प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 | 28 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कंपोस्टेबल प्लास्टिक, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, माइक्रोप्लास्टिक्स मेन्स के लिये:प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 और इसका महत्त्व, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन किया।
- नियमों में किये गए ये परिवर्तन भारत में प्लास्टिक, विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक्स को लक्षित कर और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के संबंध में सख्त मानदंड निर्धारित करके, प्रदूषण की रोकथाम करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रयास का संकेत देते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 से सबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक:
- संशोधन के बाद बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो मृदा और भराव क्षेत्र (landfill) जैसे विशिष्ट वातावरणों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बिना कोई माइक्रोप्लास्टिक छोड़े पूर्ण रूप से नष्ट होने में सक्षम है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स का तत्पार्य जल में अविलेय (Insoluble) किसी भी ठोस प्लास्टिक कण से है, जिसका आयाम 1 माइक्रोन और 1,000 माइक्रोन (1 माइक्रोन एक मिलीमीटर का एक हज़ारवाँ हिस्सा है) के बीच है।
- हाल के वर्षों में ये नदियों और महासागरों को प्रभावित करने वाले प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखे गए हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक्स का तत्पार्य जल में अविलेय (Insoluble) किसी भी ठोस प्लास्टिक कण से है, जिसका आयाम 1 माइक्रोन और 1,000 माइक्रोन (1 माइक्रोन एक मिलीमीटर का एक हज़ारवाँ हिस्सा है) के बीच है।
- संशोधन के बाद बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो मृदा और भराव क्षेत्र (landfill) जैसे विशिष्ट वातावरणों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बिना कोई माइक्रोप्लास्टिक छोड़े पूर्ण रूप से नष्ट होने में सक्षम है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स परीक्षण:
- अद्यतन नियमों के तहत प्लास्टिक में माइक्रोप्लास्टिक्स की अनुपस्थिति प्रामाणित करने वाले रासायनिक परीक्षण अथवा इन्हें समाप्त करने के लिये माइक्रोप्लास्टिक्स की न्यूनतम मात्रा के संबंध में जानकारी निर्दिष्ट नहीं की गई है।
- "आयातक" की विस्तारित परिभाषा:
- इस परिभाषा में अब प्लास्टिक से संबंधित विभिन्न सामग्रियों जैसे पैकेजिंग, कैरी बैग, चादरें, कच्चे माल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये प्लास्टिक विनिर्माण में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्री का आयात शामिल है।
- इससे पूर्व "आयातक" का तात्पर्य प्लास्टिक पैकेजिंग, प्लास्टिक पैकेजिंग वाले उत्पाद, कैरी बैग, बहुस्तरीय पैकेजिंग, प्लास्टिक शीट अथवा संबद्ध वस्तुओं का आयात करने वाले व्यक्ति से था।
- इस परिभाषा में अब प्लास्टिक से संबंधित विभिन्न सामग्रियों जैसे पैकेजिंग, कैरी बैग, चादरें, कच्चे माल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये प्लास्टिक विनिर्माण में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्री का आयात शामिल है।
- "विनिर्माता" की समावेशी परिभाषा:
- विनिर्माता की परिभाषा में अब प्लास्टिक के कच्चे माल, कंपोस्टेबल प्लास्टिक और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के उत्पादन में सहलग्न लोगों को शामिल किया गया है जो इस पद के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की एक विस्तृत शृंखला को दर्शाता है।
- "उत्पादक" का विस्तारित दायरा:
- इस दायरे में प्लास्टिक पैकेजिंग के विनिर्माण के अतिरिक्त, प्लास्टिक पैकेजिंग में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्रियों का उत्पादन और ब्रांड मालिकों के लिये अनुबंध विनिर्माण भी शामिल किया गया है।
- प्रमाणन आवश्यकता:
- विनिर्माताओं को कंपोस्टेबल अथवा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक से कैरी बैग और वस्तुओं का उत्पादन करने की अनुमति है तथा उन्हें अपने उत्पादों के विपणन अथवा बिक्री से पूर्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा।
नोट:
- माइक्रोप्लास्टिक की दो श्रेणियाँ हैं: प्राथमिक और द्वितीयक।
- प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे कण होते हैं जिन्हें व्यावसायिक उपयोग के लिये डिज़ाइन किया जाता है और कपड़ों तथा अन्य वस्त्रों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, प्लास्टिक छर्रों और प्लास्टिक फाइबर में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स।
- द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक सूर्य के विकिरण और समुद्र की लहरों जैसे पर्यावरणीय कारकों के संपर्क के कारण पानी की बोतलों जैसे बड़े प्लास्टिक सामग्रियों के विखंडन से उत्पन्न होते हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक्स विभिन्न रसायनों, एंटीबायोटिक-रोधी बैक्टीरिया और रोगजनकों के वाहक के रूप में कार्य करते हैं जिससे उनके जल उपचार प्रक्रिया के संपर्क में आने से जलीय जीवन तथा मानव स्वास्थ्य के लिये जोखिम उत्पन्न होता हैं।
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और कंपोस्टेबल प्लास्टिक क्या हैं?
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक |
कम्पोस्टेबल प्लास्टिक |
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परिभाषा |
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पर्यावरणीय लाभ |
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संभावित नुकसान |
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भारत में हाल के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम क्या हैं?
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, प्लास्टिक अपशिष्ट के उत्पादन को कम करने, प्लास्टिक अपशिष्ट को फैलने से रोकने और अन्य उपायों के बीच स्रोत पर अपशिष्ट का अलग भंडारण सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने पर ज़ोर देता है।
- PWM नियम, 2016 में निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक पर विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी डाली गई है तथा EPR उपभोक्ता-पूर्व एवं उपभोक्ता-पश्चात् प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट दोनों पर लागू होगा।
- प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई 40 माइक्रोन से बढ़ाकर 50 माइक्रोन कर दी गई और प्लास्टिक शीट के लिये न्यूनतम मोटाई 50 माइक्रोन निर्धारित की गई।
- प्रयोज्यता के क्षेत्राधिकार को नगरपालिका क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायत को दी गई है।
- व्यक्तिगत और थोक जनरेटरों के लिये स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण की शुरुआत।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2018:
- मल्टी-लेयर प्लास्टिक (पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त या उपयोग की जाने वाली सामग्री और प्लास्टिक की कम-से-कम एक परत) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना अब उन MLP पर लागू होता है जो "गैर-पुनर्चक्रण योग्य या गैर-ऊर्जा पुनर्प्राप्ति योग्य या बिना किसी वैकल्पिक उपयोग के हैं।"
- प्लास्टिक के उत्पादक/आयातक/ब्रांड मालिक के पंजीकरण के लिये एक केंद्रीय पंजीकरण प्रणाली निर्धारित की गई।
- निर्माता/आयातक/ब्रांड मालिक के पंजीकरण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा केंद्रीकृत पंजीकरण प्रणाली विकसित की जाएगी।
- नियमों का उद्देश्य उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों के लिये पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, साथ ही गैर-पुनर्चक्रण योग्य बहुस्तरीय प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से हटाने हेतु एक तंत्र भी प्रदान करना है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021:
- वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की पहचान पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनकी उपयोगिता कम है और अपशिष्ट फैलाने की संभावना अधिक है।
- 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टाइनिन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित कुछ एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री तथा उपयोग पर प्रतिबंध।
- एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से कवर नहीं होने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट को विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी के माध्यम से पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ तरीके से एकत्र तथा प्रबंधित किया जाएगा।
- यह ज़िम्मेदारी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के माध्यम से कानूनी रूप से लागू की गई है।
- 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन तक बढ़ाना।
- वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की पहचान पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनकी उपयोगिता कम है और अपशिष्ट फैलाने की संभावना अधिक है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022:
- प्लास्टिक पैकेजिंग के लिये EPR पर दिशा-निर्देश पेश किये गए। ये दिशा-निर्देश EPR, प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट के पुनर्चक्रण, कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग के पुन: प्रयोग एवं पुनर्नवीनीकृत प्लास्टिक सामग्री के प्रयोग के लिये अनिवार्य लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
- प्रदूषणकर्त्ता भुगतान सिद्धांत के आधार पर, EPR लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहने वालों पर पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाया जाएगा।
- इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना, उसमें सुधार करना और प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना तथा इसे कम करना है।
- यह सिद्धांत पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये प्रदूषकों को ज़िम्मेदार मानता है, भले ही उनका इरादा कुछ भी हो।
- ये दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट पर अंकुश लगाने के लिये अन्य कौन-सी पहल की गई हैं?
- स्वच्छ भारत मिशन
- इंडिया प्लास्टिक पैक्ट
- प्रोजेक्ट REPLAN
- अन-प्लास्टिक कलेक्टिव
- GoLitter पार्टनरशिप प्रोजेक्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- CPCB का गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- CPCB को वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत शक्तियाँ और कार्य भी सौंपे गए थे।
- यह एक फील्ड फॉर्मेशन के रूप में कार्य करता है और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ प्रदान करता है।
- इसके प्रमुख कार्यों में जलस्रोतों और कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, वायु की गुणवत्ता में सुधार करना तथा जल एवं वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना या कम करना शामिल है।
और पढ़ें: एकल-उपयोग प्लास्टिक के विरुद्ध भारत की लड़ाई, एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध, वर्ष 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में 'विस्तारित उत्पादक दायित्व' आरंभ किया गया था? (2019) (a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 1998 उत्तर: (c) Q.2 राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है ? (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाने वाली 'सूक्ष्ममणिकाओं (माइक्रोबीड्स)' के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है? (2019) (a) ये समुद्री पारितंत्रों के लिये हानिकारक मानी जाती हैं। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) |