MCD एल्डरमैन को मनोनीत करने का LG का अधिकार | 07 Aug 2024

प्रिलिम्स के लिये:

लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG), एल्डरमैन, दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957, स्थानीय सरकार, वार्ड समिति, स्थायी समिति, अनुच्छेद 239AA, मंत्रिपरिषद, 69वाँ संशोधन अधिनियम, 1991, उद्देश्यपूर्ण निर्माण, संघवाद

मेन्स के लिये:

नई दिल्ली का शासन मॉडल और निर्वाचित विधानसभा तथा LG के बीच सत्ता का संघर्ष।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कहा कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद से परामर्श किये बिना दिल्ली नगर निगम (MCD) में "एल्डरमैन" को नामित कर सकते हैं।

MCD एल्डरमैन के नामांकन पर सर्वोच्च न्यायालय ने क्या निर्णय दिया?

  • सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 (DMC अधिनियम) की धारा 3, दिल्ली के LG को मंत्रिपरिषद से परामर्श किये बिना एल्डरमैन को नामित करने की “स्पष्ट” शक्ति प्रदान करती है।
  • अपना निर्णय देने के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ 2023 के पाँच न्यायाधीशों की पीठ  के निर्णय पर भरोसा किया।
    • वर्ष 2023 में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि जब बात राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की हो तो संसद को राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार होगा।
    • इस मामले में 'स्थानीय सरकार' के संबंध में कानून बनाना शामिल होगा, जो राज्य सूची के अंतर्गत आता है और DMC अधिनियम 1957 से संबंधित है।

एल्डरमैन के नामांकन में क्या मुद्दे थे?

  • संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA में यह प्रावधान है कि मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री को विधानसभा के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मामलों में उपराज्यपाल को “सहायता तथा सलाह” देनी चाहिये, सिवाय तब जब उपराज्यपाल को कानून के अनुसार विवेकानुसार कार्य करना हो।
    • दिल्ली विधानसभा को 'सार्वजनिक व्यवस्था', 'पुलिस' और 'भूमि' को छोड़कर अधिकांश विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है।
  • एल्डरमैन नामांकन: 3 जनवरी, 2023 को दिल्ली LG ने DMC अधिनियम, 1957 की धारा 3 के तहत 10 एल्डरमैन नामित किये।
  • कानूनी चुनौती: दिल्ली सरकार ने नामांकन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।
    • दिल्ली सरकार ने दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि LG को राज्य और समवर्ती सूची के तहत मामलों के लिये मंत्रिपरिषद की सहायता तथा सलाह का पालन करना चाहिये।
  • LG का तर्क: दिल्ली LG ने तर्क दिया कि DMC अधिनियम, 1957 उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना एल्डरमैन को नामित करने की शक्ति प्रदान करता है।

MCD में एल्डरमैन का पद क्या है?

  • एल्डरमैन के बारे में: एल्डरमैन किसी नगर परिषद या नगर निकाय के सदस्य को संदर्भित करता है।
    • यह मूल रूप से एक कबीले या जनजाति के बुजुर्गों को संदर्भित करता था और जल्द ही यह राजा के वाइसराय के लिये एक शब्द बन गया। बाद में यह एक अधिक विशिष्ट शीर्षक "एक काउंटी के मुख्य मजिस्ट्रेट" को दर्शाता है, जिसमें नागरिक तथा सैन्य दोनों कर्तव्य होते हैं।
    • एल्डरमैन से नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव की अपेक्षा की जाती है, जिनका कार्य सार्वजनिक महत्त्व के निर्णय लेने में सदन की सहायता करना होता है।
  • एल्डरमैन की भूमिका: दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम, 1957 के तहत दिल्ली को 12 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में एक 'वार्ड समिति' है जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि और मनोनीत एल्डरमैन शामिल हैं।
  • नामांकन: दिल्ली के उपराज्यपाल 10 एल्डरमैन को नामांकित कर सकते हैं जिनकी आयु कम-से-कम 25 वर्ष हो तथा जिन्हें नगरपालिका प्रशासन में अनुभव हो।
  • मतदान का अधिकार: एल्डरमैन MCD की बैठकों में मतदान नहीं करते हैं, लेकिन वार्ड समितियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहाँ वे मतदान कर सकते हैं और MCD स्थायी समिति के चुनाव में खड़े हो सकते हैं।
  • स्थायी समिति: यह समिति, जिसमें एल्डरमैन शामिल हैं, MCD के कार्यों का प्रबंधन करती है और 5 करोड़ रुपए से अधिक के अनुबंध, बजट संशोधन और अधिकारियों की नियुक्ति जैसे निर्णयों के लिये आवश्यक है।
    •  एल्डरमैन के बिना, स्थायी समिति का गठन नहीं किया जा सकता है, जिससे MCD  के प्रमुख कार्य रुक जाते हैं।

दिल्ली का शासन मॉडल क्या है?

  • 69वें संशोधन अधिनियम, 1991 ने अनुच्छेद 239AA जोड़ा, जिसने दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश का नाम बदलकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) कर दिया, जिसका प्रशासन LG द्वारा किया जाएगा, जो मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करता है।
    • 'सहायता और सलाह' नियम केवल उन मामलों पर लागू होता है, जहाँ दिल्ली विधानसभा के पास अधिकार है, जिसमें राज्य और समवर्ती सूची के विषय शामिल हैं। यह सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि पर लागू नहीं होता है।
  • साथ ही, अनुच्छेद 239AA, LG को मंत्रिपरिषद के साथ 'किसी भी मामले' पर मतभेद को राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार देता है।
  • दिल्ली के शासन मॉडल पर न्यायपालिका की राय: दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ, 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने निम्नलिखित निर्णय दिये।
    • उद्देश्यपूर्ण निर्माण: न्यायालय ने उद्देश्यपूर्ण निर्माण के नियम का उपयोग करते हुए कहा कि 69वें संशोधन अधिनियम, 1991 के पीछे के उद्देश्य अनुच्छेद 239AA की व्याख्या का मार्गदर्शन करेंगे।
      • इसका अर्थ है कि अनुच्छेद 239AA संघवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों को शामिल करता है, जो दिल्ली को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में एक विशिष्ट दर्जा देता है। 
    • LG को सहायता और सलाह पर कार्य करना होगा: न्यायालय ने घोषणा की कि LG मंत्रिपरिषद की “सहायता और सलाह” से बंधे हैं, यह देखते हुए कि दिल्ली विधानसभा के पास समवर्ती सूची में शामिल सभी विषयों और राज्य सूची में तीन बहिष्कृत विषयों (सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि) को छोड़कर सभी पर कानून बनाने की शक्ति है। 
      • LG को मंत्रिपरिषद की “सहायता और सलाह” पर कार्य करना चाहिए, सिवाय इसके कि जब वह किसी मामले को अंतिम निर्णय के लिये राष्ट्रपति के पास भेजता है।
    • कोई भी मामला प्रत्येक मामला नहीं होता: सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि LG केवल असामान्य मामलों में ही किसी मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं, न कि मंत्रिपरिषद के साथ प्रत्येक असहमति के लिये। 
    • LG एक सुविधाकर्त्ता के रूप में: LG निर्वाचित मंत्रिपरिषद के विरोधी के रूप में कार्य करने के बजाय एक समन्वयक के रूप में कार्य करेगा।
    • नई दिल्ली को राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता: साथ ही, न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि संवैधानिक योजना के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।

निष्कर्ष

सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दिल्ली का शासन संवैधानिक विश्वास और सहयोग पर निर्भर करता है। सहायकता के सिद्धांत के लिये सुव्यवस्थित स्थानीय सरकारों की आवश्यकता होती है, इसलिये भारत को जकार्ता, सियोल, लंदन व पेरिस जैसे वैश्विक मेगासिटीज़ के उदाहरण का अनुसरण करते हुए शहर की सरकारों को अधिक शक्ति प्रदान करनी चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के मुख्य बिंदु क्या हैं और किन मुद्दों ने दिल्ली के निर्वाचित प्रतिनिधियों और लेफ्टिनेंट गवर्नर के बीच संघर्ष का कारण बना है? स्पष्ट कीजिये।

69वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1991

  UPSC यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स 

प्रश्न. 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के उन अत्यावश्यक तत्त्वों और विषमताओं, यदि कोई हों, पर चर्चा कीजिये, जिन्होंने दिल्ली के प्रशासन में निर्वाचित प्रतिनिधियों और उप-राज्यपाल के बीच हाल में समाचारों में आए मतभेदों को उत्पन्न कर दिया है। क्या आपके विचार में इससे भारतीय परिसंघीय राजनीति के प्रकार्यण में एक नई प्रवृत्ति का उदय होगा? (2016)

प्रश्न. क्या उच्चतम न्यायालय का निर्णय (जुलाई 2018) दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच राजनैतिक कशमकश को निपटा सकता है? परीक्षण कीजिये। (2018)