म्याँमार के वर्तमान मुद्दे | 20 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ), रोहिंग्या, संयुक्त राष्ट्र महासभा। मेन्स के लिये:भारत के पड़ोसियों से संबंधित मुद्दे, इंटरनेशनल जेनोसाइड कन्वेंशन, शरणार्थी संकट। |
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice- ICJ) ने हाल ही में म्याँमार के जुंटा की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें म्याँमार पर इंटरनेशनल जेनोसाइड कन्वेंशन (International Genocide Convention) का उल्लंघन करने के आरोप के मामले में प्रतिवाद दायर करने हेतु 10 महीने की मोहलत की मांग की गई थी।
- यह मामला रखाइन राज्य में वर्ष 2017 में ‘क्लीयरिंग’ अभियान के दौरान म्याँमार सेना द्वारा किये गए अत्याचारों से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप रोहिंग्या लोगों का विस्थापन हुआ।
म्याँमार में अस्थिरता का कारण:
- पृष्ठभूमि: म्याँमार को वर्ष 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। यह वर्ष 1962 से 2011 तक सशस्त्र बलों द्वारा शासित रहा, इसके बाद यहाँ एक नई सरकार ने नागरिक शासन की शुरुआत की।
- 2010 के दशक में सैन्य शासन ने देश में लोकतंत्र की स्थापना का फैसला किया। हालाँकि सशस्त्र बल शक्तिशाली बने रहे एवं राजनीतिक विरोधियों को मुक्त कर दिया गया, साथ ही चुनाव कराने की अनुमति दी गई।
- देश का पहला स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव वर्ष 2015 में हुआ जिसमें कई दलों ने भाग लिया, इस चुनाव में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने जीत हासिल की और सरकार बनाई, साथ ही यह सुनिश्चित किया कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- सैन्य तख्तापलट:
- नवंबर 2020 में हुए संसदीय चुनाव में NLD ने अधिकांश सीटें हासिल कीं।
- वर्ष 2008 के सैन्य-मसौदा संविधान के अनुसार म्याँमार की संसद में सेना के पास कुल सीटों का हिस्सा 25% है और कई प्रमुख मंत्री पद भी सैन्य नियुक्तियों के लिये आरक्षित हैं।
- जब नव निर्वाचित म्याँमार के सांसदों द्वारा वर्ष 2021 में संसद का पहला सत्र आयोजित किया जाना था, तब सेना ने संसदीय चुनावों में भारी मतदान धोखाधड़ी का हवाला देते हुए एक वर्ष के लिये आपातकाल लागू कर दिया था।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिह्नित मुद्दे:
- यद्यपि किसी भी प्रकार के संघर्ष के दौरान नागरिकों की सुरक्षा करना सेना के लिये कानूनी रूप से आवश्यक है, फिर भी अंतर्राष्ट्रीय कानून से संबंधित सिद्धांतों का लगातार उल्लंघन किया गया।
- म्याँमार की अर्थव्यवस्था काफी बुरी स्थिति में है जिस कारण लगभग आधी आबादी अब गरीबी रेखा के नीचे रह रही है।
- तख्तापलट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से सेना ने देश के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रतिनिधियों और 16,000 से अधिक अन्य लोगों को हिरासत में लिया है।
- रोहिंग्या मुद्दा:
- 25 अगस्त, 2017 को म्याँमार के रखाइन राज्य में हुई हिंसा ने लाखों रोहिंग्या लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया।
- म्याँमार में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन से रोहिंग्या समुदाय में अब कोई संबंध नहीं रह गया है।
- वर्षों से म्याँमार में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसमें भाषण और सभा की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध, मनमाने ढंग से गिरफ्तारियाँ और निरोध, सेंसरशिप और हिंसा शामिल हैं।
- जनवरी 2020 में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत (ICJ) ने म्याँमार को अपने रोहिंग्या समुदाय के सदस्यों को नरसंहार से बचाने के लिये उपाय करने का आदेश दिया।
म्याँमार मुद्दे पर भारत का रुख:
- हाल के वर्षों में भारत ने म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से रोहिंग्या संकट के संबंध में।
- भारत ने इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिये ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही का आह्वान किया है।
- यद्यपि भारत ने म्याँमार में हाल के घटनाक्रमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, लेकिन म्याँमार की सेना से दूरी बनाना एक व्यवहार्य विकल्प नहीं है क्योंकि म्याँमार और उसके पड़ोसियों से भारत के महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं रणनीतिक हित जुड़े हैं।
- म्याँमार के मुद्दे पर भारत का रुख उसकी उभरती स्थिति और क्षेत्र में भू-राजनीतिक गतिशीलता के आधार पर विकसित हो सकता है।
नोट: ऐसी गतिविधियाँ जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से नष्ट करने के उद्देश्य से की जाती हैं, नरसंहार/जेनोसाइड कहलाती हैं और विश्व स्तर पर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
इंटरनेशनल जेनोसाइड कन्वेंशन:
- इंटरनेशनल जेनोसाइड कन्वेंशन, जिसे जेनोसाइड के अपराध की रोकथाम और सज़ा पर अभिसमय के रूप में भी जाना जाता है, 9 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक संधि है।
- जेनोसाइड कन्वेंशन के अनुसार, जेनोसाइड एक ऐसा अपराध है जो युद्ध तथा शांति दोनों समय हो सकता है।
- कन्वेंशन के लिये राज्यों को घरेलू कानून बनाकर नरसंहार को रोकने और इसके लिये दंडित करने की आवश्यकता है।
- कन्वेंशन में निर्धारित जेनोसाइड के अपराध की परिभाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर व्यापक रूप से अपनाया गया है, जिसमें वर्ष 1998 में अपनाई गई अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की रोम संविधि भी शामिल है।
- भारत इस कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016) समाचारों में कभी-कभी उल्लिखित समुदाय किसके मामले में
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. अवैध सीमा पार प्रवास भारत की सुरक्षा के लिये कैसे खतरा उत्पन्न करता है? इस तरह के प्रवासन को बढ़ावा देने वाले कारकों को उजागर करते हुए इसे रोकने के लिये रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2014) |