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जैव विविधता और पर्यावरण

हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य में ड्रिलिंग

  • 02 Aug 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हूलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य, हूलॉक गिब्बन, वन सलाहकार समिति, IUCN रेड लिस्ट

मेन्स के लिये:

पर्यावरण और वन्यजीव चिंताएँ, संरक्षित क्षेत्रों में संरक्षण चुनौतियाँ, जैवविविधता और आवास विखंडन, मानव-पशु संघर्ष

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा असम के पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों में तेल और गैस अन्वेषण के लिये हाल ही में दी गई मंज़ूरी से लुप्तप्राय हूलॉक गिब्बन पक्षी पर संभावित खतरे के विषय में चिंताएँ बढ़ गई हैं।

  • वेदांता लिमिटेड की तेल एवं गैस इकाई केयर्न इंडिया, हूलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में अन्वेषण के लिये 4.4998 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि का उपयोग करना चाहती है।

तेल और गैस ड्रिलिंग का हूलॉक गिब्बन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • खतरे में लुप्तप्राय प्रजातियाँ: वृक्ष छत्र के शीर्ष पर रहने वाला हूलॉक गिब्बन आवास विखंडन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। कोई भी व्यवधान, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, उनके आवागमन और अस्तित्व को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
  • अनेक प्रजातियों की उपस्थिति: अन्वेषण के लिये प्रस्तावित क्षेत्र हाथियों, तेंदुओं और हूलॉक गिब्बन का निवास स्थान है, जो वहाँ की समृद्ध जैवविविधता को दर्शाता है।
    • इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है कि तेल ड्रिलिंग से मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ सकता है तथा इन प्रजातियों के आवास नष्ट हो सकते हैं।
  • पिछली घटनाएँ: असम में बाघजन विस्फोट (2020) जिसने व्यापक पारिस्थितिक क्षति पहुँचाई, संवेदनशील क्षेत्रों में तेल और गैस अन्वेषण से जुड़े जोखिमों का एक चेतावनीपूर्ण उदाहरण है।

असम में तेल और गैस ड्रिलिंग परियोजना की वर्तमान स्थिति

  • अनुमोदन: असम के कुछ भागों, विशेषकर हूलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य और अन्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तेल एवं गैस अन्वेषण ड्रिलिंग के लिये प्रारंभिक अनुमोदन प्रदान किया गया।
    • यद्यपि वन सलाहकार समिति (FAC) ने अपना अंतिम निर्णय स्थगित कर दिया है।
    • इस पार्क के भीतर विस्तारित पहुँच ड्रिलिंग के लिये एक अलग प्रस्ताव को FAC ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप खारिज कर दिया है।
      • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के भीतर तथा उनकी सीमा से एक किलोमीटर के क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं होगी।
  • पर्यावरण और वन्यजीव चिंताएँ: FAC ने हूलॉक गिब्बन और अन्य वन्यजीवों को होने वाले व्यवधान को न्यूनतम करने के लिये वन्यजीव प्रबंधन तथा शमन योजना तैयार करने का सुझाव दिया है।
    • इस परियोजना में सुरक्षा प्रक्रियाओं और भूस्खलन एवं अपरदन के विरुद्ध निवारक उपायों का कड़ाई से पालन किया जाना अनिवार्य है।

हूलॉक गिब्बन के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं सबसे तेज़ वानरों के रूप में भी जाना जाता है। हूलॉक गिब्बन, भारत के पूर्वोत्तर में पाया जाने वाला अद्वितीय गिब्बन है, जो 20 गिब्बन प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी अनुमानित संख्या 12,000 है।
    • वर्ष 1900 के बाद से घटती जनसंख्या और वितरण के कारण सभी 20 गिब्बन प्रजातियाँ विलुप्त होने के उच्च जोखिम में हैं।
    • हूलॉक गिब्बन को मुख्यतः बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये निर्वनीकरण से खतरा है।
  • भारत में गिब्बन प्रजातियाँ: भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में दो विशिष्ट हूलॉक गिब्बन प्रजातियाँ पाई जाती हैं: पूर्वी हूलॉक गिब्बन (Hoolock leuconedys) और पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (Hoolock hoolock)।
    • हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) द्वारा वर्ष 2021 में किये गए एक अध्ययन ने आनुवंशिक विश्लेषण के माध्यम से साबित कर दिया कि भारत में वानर की केवल एक ही प्रजाति है, जिससे पहले के शोध को खारिज कर दिया गया कि पूर्वी हूलॉक गिब्बन एक अलग प्रजाति थी।
      • अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि दोनों आबादियाँ 1.48 मिलियन वर्ष पूर्व पृथक् हो गई थीं, जबकि गिब्बन का 8.38 मिलियन वर्ष पूर्व अपने मूल पूर्वज से पृथक विकास हुआ।
    • हालाँकि IUCN रेड लिस्ट में पश्चिमी हूलॉक गिब्बन को संकटग्रस्त और पूर्वी हूलॉक गिब्बन को सुभेद्य श्रेणी में रखा गया है।
  • संरक्षण:
    • भारत में, यह प्रजाति भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित है। 
    • असम सरकार ने वर्ष 1997 में हूलोंगापार रिज़र्व फॉरेस्ट को गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य में उन्नत किया, जो किसी नरवानर या प्राइमेट (Primate) प्रजाति को समर्पित पहला संरक्षित क्षेत्र था।

Hoolock_Gibbon

हूलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • हूलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य, जिसकी स्थापना वर्ष 1997 में हुई और पुनः उसका नाम बदल दिया गया, भारत के असम में एक महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है। 
    • वर्ष 2004 में इसका नाम बदलकर गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य या हूलोंगापार रिज़र्व फॉरेस्ट कर दिया गया, यह अभयारण्य अपनी अद्वितीय जैवविविधता के लिये प्रसिद्ध है, विशेष रूप से भारत में गिब्बन हेतु एकमात्र निवास स्थान के रूप में।
  • वनस्पति: ऊपरी कैनोपी में हॉलोंग वृक्ष (डिप्टरोकार्पस मैक्रोकार्पस) का प्रभुत्व है, जो 30 मीटर तक ऊँचा होता है, इसके साथ ही सैम, अमारी, सोपास, भेलू, उदल और हिंगोरी जैसी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
    • मध्य कैनोपी की विशेषता नाहर वृक्ष है। निचली कैनोपी में विभिन्न प्रकार की सदाबहार झाड़ियाँ और जड़ी-बूटियाँ हैं।
  • जीव-जंतु: हूलॉक गिब्बन और बंगाल स्लो लोरिस पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र रात्रिचर प्राइमेट है।
    • अन्य प्राइमेट: स्टंप-टेल्ड मकाक, उत्तरी पिग-टेल्ड मकाक, पूर्वी असमिया मकाक, रीसस मकाक और कैप्ड लंगूर।
    • स्तनधारी: भारतीय हाथी, बाघ, तेंदुए, जंगली बिल्लियाँ, जंगली सूअर तथा विभिन्न सिवेट, गिलहरी एवं अन्य स्तनधारी।

Human_Wildlife_Conflict

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. उन क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष किस प्रकार प्रकट होता है जहाँ औद्योगिक गतिविधियाँ प्राकृतिक आवासों पर अतिक्रमण करती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2010)

संरक्षित क्षेत्र

प्रसिद्ध

1.

भीतरकनिका, उड़ीसा

लवण जल का मगरमच्छ

2.

रेगिस्तान राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

3.

एराविकुलम, केरल

हूलॉक गिब्बन

ऊपर दिये गए युग्मों में से कौन-सा/से युग्म सही ढंग से मेल खाता है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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