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भारतीय अर्थव्यवस्था

यूरोपीय संघ ने क्रिप्टो विनियमन हेतु MiCA की शुरुआत की

  • 25 Apr 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स, बिटकॉइन

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में नियामक चुनौतियाँ, क्रिप्टो करेंसी एवं अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव, क्रिप्टोकरेंसी और मनी लॉन्ड्रिंग, क्रिप्टो के प्रति भारत का दृष्टिकोण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपीय संसद ने क्रिप्टो संपत्ति बाज़ार (Markets in Crypto Assets- MiCA) विनियमन को मंज़ूरी दे दी है, यह नियमों का विश्व का पहला व्यापक समूह है जिसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर अनियमित क्रिप्टोकरेंसी बाज़ारों को सरकारी विनियमन के तहत लाना है।

  • यह विनियमन सदस्य देशों के औपचारिक अनुमोदन के बाद लागू होगा।
  • यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ का विधायी निकाय है।

MiCA:

  • परिचय:
    • MiCA क्रिप्टो फर्मों हेतु विनियमन प्रथाओं को लाएगा। क्रिप्टो फर्मों को विनियमित करके MiCA वित्तीय क्षेत्र में जैसे- राउट एवं कन्टेजन को रोक सकता है जो अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
      • "राउट" का अर्थ है, जब लोग भय के कारण क्रिप्टोकरेंसी बेचते हैं तो कीमतों में तेज़ी से गिरावट आती है।
      • "कन्टेजन" इस संभावना को संदर्भित करता है कि एक बाज़ार में गिरावट का अन्य बाज़ारों, वित्तीय संस्थानों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • क्रिप्टो संपत्ति के प्रकार के आधार पर क्रिप्टो एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (CASPs) हेतु विनियमन आवश्यकताओं के विभिन्न समूहों को निर्धारित करता है।
  • MiCA के अंतर्गत आने वाली संपत्तियाँ:
    • MiCA कानून क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर लागू होगा, यह मुख्यतः "एक मूल्य या अधिकार का डिजिटल प्रतिनिधित्त्व है, जो सुरक्षा हेतु क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है और एक सिक्के या टोकन या किसी अन्य डिजिटल माध्यम के रूप में होता है तथा जिसे स्थानांतरित किया जा सकता है, साथ ही वितरित बहीखाता तकनीक या इसी तरह की तकनीक का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत किया जाता है।
    • इस परिभाषा का तात्पर्य है कि यह न केवल बिटकॉइन और एथेरियम जैसी पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी पर लागू होगा, बल्कि स्टेबलकॉइन्स जैसी नई क्रिप्टोकरेंसी पर भी लागू होगा।
      • MiCA तीन प्रकार के स्टेबलकॉइन्स के लिये नए नियम भी स्थापित करेगा।
  • संपत्तियाँ जो MiCA के दायरे से बाहर होंगी:
    • MiCA उन डिजिटल संपत्तियों को विनियमित नहीं करेगा जो हस्तांतरणीय प्रतिभूतियों के रूप में योग्य होंगी और शेयरों या उनके समकक्ष तथा अन्य क्रिप्टो संपत्तियों की तरह कार्य करेंगी एवं जो पहले से ही मौजूदा विनियमन के तहत वित्तीय साधनों के रूप में योग्य हैं।
    • यह नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) को भी बाहर कर देगा।
    • MiCA यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा जारी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के राष्ट्रीय केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी की गई डिजिटल संपत्तियों को भी नियंत्रित नहीं करेगा, जब वे मौद्रिक अधिकारों के रूप में अपनी क्षमता के साथ प्रदान की जाने वाली क्रिप्टो संपत्ति से संबंधित सेवाओं के रूप में कार्य करेगा।
  • MiCA के तहत नए नियम:
    • CASP का विनियमन:
      • CASP को यूरोपीय संघ में एक कानूनी इकाई के रूप में शामिल किया जाना चाहिये।
      • वे किसी एक सदस्य देश में अधिकृत हो सकते हैं और सभी 27 देशों में काम कर सकते हैं।
      • यूरोपीय बैंकिंग प्राधिकरण जैसे नियामक CASP की निगरानी करेंगे।
      • CASP को स्थिरता, सुदृढ़ता और उपयोगकर्त्ता निधियों को सुरक्षित रखने की क्षमता का प्रदर्शन करना चाहिये।
      • CASP को बाज़ार के दुरुपयोग और हेर-फेर से बचाव करने में सक्षम होना चाहिये।
    • स्टेबलकॉइन सेवा प्रदाताओं के लिये श्वेत पत्र की आवश्यकता:
      • स्टेबलकॉइन सेवा प्रदाताओं को क्रिप्टो उत्पाद और कंपनी में मुख्य प्रतिभागियों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी के साथ एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिये। इसमें जनता के लिये प्रस्ताव की शर्तें, उनके द्वारा उपयोग किये जाने वाले ब्लॉकचेन सत्यापन तंत्र का प्रकार, प्रश्न में क्रिप्टो संपत्ति से जुड़े अधिकार, निवेशकों के लिये शामिल प्रमुख जोखिम और संभावित खरीदारों को उनके निवेश के संबंध में सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिये एक सारांश होना चाहिये।
    • स्टेबलकॉइन जारीकर्त्ताओं के लिये आरक्षित संपत्ति की शर्त:
      • स्टेबलकॉइन जारीकर्त्ताओं को तरलता संकट से बचने के लिये उनके मूल्य के अनुरूप पर्याप्त भंडार बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
      • स्टेबलकॉइन उपयोगकर्त्ताओं के लिये अपर्याप्त भंडार का अप्रत्याशित प्रभाव हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप अधिक क्षति हो सकती है।
    • स्टेबलकॉइन फर्मों (गैर-यूरो मुद्राओं) के लिये लेन-देन की सीमाएँ:
      • गैर-यूरो मुद्राओं से जुड़ी स्थिर मुद्रा फर्मों को एक निर्दिष्ट क्षेत्र में €200 मिलियन ($220 मिलियन) की दैनिक लेन-देन सीमा (Daily Volume) के साथ निर्धारित करना होगा।
      • लेन-देन की सीमा का उद्देश्य स्टेबलकॉइन से जुड़े जोखिमों और वित्तीय स्थिरता पर उनके प्रभाव का प्रबंधन करना है।
    • क्रिप्टो कंपनियों के लिये एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग उपाय:
      • मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण गतिविधियों को रोकने के लिये क्रिप्टो कंपनियों को अपने स्थानीय एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग प्राधिकरण को क्रिप्टो संपत्ति के प्रेषकों एवं प्राप्तकर्त्ताओं के बारे में जानकारी भेजनी चाहिये।
      • एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग आवश्यकताओं का पालन करने में विफलता क्रिप्टो कंपनियों की प्रतिष्ठा पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
    • कानून की आवश्यकता:
      • वैश्विक क्रिप्टो उद्योग का लगभग 22% मध्य, उत्तरी और पश्चिमी यूरोप ($1.3 ट्रिलियन मूल्य की क्रिप्टो संपत्ति) में केंद्रित है, MiCA जैसा एक व्यापक ढाँचा है जिससे अमेरिका या ब्रिटेन की तुलना में यूरोपीय संघ को अपने विकास में प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त मिलेगी।
      • बढ़ते निवेश और क्रिप्टो उद्योग के आकार ने दुनिया भर के नीति निर्माताओं को स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये क्रिप्टो फर्मों में शासन प्रथाओं को सुनिश्चित करने हेतु प्रेरित किया है।
    • महत्त्व:
      • यह FTX (Futures Exchange) संकट के बाद भी क्षेत्र में अपने विश्वास को बहाल करते हुए उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से सुरक्षित रखेगा। यह क्रिप्टो संपत्ति और CASP जारीकर्त्ताओं के लिये अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के मामले में भारत की स्थिति:

  • क्रिप्टो संपत्तियों के लिये भारत के पास अभी तक एक व्यापक नियामक ढाँचा नहीं है हालाँकि इस पर एक मसौदा कानून कथित तौर पर काम कर रहा है।
  • वर्ष 2017 में RBI ने चेतावनी जारी की कि आभासी मुद्राएँ/क्रिप्टोकरेंसी भारत में कानूनी निविदा नहीं हैं।
    • हालाँकि आभासी मुद्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा।
  • वर्ष 2019 में RBI ने जारी किया कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार, धारण अथवा हस्तांतरण/उपयोग भारत में वित्तीय दंड या/और 10 वर्ष तक के कारावास की सज़ा के अधीन है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2020 में भारत में RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया।
  • वर्ष 2022 में भारत सरकार के केंद्रीय बजट 2022-23 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि किसी भी आभासी मुद्रा/क्रिप्टोकरेंसी संपत्ति का हस्तांतरण 30% कर कटौती के अधीन होगा।
    • जुलाई 2022 में RBI ने देश के मौद्रिक और राजकोषीय व्यवस्था के लिये 'अस्थिर प्रभाव' का हवाला देते हुए क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
    • भारत ने दिसंबर 2022 में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) अथवा ई-रुपया लॉन्च किया। यह अभी अपने पायलट/आरंभिक चरण में है।
  • सरकार ने ब्लॉकचेन तकनीकी के उपयोग और सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जारी करने की संभावना का पता लगाने के लिये एक पैनल भी स्थापित किया है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रिलिम्स:

प्रश्न. "ब्लॉकचेन तकनीकी" के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. यह एक सार्वजनिक खाता है जिसका हर कोई निरीक्षण कर सकता है, लेकिन जिसे कोई भी एक उपयोगकर्त्ता नियंत्रित नहीं करता।
  2. ब्लॉकचेन की संरचना और अभिकल्प ऐसा है कि इसका समूचा डेटा क्रिप्टो करेंसी के विषय में है।
  3. ब्लॉकचेन के आधारभूत विशेषताओं पर आधारित अनुप्रयोगों को बिना किसी की अनुमति के विकसित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 2

(d) केवल 1 और 3

उत्तर: d


मेन्स:

प्रश्न. चर्चा कीजिये की किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये (2021)

स्रोत: द हिंदू

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