पेनिसिलिन G और PLI योजना | 11 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना, एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट, आत्मनिर्भरता, कोविड-19,

मेन्स के लिये:

पेनिसिलिन G और PLI योजना, PLI योजना– महत्त्व तथा मुद्दे

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत का आखिरी संयंत्र बंद होने के तीन दशक बाद, भारत द्वारा वर्ष 2024 में सामान्य एंटीबायोटिक पेनिसिलिन G का निर्माण प्रारंभ किया जाएगा। यह घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये कोविड-19 के दौरान शुरू की गई सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना की सफलताओं में से एक है।

  • पेनिसिलिन G एक एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट है जिसका प्रयोग कई सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
  • API जिसे बल्क ड्रग्स भी कहा जाता है, दवाओं के निर्माण में महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। चीन का हुबेई प्रांत API विनिर्माण उद्योग का केंद्र है।

भारत में पेनिसिलिन का निर्माण क्यों बंद हो गया?

  • विनिर्माण का बंद होना:
    • पेनिसिलिन G, भारत में निर्मित कई अन्य सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयवों (API) के साथ, बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी मूल्य वाले चीनी विकल्पों की बहुतायत के कारण बंद होने का सामना करना पड़ा।
    • 1990 के दशक के दौरान, कम-से-कम पाँच कंपनियाँ देश के भीतर पेनिसिलिन G के उत्पादन में लगी हुई थीं। हालाँकि चीनी समकक्षों की काफी कम कीमतों ने भारतीय निर्माताओं को आर्थिक रूप से अव्यवहार्य बना दिया, जिससे उनका परिचालन बंद हो गया।
    • इसके अतिरिक्त, औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, जिसने आवश्यक दवाओं पर मूल्य सीमा लागू की, ने सस्ते आयातित उत्पादों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया।
      • उदाहरण के लिये, भारत ने शुरू में पेरासिटामोल लगभग 800 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचा, लेकिन चीनी प्रतिस्पर्धियों के प्रवेश से कीमतें लगभग 400 रुपए प्रति किलोग्राम तक कम हो गईं, जिससे घरेलू उत्पादन आर्थिक रूप से अलाभकारी हो गया।
  • पुनरुद्धार में विलंब:
    • पहले, घरेलू स्तर पर पेनिसिलिन विनिर्माण को पुनर्जीवित करने की बहुत कम आवश्यकता थी, क्योंकि वैश्विक बाज़ार में सस्ते विकल्प आसानी से उपलब्ध थे।
    • महामारी के दौरान आपूर्ति शृंखला में व्यवधान ने एक चेतावनी के रूप में कार्य किया, जो आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
      • परिणामस्वरूप, सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये PLI योजना शुरू की।
    • पर्याप्त प्रारंभिक लागत एक महत्त्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करती है, विशेष रूप से पेनिसिलिन जी जैसे किण्वित, जिसके लिये अत्यधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, साथ ही इससे लाभ प्राप्त करने में प्राय: वर्षों लग जाते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, चीन पहले से ही एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता के रूप में उभरा है, जिसने पिछले तीन दशकों में अपनी विनिर्माण क्षमताओं में उल्लेखनीय विस्तार किया है।
    • उनकी कीमतों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने हेतु सुविधाओं में बड़े निवेश की आवश्यकता होगी।
  • PLI योजनाओं का प्रभाव:
    • योजना के कार्यान्वयन के बाद API आयात में उल्लेखनीय कमी आई है।
      • उदाहरण के लिये, पेरासिटामोल का आयात महामारी से पहले के स्तर की तुलना में आधा हो गया है।
    • हालाँकि, इस गिरावट के बावजूद  API का एक बड़ा हिस्सा, विशेष रूप से एंटीबायोटिक दवाओं के लिये अभी भी आयात किया जाता है, जो घरेलू  API  विनिर्माण में अधिक विकास की आवश्यकता को उजागर करता है।
    • PLI योजना प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिसमें किण्वन-आधारित थोक दवाओं जैसे एंटीबायोटिक्स, एंज़ाइम एवं हार्मोन जैसे इंसुलिन के लिये पहले चार वर्षों में 20%, पाँचवें वर्ष हेतु 15% तथा छठे वर्ष हेतु 5% सहायता शामिल है।
      • इन दवाओं का उत्पादन करना अधिक कठिन माना जाता है क्योंकि किण्वन विनिर्माण प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
      • इसके अतिरिक्त रासायनिक रूप से संश्लेषित दवाएँ पात्र बिक्री पर छह वर्षों में 10% प्रोत्साहन के लिये पात्र हैं।

उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) क्या है?

  • परिचय:
    • PLI योजना की परिकल्पना घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ाकर आयात प्रतिस्थापन में वृद्धि करते हुए रोज़गार सृजन के लिये की गई थी।
    • मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना में शुरुआत में निम्नलिखित तीन उद्योगों को लक्षित किया गया: 
      • मोबाइल और संबद्ध घटक विनिर्माण
      • विद्युत घटक विनिर्माण और
      • चिकित्सा उपकरण।
    • बाद के चरण में इसे 14 अतिरिक्त क्षेत्रों में इसका विस्तार किया गया।
    • PLI योजना के तहत घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिये पाँच वर्षों तक उनके राजस्व के प्रतिशत के आधार पर वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है।
  • लक्षित क्षेत्र:
    • इसमें शामिल 14 क्षेत्र मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक, फार्मास्यूटिकल्स, दवाएँ, विशेष इस्पात, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, घरेलू उपकरण (ACs व  LEDs), खाद्य उत्पाद, कपड़ा उत्पाद, सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी तथा ड्रोन एवं इसके घटक हैं।
  • योजना के तहत प्रोत्साहन:
    • दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि की गणना वृद्धिशील बिक्री के आधार पर की जाती है।
      • उन्नत रसायन विज्ञान सेल बैटरी, कपड़ा उत्पाद और ड्रोन उद्योग जैसे कुछ क्षेत्रों में दिये  जाने वाले प्रोत्साहन की गणना पाँच वर्षों की अवधि में की गई बिक्री, प्रदर्शन एवं स्थानीय मूल्यवर्द्धन के आधार पर की जाती है।
    • अनुसंधान एवं विकास निवेश (R&D investment) पर ज़ोर देने से उद्योग को वैश्विक रुझानों के साथ बने रहने और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी बने रहने में भी मदद मिलेगी।
  • स्मार्टफोन विनिर्माण में प्रगति:
    • वित्त वर्ष 2017-18 में मोबाइल फोन का आयात 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि निर्यात मात्र 334 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसके परिणामस्वरूप 3.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।
    • वित्त वर्ष 2022-23 तक आयात घटकर 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का, जबकि निर्यात बढ़कर लगभग 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिससे 9.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सकारात्मक निवल निर्यात हो पाया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

थन-I वस्तुओं के वैश्विक निर्यात में भारत का निर्यात 3.2% है। 

कथन-II भारत में कार्यरत अनेक स्थानीय कंपनियों एवं भारत में कार्यरत कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत की ‘उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव)’ योजना का लाभ उठाया है।

उपर्युक्त कथनों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है? 

(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है। 
(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है। 
(c) कथन-I सही है किंतु कथन-II गलत है। 
(d) कथन-I गलत है किंतु कथन-II सही है। 

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • WTO की वैश्विक व्यापार आउटलुक और सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार वस्तुओं के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 1.8% है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • 'प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव' (PLI) योजना कंपनियों को भारत में निर्मित उत्पादों के विक्रय में होने वाली वृद्धि के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करती है। इसका उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को अपनी विनिर्माण इकाइयों का विस्तार करने, अधिक रोज़गार सृजित करने और आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करते हुए विदेशी कंपनियों को भारत में इकाइयाँ स्थापित करने के लिये आकर्षित करना है। अतः कथन 2 सही है।