ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स | 07 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये: 

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs), एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI)

मेन्स के लिये:

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), इसकी क्षमता, चुनौतियाँ और आगे की राह

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने मई 2024 में खुदरा और राइड-हेलिंग सेगमेंट में 8.9 मिलियन लेनदेन का सर्वकालिक उच्च स्तर दर्ज़ किया, जो कुल लेनदेन की मात्रा में 23% माह-दर-माह होने वाली वृद्धि दर्शाता है।

ONDC क्या है?

  • परिचय:
    • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) परस्पर जुड़े ई-मार्केटप्लेस का एक नेटवर्क है, जिसके माध्यम से ब्रांड सहित विक्रेता बिचौलियों या मध्यस्थों को दरकिनार करते हुए सीधे ग्राहकों को अपने उत्पाद सूचीबद्ध और विक्रय कर सकते हैं।
      • यह वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री के लिये प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से खुले स्रोत नेटवर्क में परिवर्तन की अनुमति देता है।
    • इसे डिजिटल इंडिया पहल के एक भाग के रूप में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) के तहत वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था।
    • यह किराने का सामान, गृह सज़ावट, सफाई संबंधी आवश्यक वस्तुएँ, खाद्य वितरण और अन्य उत्पादों की डिलीवरी सेवाएँ प्रदान करता है।
    • यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो एक नेटवर्क प्रदान करता है, जिससे विभिन्न उद्योगों में स्थानीय डिजिटल वाणिज्य स्टोरों को किसी भी नेटवर्क-सक्षम अनुप्रयोगों द्वारा खोजा और उपयोग किया जा सकता है।
    • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI) के समान, ONDC का लक्ष्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के बीच परिचालन के स्तर को समान बनाना है।
    • भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India- QCI) को इस ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकी नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को एकीकृत करने का कार्य सौंपा गया है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं को मूल कोड को संशोधित, संवर्धित या बेहतर बनाने की अनुमति मिल सके।

  • उद्देश्य:
    • ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण और विकेंद्रीकरण।
    • विक्रेताओं, विशेषकर छोटे और मध्यम उद्यमों तथा स्थानीय व्यवसायों के लिये समावेशिता एवं पहुँच।
    • उपभोक्ताओं के लिये विकल्प चुनने और स्वतंत्रता में वृद्धि।
    • वस्तुओं और सेवाओं को सस्ता बनाना।
  • कार्य प्रणाली: 
    • ONDC एक खुले नेटवर्क के आधार पर कार्य करता है, जहाँ यह अमेज़न या फ्लिपकार्ट के समान एकल मंच नहीं होगा, बल्कि एक प्रवेश द्वार के रूप में होगा जहाँ विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर क्रेता और विक्रेता जुड़ सकेंगे।

ONDC

‘ओपन सोर्स’ क्या है?

  • ‘ओपन सोर्स’ का तात्पर्य है कि प्रक्रिया के लिये प्रयुक्त प्रौद्योगिकी या कोड सभी के उपयोग, पुनर्वितरण और संशोधन हेतु स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया जाता है।
  • उदाहरण के लिये, iOS का ऑपरेटिंग सिस्टम बंद स्रोत है, इसे कानूनी रूप से संशोधित या उपयोग नहीं किया जा सकता है।
    • जबकि, एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स है, जिससे सैमसंग, नोकिया, श्याओमी  आदि जैसे स्मार्टफोन निर्माताओं के लिये इसे अपने संबंधित हार्डवेयर हेतु संशोधित करना संभव हो जाता है।

ONDC के संभावित लाभ क्या हैं?

  • उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना: ONDC संभावित रूप से सूचना तक पहुँच बढ़ाकर अधिक पारदर्शी वातावरण को बढ़ावा देता है।
    • इससे उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने और विक्रेताओं की एक विस्तृत शृंखला से लाभ अर्जित करने का अधिकार मिलता है, जिससे संभावित रूप से कीमतें कम हो जाती हैं।
  • प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना: मौजूदा प्लेटफॉर्मों के एकाधिकार को समाप्त कर, ONDC एक समान अवसर सृजित करता है। यह विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करता है, अंततः उत्पादों की एक विस्तृत विविधता और उपभोक्ताओं के लिये संभावित रूप से वहनीय कीमतों में परिवर्तित होता है।
  • नवाचार: ONDC की ओपन-सोर्स वास्तुकला नवाचार को बढ़ावा देती है।
  • लागत क्षमता: ONDC की विकेंद्रीकृत संरचना में परिचालन को सुव्यवस्थित करने, अतिरेक को कम करने तथा महत्त्वपूर्ण लागत को बचाने की क्षमता है।
  • छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना: ONDC छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (MSME) और स्थानीय विक्रेताओं के लिये प्रवेश बाधाओं को कम करता है। यह डिजिटल बाज़ार में अधिक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करता है तथा अधिक समावेशी ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है।

Potential_of_ONDC

ONDC के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • जटिल कारक: UPI जैसी अन्य प्रणालियों की तुलना में ONDC एक जटिल तंत्र है। लोगों को UPI की सुविधा आकर्षक लगी, जिससे उन्होंने इसे शीघ्रता से अपनाया।
  • स्थापित प्रवृत्ति का खंडन: उपभोक्ता मौजूदा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्त्ता इंटरफेस और कार्यक्षमताओं के आदी हो चुके हैं। ONDC को प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये एक सहज और उपयोगकर्त्ता-अनुकूल अनुभव प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
  • विवाद समाधान संबंधी चिंताएँ: सभी लेन-देन का प्रबंधन करने वाले पारंपरिक प्लेटफॉर्म के विपरीत, ONDC केवल ऑनलाइन खरीद और बिक्री पर ध्यान केंद्रित करता है
    • इस पृथक्करण से वितरण, उत्पाद की गुणवत्ता या बिक्री के बाद की सेवा से संबंधित विवादों में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि ONDC प्रत्यक्ष मध्यस्थ के रूप में कार्य नहीं करता है।
  • एक सुदृढ़ शिकायत निवारण तंत्र का अभाव: ग्राहक सेवा और शिकायतों के प्रबंधन के संबंध में उत्तरदायित्व पर स्पष्टता की कमी लोगों को मंच से जुड़ने से हतोत्साहित कर सकती है।
  • मौजूदा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों से चुनौतियाँ: पहले से मौजूद ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपनी आकर्षक और इंटरऑपरेबल सेवाओं के माध्यम से उपभोक्ताओं के साथ मज़बूत संबंध कायम किये हैं। 
    • ONDC को इस प्रतिस्पर्द्धी परिदृश्य में ग्राहकों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिये आकर्षक रणनीति विकसित करने की आवश्यकता होगी।
  • मूल्य लाभ की अनिश्चितता: एक सुविधाप्रदाता के रूप में, ONDC सीधे उत्पाद मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने या स्थापित अभिकर्त्ताओं की तरह उत्पादों पर छूट की पेशकश करने में सक्षम नहीं हो सकता है, जो थोक सौदे और साझेदारी का लाभ उठाते हैं। 

आगे की राह

  • डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विस्तार: सरकार एक मज़बूत डिजिटल बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जो ONDC का समर्थन करता है।
    • इसमें ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में निवेश और ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन को कम करने की पहल शामिल हो सकती है।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: विविध क्षेत्रीय भाषाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली एक व्यापक डिजिटल शिक्षा नीति महत्त्वपूर्ण है। 
    • यह विशेष रूप से छोटे व्यवसायों से जुड़े उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों को ONDC प्लेटफॉर्म को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने के लिये सशक्त करेगा। उपयोगकर्त्ता के अनुकूल इंटरफेस उपयोग में सरलता को प्राथमिकता देते हैं और इसके विस्तार में योगदान देंगे।
  • लक्षित आउटरीच कार्यक्रम: छोटे विक्रेताओं, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) एवं किराना स्टोरों में संलग्न, को आकर्षित करने के लिये पर्याप्त निवेश के साथ-साथ व्यापक आउटरीच कार्यक्रम संचालित करना भी आवश्यक हैं। 
    • प्रोत्साहन और हैंडहोल्डिंग समर्थन प्रारंभिक बाधाओं पर नियंत्रण पाने तथा एक तकनीक आधारित प्लेटफॉर्म अपनाने को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • विवाद समाधान ढाँचा स्थापित करना: सूचना विषमता, अपारदर्शी मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता संबंधी चिंताओं और खरीदार-विक्रेता विवादों जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिये एक सुरक्षित एवं कुशल एकल खिड़की तंत्र (सिंगल-विंडो सिस्टम) स्थापित करना आवश्यक है। 
    • यह ONDC पारिस्थितिकी तंत्र में हितधारकों के बीच विश्वास और आत्मविश्वास स्थापित करेगा।

निष्कर्ष:

ONDC की सफलता सरकार, औद्योगिक खिलाड़ियों और नागरिक समाज के बीच एक सहयोगी प्रयास पर निर्भर करती है। डिजिटल अवसंरचना विकास एवं डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देकर, विक्रेता ऑनबोर्डिंग सुविधा प्रदान करके और एक मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करके, ओएनडीसी (ONDC) भारतीय ई-कॉमर्स परिदृश्य में समावेशिता, पारदर्शिता एवं प्रतिस्पर्द्धा के एक नए युग का सूत्रपात कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारतीय ई-कॉमर्स परिदृश्य में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) की संभावनाओं पर विवेचना कीजिये। इसके सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु रोडमैप सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. 'भारतीय गुणता परिषद् (QCI)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. QCI का गठन, भारत सरकार तथा भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
  2. QCI के अध्यक्ष की नियुक्ति, उद्योग द्वारा सरकार को की गई संस्तुतियों पर, प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आरोग्य सेतु
  2. कोविन
  3. डिजीलॉकर
  4. दीक्षा

उपर्युक्त में से कौन-से, ओपेन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं ?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2,3 और 4
(c) केवल 1,3 और 4
(d) 1,2,3 और 4

उत्तर: (d)