पृथ्वी विज्ञान योजना | 09 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) योजना, अक्रॉस योजना, ओ-स्मार्ट योजना, PACER मेन्स के लिये:पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, जलवायु परिवर्तन विज्ञान को समझने के लिये प्रारूप प्रणाली, सरकारी नीतियाँ, आपदा प्रबंधन |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्वी विज्ञान” (PRITHvi VIgyan- PRITHVI) को मंज़ूरी दी है।
- इस योजना में वर्तमान में चल रही पाँच उप-योजनाएँ शामिल हैं जिसका लक्ष्य पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में सुधार लाना तथा सामाजिक, पर्यावरण एवं आर्थिक कल्याण के लिये आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना है।
- मंत्रिमंडल ने संयुक्त रूप से एक “लघु उपग्रह” विकसित करने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) तथा मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल (MRIC) के बीच एक समझौते को भी मंज़ूरी दी।
नोट:
- भारत और मॉरीशस के बीच 1980 के दशक से सहयोग का इतिहास रहा है जब ISRO ने मॉरीशस में एक ग्राउंड स्टेशन की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य अपने प्रक्षेपण वाहन (Launch Vehicle) तथा उपग्रह मिशनों के लिये ट्रैकिंग व टेलीमेट्री संबंधी सहायता प्राप्त करना था।
“पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” योजना क्या है?
- परिचय:
- यह वर्ष 2021 से वर्ष 2026 की अवधि के दौरान कार्यान्वित की जाने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences- MoES) की एक व्यापक योजना है।
- इसमें वर्तमान में चल रही पाँच उप-योजनाएँ शामिल हैं जो निन्मलिखित हैं:
- अक्रॉस: वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रारूप निरीक्षण प्रणाली तथा सेवाएँ (Atmosphere and Climate Research-Modelling Observing Systems & Services-ACROSS)।
- ओ-स्मार्ट: महासागर सेवाएँ, प्रारूप अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (Ocean Services, Modelling Application, Resources and Technology-O-SMART)।
- पेसर: ध्रुवीय विज्ञान तथा क्रायोस्फीयर अनुसंधान (Polar Science and Cryosphere Research-PACER)।
- SAGE: भूकंप विज्ञान और भू-विज्ञान (Seismology and Geosciences)
- इस योजना में छह गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनमें भूकंपीय निगरानी और माइक्रोज़ोनेशन शामिल हैं। SAGE का लक्ष्य भूकंप की निगरानी और पृथ्वी के ठोस घटकों पर अनुसंधान को सुदृढ़ करना है।
- रीचआउट: अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच।
- PRITHVI योजना व्यापक रूप से भू-विज्ञान के पाँच घटकों: वायुमंडल, जलमंडल, भूमंडल, हिममंडल और जीवमंडल की देखरेख करती है।
- इस समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य समझ को बढ़ाना और देश के लिये विश्वसनीय सेवाएँ प्रदान करना है।
- उद्देश्य:
- पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्त्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिये वायुमंडल, महासागर, भूमंडल, हिममंडल तथा पृथ्वी के ठोस भाग के दीर्घकालिक अवलोकन को बढ़ाने एवं बनाए रखने के लिये।
- मौसम, महासागर और जलवायु संकटों को समझने, उनका पूर्वानुमान करने तथा जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिये मॉडलिंग सिस्टम का विकास।
- नई घटनाओं और संसाधनों के खोज की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय तथा उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज;
- सामाजिक अनुप्रयोगों के लिये समुद्री संसाधनों की खोज और संधारणीय दोहन के लिये प्रौद्योगिकी का विकास।
- पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि का सामाजिक, पर्यावरणीय तथा आर्थिक लाभ हेतु सेवाओं में रूपांतरण।
- भारत के लिये लाभ:
- PRITHVI चक्रवात, बाढ़, हीट वेव/ग्रीष्म लहर और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिये उन्नत चेतावनी सेवाएँ प्रदान करता है, जिससे त्वरित तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन की सुविधा मिलती है।
- इसके अतिरिक्त, यह योजना भूमि और महासागर दोनों के लिये सटीक मौसम पूर्वानुमान सुनिश्चित करती है, सुरक्षा बढ़ाती है तथा प्रतिकूल मौसम की स्थिति में संपत्ति के नुकसान को कम करती है।
- PRITHVI ने पृथ्वी के तीन ध्रुवों, आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय तक अपनी पहुँच का विस्तार किया है तथा इन स्थानों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है।
- यह योजना पृथ्वी विज्ञान में आधुनिक प्रगति के साथ तालमेल बिठाते हुए समुद्री संसाधनों की खोज और टिकाऊ दोहन के लिये प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करती है।
- PRITHVI चक्रवात, बाढ़, हीट वेव/ग्रीष्म लहर और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिये उन्नत चेतावनी सेवाएँ प्रदान करता है, जिससे त्वरित तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन की सुविधा मिलती है।