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एडिटोरियल


भारतीय अर्थव्यवस्था

क्रिप्टो संपत्तियों का विनियमन

  • 28 Oct 2021
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 26/10/2021 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित ‘We need smart regulation to unlock the true potential of crypto assets’ लेख पर आधारित है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी संपत्तियों और क्रिप्टो के विनियमन से संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

प्रायः यह माना जाता है कि क्रिप्टो संपत्तियाँ, क्रिप्टो वित्त को अधिक समावेशी और विकेंद्रीकृत बनाती हैं। लेकिन भारत के पास पहले से ही ‘जन धन’ के रूप में विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम मौजूद है। पिछले सात वर्षों में बैंकिंग पहुँच से दूर 430 मिलियन लोगों के बैंक खाते खोले गए हैं। इनमें 55% के साथ बहुमत महिलाओं का रहा है। क्रिप्टो भारत में क्रियान्वित जन धन योजना के व्यापक स्तर से बराबरी नहीं कर सकता।    

इसके अलावा, बिटकॉइन और एथरियम जैसी क्रिप्टो संपत्तियों का विनियमन विश्व स्तर पर चर्चा का विषय है। विभिन्न देश क्रिप्टो संपत्तियों के संबंध में प्रतिबंध लगाने, प्रतिबंध हटाने, पुन: प्रतिबंध लगाने और विनियमित करने जैसे विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। निश्चय ही हम अन्य देशों के अनुभव से कुछ संकेत ग्रहण कर सकते  हैं, लेकिन हमें भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप भारत में विकसित कुशल विनियमन की आवश्यकता है।

भारत में क्रिप्टो को अपनाए जाने के कारण

  • भारत में क्रिप्टो संपत्तियों को अपनाए जाने का मुख्य कारण वित्तीय समावेशन नहीं है, बल्कि तीन ऐसे आकर्षक भारत-विशिष्ट कारण हैं जो क्रिप्टो को अपनाए जाने को प्रेरित करते हैं। 
  • भारत को नए वित्तीय पारितंत्र के एक अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करने की इच्छा: बड़े वैश्विक वित्तीय संस्थान और निवेशक अपने पोर्टफोलियो में क्रिप्टो संपत्ति को भी शामिल कर रहे हैं।
    • वित्तीय फर्म, बैंक, फिनटेक और क्रिप्टो स्टार्टअप उद्योग के व्यापक विकास का लाभ उठा सकते हैं। सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPs) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) ने आईटी सेवाओं के विकास को सक्षम बनाया है।    
    • रचनात्मक 'क्रिप्टो एक्सपोर्ट ज़ोन' योजनाएँ उत्कृष्टता समूहों को विकसित कर सकती हैं और विश्वस्तरीय वित्तीय सेवा फर्म एवं यूनिकॉर्न का सृजन कर सकती हैं।  
  • नई प्रौद्योगिकी और सेवा अवसरों का लाभ उठाना: ब्लॉकचेन अनुप्रयोग विकास, इसकी मापनीयता, सुरक्षा और एनालिटिक्स आईटी सेवाओं के लिये अगले चरण के विकास अवसरों का निर्माण करते हैं। इस मांग की पूर्ति के लिये क्रिप्टो टेक विशेषज्ञता रखने वाले एक बड़े टैलेंट पूल की आवश्यकता है। 
  • वित्तीय नवाचार का दायरा: ब्लॉकचेन के उपयोग से प्रौद्योगिकी नवाचार और व्यापार मॉडलों में भारी वृद्धि हुई है। वर्तमान में ब्लॉकचेन संबंधी कई एप्लीकेशन्स मौजूद हैं और भविष्य में इनकी संख्या और अधिक बढ़ सकती है। 

प्रमुख नियामक चिंताएँ

  • निवेशक सुरक्षा: भारतीय नियामकों के लिये निवेशकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। भारत में प्रायः क्रिप्टो संपत्ति को उच्च जोखिमयुक्त संपत्ति के रूप में देखा जाता है। ऐसे में निवेशकों को शिक्षित किये जाने और ‘मिस-सेलिंग’ के विरुद्ध दिशा-निर्देश जारी किये जाने संबंधी उपाय किये जाने आवश्यकता हैं।  
    • क्रिप्टो संपत्ति को अब डिजिटल मुद्राओं के बजाय डिजिटल संपत्ति के रूप में अधिक देखा जाता है।
    • उन्हें 'कमोडिटी’ की तरह विनियमित करना और उनके कर उपचार को स्पष्ट करना लाभ का सौदा होगा। इससे सरकार के कर राजस्व में वृद्धि हो सकती है।
    • यह कर दाखिल करने वालों की संख्या (वित्त वर्ष 2020 में केवल 64 मिलियन) और करदाताओं की संख्या (14 मिलियन) में भी वृद्धि कर सकता है।
  • मौजूदा नियमों को दरकिनार करना: कुछ क्रिप्टो संपत्तियाँ लोगों को प्रतिभूति जारी करने के कानूनों को दरकिनार करने का अवसर दे सकती हैं। यह आर्थिक स्थिरता के लिये एक संभावित जोखिम उत्पन्न करता है।  
    • यदि क्रिप्टो धारकों के लिये एक विशेष स्तर से ऊपर की होल्डिंग्स को अपने टैक्स फॉर्म्स में दर्शाना अनिवार्य कर दिया जाए तो ऐसी चिंताओं को कम किया जा सकता है।
  • अवैध हस्तांतरण: क्रिप्टो संपत्तियों का बेनामी हस्तांतरण धन-शोधन विरोधी कानूनों या आतंकी वित्तपोषण पर नियंत्रण के लिये मौजूद नियमों को कमज़ोर कर सकता है। यह संभावित राष्ट्रीय सुरक्षा समस्या उत्पन्न कर सकता है।   

विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने से संबद्ध समस्याएँ

  • पूर्ण प्रतिबंध: ‘क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021’ (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करता है।  
    • हालाँकि, क्रिप्टोकरेंसी को सार्वजनिक (सरकार-समर्थित) या निजी (किसी व्यक्ति के स्वामित्व के अंतर्गत) के रूप में वर्गीकृत करना दोषपूर्ण है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी विकेंद्रीकृत हैं, लेकिन निजी नहीं हैं।
    • बिटकॉइन जैसी विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी को निजी या सार्वजनिक किसी भी निकाय द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
  • ब्रेन-ड्रेन: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के परिणामस्वरूप भारत से प्रतिभा और व्यवसाय दोनों का पलायन हो सकता है, जैसा कि रिज़र्व बैंक के वर्ष 2018 के प्रतिबंध के बाद हुआ था। 
    • उस समय ब्लॉकचेन विशेषज्ञ स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, एस्टोनिया और अमेरिका जैसे देशों में पलायन कर गए थे, जहाँ क्रिप्टो को विनियमित किया गया था।
    • पूर्ण प्रतिबंध से शासन, डेटा अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किये जा रहे ब्लॉकचेन नवाचार में अवरोध उत्पन्न होगा।
  • परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी का अभाव: इस प्रतिबंध से भारत, उसके उद्यमी और नागरिक एक ऐसी परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी से वंचित हो जाएंगे, जिसे दुनिया भर में तेज़ी से अपनाया जा रहा है, जिसमें टेस्ला और मास्टरकार्ड जैसे कुछ बड़े और प्रमुख उद्यम भी शामिल हैं। 
  • एक अनुत्पादक प्रयास: विनियमन के बजाय प्रतिबंध लगाए जाने से एक समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण हो जाएगा और इसके अवैध उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जो प्रतिबंध के मूल उद्देश्य को ही विफल कर देगा।  
    • यह प्रतिबंध आरोपित करना संभव भी नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर क्रिप्टोकरेंसी की खरीद कर सकता है।
  • विरोधाभासी नीतियाँ: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय (MeitY) के ‘ब्लॉकचैन पर राष्ट्रीय रणनीति मसौदा, 2021’ के साथ असंगत है, जिसने ब्लॉकचेन तकनीक को पारदर्शी, सुरक्षित और कुशल तकनीक के रूप में स्वीकार किया है, जो इंटरनेट पर विश्वास की एक परत का निर्माण करती है।

आगे की राह 

  • विनियमन ही समाधान है: गंभीर समस्याओं को उभरने से रोकने के लिये विनियमन आवश्यक है। यह सुनिश्चित करेगा कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग नहीं किया जा रहा है और अत्यधिक बाज़ार अस्थिरता उत्पन्न नहीं हो रही, साथ ही यह संभावित घोटालों के खतरे से अनजान निवेशकों की भी रक्षा करेगा।  
    • विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत होना चाहिये और साथ ही यह अपने उद्देश्यों से पूर्णतः परिचित हो।
  • क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा स्पष्ट करना: किसी विधिक एवं नियामक ढाँचे को सर्वप्रथम क्रिप्टोकरेंसी को प्रासंगिक राष्ट्रीय कानूनों के तहत प्रतिभूतियों या अन्य वित्तीय साधनों के रूप में परिभाषित करना होगा और प्रभारी नियामक प्राधिकरण की पहचान करनी होगी। 
  • कड़े केवाईसी (KYC) मानदंड: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार को कड़े केवाईसी मानदंडों, रिपोर्टिंग और करदेयता (Taxability) के साथ क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करने का प्रयास करना चाहिये। 
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करना: पारदर्शिता, सूचना उपलब्धता और उपभोक्ता संरक्षण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये रिकॉर्ड कीपिंग, निरीक्षण, स्वतंत्र ऑडिट, निवेशक शिकायत निवारण और विवाद समाधान पर भी विचार किया जा सकता है। 
  • उद्यमिता की भावना को प्रेरित करना: क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में उद्यमशीलता की लहर को प्रेरित कर सकती है और ब्लॉकचेन डेवलपर्स से लेकर डिज़ाइनरों, प्रोजेक्ट मैनेजरों, बिजनेस एनालिस्ट, प्रमोटर्स और मार्केटर्स तक विभिन्न स्तरों पर रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकती है। 

निष्कर्ष

संक्षेप में, एक कुशल नियामक दृष्टिकोण को सभी संभावित लाभ-हानि पर विचार करना चाहिये। यह वित्तीय नवाचार को बढ़ावा देने, निवेशकों की सुरक्षा करने और भारतीय क्रिप्टो पारितंत्र के लिये अवसर के द्वार खोलने में योगदान कर सकता है।

अभ्यास प्रश्न: क्रिप्टो संपत्तियों की वास्तविक क्षमता को साकार करने के लिये भारत को उचित विनियमन की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये।

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