विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियाँ
- 28 Aug 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रेलवे ((IR), परमाणु ऊर्जा, गैर-जीवाश्म ईंधन, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (NPCIL), स्मॉल रिएक्टर, शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन, भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI), थोरियम रिएक्टर। मेन्स के लिये:भारतीय रेलवे के लिये ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता और महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे (Indian Railways- IR) कैप्टिव इकाइयों के माध्यम से परमाणु ऊर्जा के उपयोग की संभावना तलाश रही है, क्योंकि वह गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों और नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाना चाहती है।
- परमाणु ऊर्जा के अलावा रेलवे पहले से ही सौर ऊर्जा इकाइयों और पवन-आधारित विद्युत संयंत्रों को चालू करने की प्रक्रिया में है।
परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियाँ क्या हैं?
- परिचय: परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ी, परमाणु प्रतिक्रिया से उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग करके उच्च दबाव वाली भाप उत्पन्न करती है।
- यह भाप दो टर्बाइनों को चलाती है, एक टर्बाइन ट्रेन को शक्ति प्रदान करती है, जबकि दूसरी टर्बाइन एयर कंडीशनर और लाइट जैसे उपकरणों के लिये विद्युत् उत्पन्न करती है।
- परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों की अवधारणा पर पहली बार वर्ष 1950 के दशक में गंभीरता से विचार किया गया, जब यह USSR के परिवहन मंत्रालय का आधिकारिक लक्ष्य बन गया।
- परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ट्रेनों का संचालन: प्रस्तावित डिज़ाइन में एक पोर्टेबल परमाणु रिएक्टर शामिल है, जो भाप बनाने के लिये तरल पदार्थ को गर्म करता है। यह भाप इलेक्ट्रिक टर्बाइन चलाती है, जिससे ट्रेन हेतु विद्युत् उत्पन्न होती है।
- सुरक्षा संबंधी विचार: थोरियम रिएक्टरों के उपयोग पर विचार किया जाता है क्योंकि अन्य परमाणु सामग्रियों की तुलना में इनमें विकिरण का जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है। रिएक्टर के डिजाइन में जोखिम को कम करने और दुरुपयोग को रोकने के लिये सुरक्षा सुविधाएँ शामिल हैं।
- संभावित लाभ:
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: परमाणु ऊर्जा जीवाश्म ईंधन की तुलना में CO2 उत्सर्जन को काफी हद तक कम कर सकती है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
- ऊर्जा दक्षता: परमाणु रिएक्टर न्यूनतम ईंधन के साथ उच्च ऊर्जा उत्पादन करते हैं। इससे लंबी दूरी पर रेल परिवहन की परिचालन लागत और पर्यावरणीय प्रभाव को संभावित रूप से कम किया जा सकता है।
- कम बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता: परमाणु ऊर्जा से चलने वाली रेलगाड़ियाँ ओवरहेड विद्युत लाइनों से स्वतंत्र रूप से संचालित हो सकती हैं, जिससे बुनियादी ढाँचे की लागत कम हो सकती है और परिचालन में अधिक लचीलापन आ सकता है।
- विस्तारित रेंज: परमाणु ऊर्जा से चलने वाली रेलगाड़ियाँ बार-बार ईंधन भरने की आवश्यकता के बिना लंबी दूरी तक चल सकती हैं। यह व्यापक रेल नेटवर्क पर माल ढुलाई और यात्री सेवाओं के लिये फायदेमंद होगा।
- उच्च दक्षता: परमाणु रिएक्टर निरंतर विद्युत् प्रदान कर सकते हैं, जिससे रेल परिवहन का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। अतः उच्च परिचालन दक्षता की संभावना एक प्रमुख लाभ है।
- परमाणु ऊर्जा चालित रेलगाड़ियों की चुनौतियाँ:
- विकिरण जोखिम: परमाणु सामग्री को संभालना और विकिरण रिसाव के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा के लिये पर्याप्त सुरक्षा तथा सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।
- उच्च लागत: परमाणु ऊर्जा से चलने वाली रेलगाड़ियों को विकसित करने और लागू करने की शुरुआती लागत बहुत ज़्यादा है। इसमें छोटे, सुरक्षित रिएक्टर विकसित करने तथा उन्हें लोकोमोटिव में एकीकृत करने का खर्च शामिल है।
- तकनीकी जटिलता: चलती रेलगाड़ियों के लिये परमाणु रिएक्टरों की डिज़ाइनिंग और रखरखाव में जटिल इंजीनियरिंग चुनौतियाँ शामिल हैं।
भारतीय रेलवे जीवाश्म ईंधन स्रोतों पर निर्भरता कम करने हेतु क्या योजना बना रही है?
- परमाणु ऊर्जा अन्वेषण: परमाणु ऊर्जा के उपयोग की संभावना तलाशने के लिये भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (Nuclear Power Corporation of India- NPCIL) के साथ विचार-विमर्श की योजना बनाई गई है।
- भारतीय रेलवे अपने स्वयं के कैप्टिव उपयोग वाले विद्युत संयंत्र, स्मॉल रिएक्टर, कैप्टिव विद्युत उत्पादन इकाइयाँ आदि स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य: रेलवे की योजना वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन बनने की है। इसके लिये भारतीय रेलवे को वर्ष 2029-30 तक 30,000 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता की आवश्यकता होगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा के वर्तमान प्रयास: नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के लिये रेलवे भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (Solar Energy Corporation of India- SECI), NTPC, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के साथ साझेदारी की संभावना तलाश रहा है।
- नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियाँ: वर्ष 2023 में लगभग 147 मेगावाट सौर संयंत्र (छतों पर और ज़मीन पर दोनों) तथा लगभग 103 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र चालू किये गए हैं।
- रेलवे ने वित्तवर्ष 24 तक लगभग 63,500 किलोमीटर या कुल ब्रॉड-गेज नेटवर्क के 96% से अधिक का विद्युतीकरण कर दिया है।
- 2,637 स्टेशनों और सेवा भवनों को सौर रूफटॉप संयंत्र प्रदान किये गए हैं, जिनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 177 मेगावाट है।
भारतीय रेलवे को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता क्यों है?
- उच्च ऊर्जा खपत: भारतीय रेलवे वार्षिक रूप से 20 बिलियन kWh से अधिक विद्युत की खपत करता है, जो देश की कुल विद्युत खपत का लगभग 2% है। खपत का यह उच्च स्तर अधिक स्थायी ऊर्जा समाधानों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- विद्युत की बढ़ती मांग: विद्युतीकरण के चल रहे प्रयासों के कारण विद्युत की आवश्यकता वर्ष 2012 में 4,000 मेगावाट से बढ़कर 2032 तक लगभग 15,000 मेगावाट हो जाने का अनुमान है।
- यह पर्याप्त वृद्धि विविध ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता को उजागर करती है।
- विद्युतीकरण लक्ष्य: भारतीय रेलवे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपने ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण करना है। यह महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य विद्युत की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा, जिससे इस आवश्यकता को स्थायी रूप से पूरा करने हेतु वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता होगी।
- पर्यावरणीय प्रभाव: रेलवे की डीज़ल और विद्युत पर निर्भरता के कारण उच्च CO2 उत्सर्जन होता है।
- लो-कार्बन रणनीति के एक हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे ने वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के स्तर से नीचे अपने उत्सर्जन की गहनता में 33% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
- घटता राजस्व अधिशेष: रेलवे की राजस्व आय मुश्किल से उसके राजस्व व्यय के बराबर रह पाई है।
- वर्ष 2013-14 और वर्ष 2023-24 के बीच रेलवे के राजस्व व्यय में 7.2% की वार्षिक दर से वृद्धि होने का अनुमान है, जो इसकी राजस्व प्राप्तियों (6.3% की वार्षिक वृद्धि) से अधिक है।
- भारतीय रेलवे का लक्ष्य बाहरी ऊर्जा स्रोतों पर अपने खर्च को कम करने के लिये स्वयं ऊर्जा उत्पन्न करना है।
- लागत अनुकूलन: भारतीय रेलवे विद्युत का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी ट्रेनों एवं कार्यालयों को चलाने के लिये वार्षिक रूप से करीब 20,000 करोड़ रुपए खर्च करता है।
- रेलवे अक्षय ऊर्जा खरीद और विद्युत उत्पादन के लिये कम लागत वाले मॉडल के माध्यम से लागत कम करने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष
भारतीय रेलवे के लिये ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता कई महत्त्वपूर्ण कारकों से प्रेरित है जैसे उच्च ऊर्जा खपत और लागत, विद्युतीकरण के कारण विद्युत की बढ़ती मांग, पर्यावरणीय प्रभाव तथा ऊर्जा सुरक्षा एवं लागत प्रबंधन की आवश्यकता, जबकि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ट्रेनों की परिकल्पना कार्बन उत्सर्जन को कम करने तथा दक्षता में सुधार करने का वादा करती है। सुरक्षा, लागत एवं सार्वजनिक स्वीकृति से संबंधित महत्त्वपूर्ण बाधाओं को खत्म किया जाना चाहिये। जैसे-जैसे शोध जारी है और प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, परमाणु ऊर्जा रेल परिवहन के भविष्य में एक भूमिका निभा सकती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारतीय रेलवे के लिये ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये? परमाणु ऊर्जा रेलवे को वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने में कैसे मदद कर सकती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत के संदर्भ में 'अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई. ए. ई. ए.)' के 'अतिरिक्त नयाचार (एडीशनल प्रोटोकॉल)' का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (2018) (a) असैनिक परमाणु रिएक्टर आई. ए. ई. ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं। उत्तर: (a) प्रश्न. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है: (2011) (a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा करना। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न: किराये को विनियमित करने के लिये रेल टैरिफ प्राधिकरण की स्थापना से नकदी की कमी से जूझ रही भारतीय रेलवे को गैर-लाभकारी मार्गों और सेवाओं को संचालित करने के दायित्व के लिये सब्सिडी की मांग करनी पड़ेगी। विद्युत क्षेत्र के अनुभव को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिये कि क्या प्रस्तावित सुधार से उपभोक्ताओं, भारतीय रेलवे या निजी कंटेनर ऑपरेटरों को लाभ होने की उम्मीद है। (2014) प्रश्न. पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन के विपरीत सूर्य के प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लाभों का वर्णन कीजिये। इस प्रयोजनार्थ हमारी सरकार द्वारा प्रस्तुत पहल क्या हैं? (2020) प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और आशंकाओं की विवेचना कीजिये। (2018) |