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संतुलित क्रिप्टोकरेंसी विनियमन की आवश्यकता

  • 08 Mar 2025
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन, बिटकॉइन, मनी लॉन्ड्रिंग, डिजिटल रुपया, कराधान

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी के नियमन में मुद्दे

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी प्रशासन ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों को अपनाया है, जिससे वैश्विक वित्त में उनकी जगह मज़बूत हुई है। जबकि वियतनाम जैसे देश स्पष्ट विनियमनों पर जोर दे रहे हैं और यूरोपीय संघ MiCA के साथ वैश्विक मानक निर्धारित कर रहा है, भारत अभी भी डिस्कशन पेपर की प्रतीक्षा कर रहा है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है? 

परिचय

  • क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जो लेनदेन को सुरक्षित करने के लिये क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। यह एक विकेंद्रीकृत मुद्रा है ( किसी सरकार या संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं)।
  • क्रिप्टोकरेंसी के साथ किये गए लेन-देन को ब्लॉकचेन नामक सार्वजनिक डिजिटल खाताबही में दर्ज किया जाता है।
    • इस खाताबही का रखरखाव विश्व भर के कंप्यूटरों के नेटवर्क द्वारा किया जाता है, तथा प्रत्येक नए लेनदेन को इन कंप्यूटरों द्वारा सत्यापित किया जाता है तथा ब्लॉकचेन में जोड़ा जाता है।
  • क्रिप्टोग्राफी के विकेंद्रीकरण और उपयोग से किसी के लिये भी मुद्रा या ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड किये गए लेनदेन में हेरफेर करना कठिन हो जाता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरणों में बिटकॉइन, एथेरियम और लाइटकॉइन शामिल हैं।

cryptocurrency

क्रिप्टोकरेंसी, ई-मनी, भौतिक मुद्रा के बीच अंतर

श्रेणी

क्रिप्टोकरेंसी

ई-मनी

भौतिक मुद्रा (रु. में)

अभिगम्यता

अधिकांशतः इंटरनेट कनेक्शन तक सीमित

मोबाइल फोन और एजेंट नेटवर्क जैसे ई-डिवाइस तक पहुँच

नकदी, ATM और बैंक शाखाओं तक भौतिक पहुँच

मूल्य

आपूर्ति, मांग और प्रणाली में विश्वास द्वारा निर्धारित

इलेक्ट्रॉनिक रूप में विनिमय की गई फिएट मुद्रा की मात्रा के बराबर

सरकार द्वारा समर्थित, मौद्रिक नीति द्वारा निर्धारित

ग्राहक ID

अनाम

पर्याप्त ग्राहक पहचान आवश्यक

लेन-देन के लिये आवश्यक नहीं, लेकिन बैंक खातों के लिये आवश्यक

उत्पादन/ जारीकर्त्ता

गणितीय रूप से उत्पन्न ("Mined") डेवलपर्स के समुदाय द्वारा, जिन्हें "माइनर्स" कहा जाता है

RBI द्वारा केंद्रीय प्राधिकरण की फिएट मुद्रा के बराबर मूल्य की रसीद के विरुद्ध डिजिटल रूप से जारी किया गया

केंद्रीय बैंक (RBI)

विनियामक या निरीक्षण

अधिकतर अनियमित

केंद्रीय बैंक/बोर्ड

केंद्रीय बैंक (RBI)

digital_rupee

विनियम

  • वैश्विक: अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी राष्ट्रीय सरकार के नियमों के बाहर काम करती हैं, तथा राज्य की मौद्रिक नीतियों से परे वैकल्पिक मुद्राओं के रूप में काम करती हैं।
    • स्विट्ज़रलैंड ने एक सुपरिभाषित विनियामक ढाँचे के साथ क्रिप्टो को अपनाया है, जिससे ब्लॉकचेन नवाचार को बढ़ावा देते हुए निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 
    • सितंबर 2021 में, अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा के रूप में अपनाने वाला पहला देश बन गया।
  • भारत: भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियमित है लेकिन विशेष रूप से प्रतिबंधित नहीं है।
  • समयरेखा:

Evolution_of_cryptocurrency

भारत को क्रिप्टोकरेंसी की नीति की आवश्यकता क्यों है?

  • प्रतिभा पलायन की रोकथाम: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध से महत्त्वपूर्ण प्रतिभा पलायन हो सकता है, साथ ही पूंजी का पलायन भी हो सकता है, जैसा कि RBI के 2018 के प्रतिबंध के बाद देखा गया था, जहाँ ब्लॉकचेन विशेषज्ञ क्रिप्टो-फ्रेंडली देशों में पलायन करने लगे और भारत में ब्लॉकचेन नवाचार रुद्ध हो गया था।
  • वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकरण: क्रिप्टोकरेंसी को अपनाकर भारत स्वयं को वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित कर सकता है, निवेश आकर्षित कर सकता है तथा 'क्रिप्टो निर्यात क्षेत्र' जैसी पहलों के माध्यम से क्रिप्टो स्टार्टअप में वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।
  • नई प्रौद्योगिकी और सेवाओं का लाभ: स्केलेबिलिटी, सुरक्षा और एनालिटिक्स में ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों की बढ़ती मांग से भारत के लिये क्रिप्टो प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता के साथ एक व्यापक प्रतिभा पूल विकसित करने का अवसर मिलेगा, जिससे तकनीकी उन्नति को बढ़ावा मिलता है।
  • वित्तीय नवाचार को प्रोत्साहित करना: ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी की गतिशील प्रकृति नवीन व्यवसाय मॉडल और अनुप्रयोगों के लिये व्यापक संभावनाएँ प्रदान करती है, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं, जिसके लिये एक संतुलित नियामक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
  • निवेशक सुरक्षा बढ़ाना: निवेशकों की सुरक्षा के लिये, भारत को अनुचित बिक्री के खिलाफ सुदृढ़ शिक्षा और दिशा-निर्देश लागू करने, क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वस्तुओं के रूप में विनियमित करने की आवश्यकता है, जिससे कर आधार में विस्तार के साथ सरकारी कर राजस्व को भी बढ़ावा मिल सकता है।
    • रैनसमवेयर हमलों और निवेश घोटालों सहित परिष्कृत धोखाधड़ी योजनाओं में उनके उपयोग को रोकने के लिये भी सख्त निगरानी की आवश्यकता है।

क्रिप्टोकरेंसी के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • बाज़ार में अस्थिरता: क्रिप्टोकरेंसी की प्रवृत्ति अत्यंत अप्रत्याशित है, जिससे बड़ी मात्रा में निवेश करने पर मूल्य में महत्त्वपूर्ण उतार-चढ़ाव और भारी नुकसान की संभावना होती है।
  • दुरुपयोग का जोखिम: बिना किसी जवाबदेही के क्रिप्टोकरेंसी को सीमा पार स्थानांतरित करने की सुगमता से इसका धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये उपयोग में लाए जाने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • स्केलेबिलिटी संबंधी मुद्दे: ब्लॉकचेन के बढ़ते डेटा आकार से इसकी क्षमता सीमित होने से बड़े पैमाने पर तीव्र लेन-देन चुनौतीपूर्ण (विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान) हो जाता है।
  • आर्थिक असंतुलन: क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार के उदय से भारतीय अर्थव्यवस्था में धन का चक्रीय प्रवाह बाधित हो सकता है, जो पारंपरिक नकदी प्रक्रियाओं से काफी भिन्न है।
  • नियामक निरीक्षण का अभाव: क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिये एक समर्पित मंच या शिकायत निवारण तंत्र की अनुपस्थिति से उपभोक्ताओं की लेन-देन एवं सूचना संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है।

आगे की राह

  • विनियामक स्पष्टता: एक व्यापक क्रिप्टो विनियमन विधेयक के माध्यम से क्रिप्टो परिसंपत्तियों के विनियमन को स्पष्ट करना चाहिये।
  • निवेशक संरक्षण: विवाद समाधान, धोखाधड़ी की रोकथाम एवं जोखिम प्रकटीकरण के लिये तंत्र स्थापित करने से यह सुनिश्चित होगा कि खुदरा निवेशकों को सुरक्षा दी जा सके।
  • स्टेबलकॉइन और CBDC एकीकरण: भारत की डिजिटल रुपया पहल (CBDC) और क्रिप्टो परिसंपत्तियों को सह-अस्तित्व (बशर्ते स्पष्ट नियामक अंतर और अंतर-संचालन संबंधी दिशानिर्देश हों) में रखा जा सकता है। 
    • इसके अतिरिक्त सरकार, क्रिप्टो परिसंपत्तियों के उपयोग के लिये चरण-आधारित दृष्टिकोण अपना सकती है जिससे जोखिम मूल्यांकन, नियामक तत्परता तथा तकनीकी प्रगति के आधार पर चरणबद्ध एकीकरण की अनुमति मिल सके।
  • कराधान सुधार: क्रिप्टो से संबंधित उच्च कर व्यवस्था से व्यवसाय अन्य देशों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। अधिक संतुलित कर संरचना से सरकारी राजस्व में वृद्धि होने के साथ घरेलू नवाचार को प्रोत्साहन मिल सकता है
  • सार्वजनिक-निजी सहयोग: उद्योग जगत के नेताओं, ब्लॉकचेन स्टार्टअप्स और अंतर्राष्ट्रीय नियामक निकायों के साथ जुड़ने से भारत को ऐसी नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी जिससे जोखिमों को कम करने के साथ नवाचार को बढ़ावा मिल सकेगा।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मौजूदा विनियामक ढाँचे पर चर्चा कीजिये। इससे संबंधित चुनौतियों का मूल्यांकन करते हुए ऐसा संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के उपाय बताइये जिससे निवेशकों की सुरक्षा के साथ नवाचार को बढ़ावा मिल सके।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: “ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2020)

यह एक सार्वजनिक बहीखाता है जिसका निरीक्षण हर कोई कर सकता है, लेकिन जिसे कोई एकल उपयोगकर्त्ता नियंत्रित नहीं करता है।

 ब्लॉकचेन का स्ट्रक्चर और डिज़ाइन ऐसा है कि इसमें मौजूद सारा डेटा क्रिप्टोकरेंसी के बारे में ही होता है।

 ब्लॉकचेन की बुनियादी सुविधाओं पर निर्भर एप्लीकेशन बिना किसी की अनुमति के विकसित किये जा सकते हैं।

 उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 1 और 2
(C) केवल 2
(D) केवल 1 और 3

 उत्तर: (D)

 प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

 

कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द 

संदर्भ/विषय 

1. 

बेल II प्रयोग 

कृत्रिम बुद्धि 

2. 

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी 

डिजिटल/क्रिप्टोकरेंसी

3. 

CRISPR–Cas9 

कण भौतिकी 

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2020)

प्रश्न: क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को किस प्रकार प्रभावित करती है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रही है? (2019)

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