वायुमंडलीय नदियों का ध्रुव की ओर स्थानांतरण | 28 Oct 2024
प्रिलिम्स के लिये:वायुमंडलीय नदी, पाइनएप्पल एक्सप्रेस, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA)। मेन्स के लिये:वायुमंडलीय नदी, भौगोलिक विशेषताएँ और उनका स्थान, वायुमंडलीय नदियों का ध्रुव की ओर स्थानांतरण, वैश्विक मौसम पैटर्न पर इनके स्थानांतरण का प्रभाव, वायुमंडलीय नदियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि पिछले 40 वर्षों में वायुमंडलीय नदियाँ 6 से 10 डिग्री तक ध्रुव की ओर स्थानांतरित हुई हैं, जिससे वैश्विक मौसम पैटर्न प्रभावित हुआ है।
- इस बदलाव के कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा बढ़ रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या तीव्र हो रही है, जिसका जल संसाधनों और जलवायु स्थिरता पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है।
वायुमंडलीय नदियाँ क्या हैं?
परिचय:
- वायुमंडलीय नदियाँ (ARs) वायुमंडल में नमी की लंबी, संकीर्ण पट्टियाँ हैं जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से मध्य अक्षांश क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों (विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर) में बड़ी मात्रा में जलवाष्प का परिवहन करती हैं।
- उदाहरण के लिये "पाइनएप्पल एक्सप्रेस" एक वायुमंडलीय नदी है जो हवाई के निकट उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र से गर्म, आर्द्र वायु को उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट, विशेष रूप से कैलिफोर्निया तक पहुँचाती है।
AR के निर्माण के लिये आवश्यक शर्तें:
- प्रबल निम्न-स्तरीय पवनें: ये पवनें जलवाष्प के परिवहन के लिये मार्ग के रूप में कार्य करती हैं तथा उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में जेट धाराएँ उच्च गति वाले चैनलों के रूप में कार्य करती हैं, जो कभी-कभी 442 किमी/घंटा (275 मील प्रति घंटे) तक पहुँच जाती हैं।
- उच्च नमी स्तर: वर्षा प्रक्रिया शुरू होने के लिये पर्याप्त नमी महत्त्वपूर्ण है।
- ऑरोग्राफिक लिफ्ट: जब नम वायु पहाड़ों जैसे ऊँचे इलाकों में प्रवाहित होती है तो ये ऊपर उठते ही ठंडी हो जाती है। इस शीतलन प्रक्रिया से नमी बढ़ती है, जिससे बादल बनते हैं और उपयुक्त परिस्थितियों में वर्षा होती है।
श्रेणियाँ:
- श्रेणी 1 (कमज़ोर): श्रेणी 1 वायुमंडलीय नदी एक हल्की और संक्षिप्त मौसमी घटना होगी जिसका मुख्य रूप से लाभकारी प्रभाव होगा, जैसे 24 घंटे की मामूली वर्षा।
- श्रेणी 2 (मध्यम): श्रेणी 2 वायुमंडलीय नदी एक मध्यम तूफान है जिसका अधिकतर लाभकारी प्रभाव होता है, लेकिन कुछ हद तक हानिकारक भी होता है।
- श्रेणी 3 (मज़बूत): श्रेणी 3 की वायुमंडलीय नदी लाभकारी एवं खतरनाक प्रभावों के संतुलन के साथ अधिक शक्तिशाली और दीर्घकालिक होती है। उदाहरण के लिये इस श्रेणी का तूफान 36 घंटों में 5-10 इंच वर्षण करने में सक्षम है, जो जलाशयों का पुनर्भरण करने के लिये पर्याप्त है, लेकिन यह कुछ नदियों को बाढ़ की स्थितियों के निकट भी पहुँचा सकता है।
- श्रेणी 4 (चरम): श्रेणी 4 वायुमंडलीय नदी अधिकतर खतरनाक होती है हालाँकि इसके कुछ लाभकारी पहलू भी होते हैं। इस श्रेणी का तूफान कई दिनों तक भारी वर्षा करने में सक्षम है जिससे कई नदियाँ बाढ़ की स्थिति में आ सकती हैं।
- श्रेणी 5 (असाधारण): श्रेणी 5 वायुमंडलीय नदी मुख्य रूप से खतरनाक है।
मुख्य विशेषताएँ:
- लंबाई: प्रायः "आकाश में बहने वाली नदियों" के रूप में संदर्भित वायुमंडलीय नदियाँ हजारों किलोमीटर की हो सकती हैं तथा स्थलीय नदियों के समान इनका आकार एवं क्षमता भी भिन्न हो सकती है।
- मौसमी घटना: उत्तरी गोलार्द्ध में ये आमतौर पर दिसंबर और फरवरी के बीच मिलती हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में ये जून से अगस्त तक मिलना सामान्य हैं।
- अगस्त 2022 में न्यूज़ीलैंड में एक वायुमंडलीय नदी से रिकॉर्ड वर्षा, बाढ़ और विस्थापन देखने को मिला।
- दिसंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच कैलिफोर्निया में 12 वायुमंडलीय नदियों के परिणामस्वरूप तीव्र वर्षा, बाढ़ और वायु से क्षति देखने को मिली।
- जलवाष्प क्षमता: एक औसत वायुमंडलीय नदी में मिसिसिपी नदी के मुहाने पर प्रवाहित जल के बराबर जलवाष्प हो सकती है तथा असाधारण रूप से बड़ी नदियाँ इसकी मात्रा से 15 गुना अधिक जल वाष्प ले जाने में सक्षम होती हैं।
- परिवर्तनशीलता: कोई भी दो वायुमंडलीय नदियाँ एक जैसी नहीं होती हैं; उनकी विशेषताएँ वायुमंडलीय अस्थिरता और जेट स्ट्रीम पैटर्न जैसे कारकों के आधार पर भिन्न होती हैं।
- प्रभाव: वायुमंडलीय नदियाँ लाभदायक वर्षा और विनाशकारी बाढ़ दोनों उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे मौसम के पैटर्न को प्रभावित करने में इनकी दोहरी भूमिका उजागर होती है।
भूमि पर पहुँचती नदी का वायुमंडलीय दृश्य:
- जब वायुमंडलीय नदी भूमि पर पहुँचती है तो नमी युक्त वायु ऊपर उठती है और पर्वत श्रृंखलाओं पर ठंडी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भारी वर्षा होती है। सर्दियों के तूफानों के विपरीत वायुमंडलीय नदियाँ गर्म होती हैं, जिससे तेज़ी से बर्फ पिघलती है, अपवाह होता है और बाढ़ आती है, जिससे संबंधित क्षेत्रों की जल आपूर्ति प्रभावित होती है।
जलवायु परिवर्तन की भूमिका:
- जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर औसत तापमान बढ़ रहा है, जिससे वायुमंडल में अधिक जलवाष्प जाने से वायुमंडलीय नदियों को नुकसान पहुँचने की संभावना बढ़ रही है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि मानवजनित कारकों के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध में वायुमंडलीय नदियाँ प्रति दशक 0.72° तक ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं।
- ये बदलाव समुद्र के तापमान, वायुमंडलीय CO2 के स्तर और ओज़ोन परत को प्रभावित करते हैं।
- जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता जाएगा, वायुमंडलीय नदियों की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में 40% तक अधिक वर्षा होगी।
नोट:
- वायुमंडलीय नदी पृथ्वी की सतह पर एक भौतिक नदी नहीं है बल्कि वायुमंडल में एक अदृश्य, लंबे चैनल के रूप में है जिससे बड़ी मात्रा में जलवाष्प का परिवहन होने के साथ मौसम की स्थिति और वर्षा प्रभावित होती है।
वायुमंडलीय नदियों की क्या भूमिका है?
- सकारात्मक भूमिका:
- मीठे जल का पुनर्वितरण: AR कई क्षेत्रों में औसत वार्षिक अपवाह के 50% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार हैं। उदाहरण के लिये कैलिफोर्निया की वार्षिक वर्षा का 50% AR पर निर्भर है, जिससे ये जल आपूर्ति और कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं।
- वैश्विक जल चक्र: AR वैश्विक जल चक्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिससे जल आपूर्ति और बाढ़ के जोखिम दोनों पर प्रभाव (खासकर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में) पड़ता है। ये मौसम के पैटर्न को प्रमुख रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
- बर्फ का जमाव: सर्दियों के दौरान वायुमंडलीय नदियों से बर्फ का जमाव होता है, जो बाद में पिघलकर गर्म महीनों में जल स्तर को बनाए रखती है। बर्फ के ढेर सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह को ठंडा रखने में मदद मिलती है।
- नकारात्मक भूमिका:
- बाढ़: अत्यधिक वर्षा से मृदा संतृप्ति हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ सकती (विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ पर्याप्त वनस्पति नहीं होती) है।
- भूस्खलन और मृदा अवतलन: खड़ी ढलान, वन रहित क्षेत्र और भारी मात्रा में वर्षा से भूस्खलन और मृदा अवतलन का खतरा बढ़ जाता है।
- सूखा: वायुमंडलीय नदियों की कमी से लंबे समय तक सूखा पड़ सकता है, जिससे जल की कमी एवं खाद्य असुरक्षा के साथ मानवीय संघर्षों में वृद्धि हो सकती है।
भारत में वायुमंडलीय नदियाँ:
- एक अध्ययन से पता चला है कि वायुमंडलीय नदियाँ (AR) वर्ष 1985 और 2020 के बीच भारत में 70% बाढ़ का कारण (विशेष रूप से ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान) बनी हैं।
- वर्ष 2013 की उत्तराखंड बाढ़ और वर्ष 2018 की केरल बाढ़ जैसी प्रमुख घटनाएँ AR से संबंधित थीं।
- शोधकर्त्ताओं ने वर्ष 1951 से 2020 तक 596 प्रमुख AR घटनाएँ दर्ज़ कीं, जिनमें से 95% से अधिक मानसून के दौरान घटित हुईं।
- वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण तीव्र मौसमी परिवर्तनों की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि हुई है, जिसके कारण अत्यधिक वर्षा और बाढ़ की समस्या हो रही है।
- अध्ययन में भारत में बाढ़ के लिये बेहतर निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, क्योंकि गर्म महासागरीय तापमान के कारण बाढ़ की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।
वायुमंडलीय नदियों का स्थानांतरण ध्रुवों की ओर क्यों हो रहा है?
- समुद्र के सतह के तापमान में परिवर्तन: वर्ष 2000 से पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के सतह के तापमान में कमी आने के कारण वायुमंडलीय नदियाँ ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं, जो ला नीना स्थितियों से संबंधित है।
- परिणामस्वरूप, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लंबे समय तक जल की कमी हो सकती है, जबकि उच्च अक्षांशों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ देखने को मिल सकती है।
- वॉकर परिसंचरण: ला नीना के दौरान पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में वॉकर परिसंचरण मज़बूत होता है जिससे उष्णकटिबंधीय वर्षा बेल्ट का विस्तार होता है। यह परिवर्तन, वायुमंडलीय भंवर पैटर्न में परिवर्तन के साथ मिलकर, उच्च दाब विसंगतियाँ पैदा करता है जिससे AR का ध्रुवों की ओर स्थानांतरण होता है।
- वॉकर परिसंचरण भूमध्य रेखा के चारों ओर वायु संचलन का एक चक्रीय पैटर्न है जो जलवायु और मौसम में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- दीर्घकालिक जलवायु रुझान: IPCC की रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक काल से पहले की तुलना में वैश्विक तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। गर्म परिस्थितियों से जेट स्ट्रीम पैटर्न में बदलाव के साथ ये ध्रुव की ओर स्थानांतरित हुई हैं। यह स्थानांतरण AR को उच्च अक्षांशों की ओर प्रेरित करता है, जिससे मौसम का पैटर्न प्रभावित होता है और उन क्षेत्रों में चरम घटनाओं की आवृत्ति बढ़ जाती है।
वायुमंडलीय नदियों के ध्रुव की ओर स्थानांतरण के क्या निहितार्थ हैं?
- जल संसाधन प्रबंधन: कैलिफोर्निया और दक्षिणी ब्राज़ील जैसे उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र (जो वर्षा के लिये काफी हद तक AR पर निर्भर हैं) AR के कम होने के कारण लंबे समय तक जल की कमी का सामना कर सकते हैं। इससे कृषि और स्थानीय समुदायों के लिये मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
- बाढ़ और भूस्खलन में वृद्धि: अमेरिका के प्रशांत उत्तर-पश्चिम, यूरोप और यहाँ तक कि ध्रुवीय क्षेत्रों जैसे उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिल सकता है, क्योंकि आर्कटिक की ध्रुव की ओर गति के कारण बुनियादी ढाँचे और सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- आर्कटिक जलवायु प्रभाव: आर्कटिक में AR से समुद्री बर्फ पिघलने में तेज़ी आ सकती है।
- शोध में पाया गया कि वर्ष 1979 से आर्कटिक क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन नमी में 36% की वृद्धि के लिये वायुमंडलीय नदियों का योगदान है।
- पूर्वानुमान संबंधी चुनौतियाँ: प्राकृतिक प्रक्रियाओं की परिवर्तनशीलता (जैसे कि अल नीनो और ला नीना के बीच उतार-चढ़ाव) से भविष्य में नदी के वायुमंडलीय व्यवहार के बारे में पूर्वानुमान लगाना जटिल हो जाता है।
- वर्तमान जलवायु मॉडल इन प्राकृतिक परिवर्तनशीलताओं को कम आंक सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौसम के पैटर्न और जल उपलब्धता के पूर्वानुमान की गलत गणनाएँ हो सकती हैं।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय नदियों के ध्रुवों की ओर स्थानांतरण से वैश्विक मौसम पैटर्न में व्यवधान हो रहा है। इससे उच्च अक्षांशों में वर्षा और बाढ़ में वृद्धि हो सकती है जबकि निचले अक्षांशों में गंभीर सूखे की स्थिति हो सकती है। इन प्रभावों को कम करने के लिये, मौसम पूर्वानुमान में सुधार करना, जल अवसंरचना में निवेश करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वायुमंडलीय नदियाँ क्या हैं? जलवायु परिवर्तन उनके व्यवहार और प्रभाव को किस प्रकार प्रभावित करता है? |
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