्य तनाव के चलते उत्पन्न अनिश्चितताओं के कारण रूस एवं चीन जैसे कुछ प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्त्ताओं द्वारा डॉलर की स्वीकृति में गिरावट देखी गई है।
- यदि RBI के पास डॉलर है और अन्य मुद्राओं की तुलना में इसका मूल्य कम होता है, तो यह RBI के लिये घाटा है।
- हाँलाकि स्वर्ण के आंतरिक मूल्य और इसकी सीमित आपूर्ति के कारण मुद्रा के अन्य रूपों की तुलना में स्वर्ण अपने मूल्य को अधिक समय तक बनाए रखने में सक्षम है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता: स्वर्ण एक मज़बूत, सुरक्षित, तरल संपत्ति है और संकट के समय एवं मूल्य के दीर्घकालिक भंडार के रूप में यह बेहतर प्रदर्शन करता है।
- स्वर्ण की एक अंतर्राष्ट्रीय कीमत है जो पारदर्शी होती है और इसका कभी भी कारोबार किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था में स्वर्ण का महत्त्व:
- आरक्षित मुद्रा के रूप में सोना: 20वीं सदी के अधिकांश समय के लिये सोने का प्रयोग विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में किया जाता था। वर्ष 1971 तक अमेरिका ने सोने को मानक के रूप में प्रयोग किया था, जहाँ कागज़ी मुद्रा का समर्थन करने के लिये सोने का समतुल्य भंडार होना आवश्यक था।
- अमेरिकी डॉलर और अन्य मुद्राओं की अस्थिरता के कारण कुछ अर्थशास्त्री सोने के मानक पर लौटने की वकालत करते हैं क्योंकि इसके प्रयोग को बंद कर दिया गया है।
- आंतरिक मूल्य: इसके अंतर्निहित मूल्य और सीमित आपूर्ति के कारण मुद्रास्फीति की अवधि में सोने की मांग में वृद्धि देखी जाती है। मुद्रा के अन्य रूपों की तुलना में सोना अपने मूल्य को अधिक समय तक बनाए रखने में सक्षम है क्योंकि इसे घटाया नहीं जा सकता है।
- मुद्रा की कीमत में वृद्धि के लिये सोना: किसी देश की मुद्रा की कीमत तब कम होने लगती है जब उसका आयात निर्यात से अधिक हो जाता है। एक देश जो शुद्ध निर्यातक है, उसकी मुद्रा की कीमत में वृद्धि देखी जाएगी।
- जैसा कि यह देश के कुल निर्यात की कीमत बढ़ाता है, एक देश जो स्वर्ण का निर्यात करता है या स्वर्ण के भंडार तक पहुँच रखता है, स्वर्ण की कीमतों में वृद्धि होने पर उसकी मुद्रा की मज़बूती में वृद्धि देखी जाएगी।
- जी-सेक के विकल्प के रूप में सोना: किसी देश का केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा (FDI के मामले में) के प्रभाव से बाज़ार को निष्फल करने के लिये एक माध्यम के रूप में स्वर्ण का उपयोग कर सकता है या खुले बाज़ार परिचालन (OMO) के लिये एक माध्यम के रूप में उपयोग कर सकता है।
- इन दोनों कार्यों में जी-सेक (G-Sec) के स्थान पर स्वर्ण का उपयोग किया जा सकता है।
नोट:
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 मुद्राओं, लिखतों, जारीकर्त्ताओं और प्रतिपक्षों के व्यापक मापदंडों के भीतर विभिन्न विदेशी मुद्रा आस्तियों एवं स्वर्ण भंडार का उपयोग करने के लिये व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रीलिम्स:प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण योजना' एवं 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना' का/के उद्देश्य क्या है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर) तथा विदेशों से ऋण उत्तर: (b) |