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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Feb, 2025
  • 11 min read
रैपिड फायर

4th नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस

स्रोत: पी.आई.बी.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने जर्मनी में चौथे नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस (NMFT) में भाग लिया। 

  • भारत ने आतंकवाद से निपटने में वैश्विक एकता पर बल दिया तथा नई दिल्ली में NMFT के स्थायी सचिवालय के लिये अपना प्रस्ताव दोहराया।
  • नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस:
    • शुरुआत: इसे वर्ष 2018 में फ्राँस द्वारा शुरू किया गया था। 
      • पिछले सम्मेलन: फ्राँस (पेरिस, 2018), ऑस्ट्रेलिया (2019) और भारत (2022)।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • उप-विषय: इस सम्मेलन में 4 प्रमुख उप-विषयों के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया:
    • बहुपक्षीय सहयोग
    • आतंकवाद के वित्तपोषण के तरीके
    • वित्तीय समावेशन एवं जोखिम-आधारित दृष्टिकोण
    • आतंकवाद का वित्तपोषण एवं संगठित अपराध
  • आतंकवाद-विरोधी एवं आतंकवाद के वित्तपोषण पर इसी प्रकार के सम्मेलन:
    • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की प्लेनरी बैठक: इसके तहत धन शोधन निवारण (AML) और आतंकवाद वित्तपोषण निवारण (CTF) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
    • संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद-रोधी सप्ताह: वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीतियों पर चर्चा करने के लिये इसे संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद-रोधी कार्यालय (UNOCT) द्वारा आयोजित किया जाता है।

और पढ़ें: आतंकवाद-रोधी प्रयासों में भारत का योगदान


रैपिड फायर

बाल्टिक देशों ने रूसी ग्रिड से संबंध तोड़े

स्रोत: द हिंदू 

बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया) आधिकारिक रूप से रूस के सोवियत काल के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से अलग हो गए हैं और फिनलैंड, स्वीडन तथा पोलैंड के साथ कनेक्शन के माध्यम से यूरोपीय संघ के पॉवर नेटवर्क में एकीकृत हो गए हैं।

रूस पर यूरोप की ऊर्जा निर्भरता:

  • बाल्टिक देशों को सोवियत काल का पॉवर ग्रिड विरासत में मिला था और वर्ष 1991 में स्वतंत्रता के बाद भी वे रूसी नेटवर्क से जुड़े रहे। 
  • वर्ष 2025 तक उन्होंने रूस और बेलारूस से पूर्ण विद्युत स्वतंत्रता हासिल कर ली।
  • रूस की ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता में काफी कमी आई है। वर्ष 2022 के रूस-यूक्रेन युद्ध से पूर्व, इसने रूस से 40% गैस, 30% तेल और 50% कोयला प्राप्त किया था। हालाँकि वर्ष 2023 तक इनका गैस आयात घटकर 14.8% रह गया। 

बाल्टिक देश:

  • बाल्टिक देश उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित हैं, जिनकी सीमा बाल्टिक सागर (पश्चिम और उत्तर), रूस (पूर्व), बेलारूस (दक्षिण-पूर्व) और पोलैंड एवं रूस (कैलिनिनग्राद) (दक्षिण-पश्चिम) से लगती है।
  • इन देशों ने वर्ष 1991 में सोवियत संघ से स्वतंत्रता प्राप्त की। 
  • इनके पास प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और इनकी आयात पर निर्भरता अधिक है, हालाँकि एस्टोनिया में ऑयल शेल का उत्पादन होता है। यहाँ कृषि अभी भी महत्त्वपूर्ण बनी हुई है, जिसमें अनाज, आलू, चारा फसलें और पशुपालन शामिल हैं।
  • सभी तीन देश नाटो (2004 से), यूरोपीय संघ , यूरोजोन और OECD के सदस्य हैं।

Baltic_States

और पढ़ें... बाल्टिक राष्ट्र - Drishti IAS


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मेटा का प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ

स्रोत: द हिंदू

मेटा द्वारा प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है, इसके तहत समुद्र के नीचे केबल नेटवर्क शामिल है जो 7,000 मीटर की गहराई के साथ 50,000 किलोमीटर तक विस्तारित होगा।  

  • यह भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका एवं अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाली विश्व की सबसे लंबी तथा तकनीकी रूप से सबसे उन्नत केबल प्रणाली होगी।
  • इसके वर्ष 2030 तक शुरू होने की उम्मीद है और इससे AI और डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा।
  • सब-सी केबल (पनडुब्बी केबल): ये समुद्र तल पर बिछाई गई उच्च क्षमता वाली ऑप्टिक फाइबर केबल हैं, जो उच्च गति डेटा विनिमय के क्रम में वैश्विक कनेक्टिविटी प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
    • इसमें पूर्ण आंतरिक परावर्तन के माध्यम से डिजिटल जानकारी संचारित करने के क्रम में तेज़ गति वाले प्रकाश स्पंदों का उपयोग किया जाता है। 
    • इसमें काँच के तंतुओं को प्लास्टिक और कभी-कभी स्टील के तार की परतों द्वारा संरक्षित किया जाता है।
    • उपग्रह संचार के विपरीत, फाइबर ऑप्टिक्स से असीमित बैंडविड्थ एवं लो लेटेंसी मिलती है और यह अंतरिक्ष मौसम, विकिरण या मलबे से अप्रभावित रहते हैं।

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  • भारत द्वारा जल्द ही दो केबल प्रणालियाँ शुरू की जाएंगी: 
    • इंडिया एशिया एक्सप्रेस (IAX) द्वारा चेन्नई और मुंबई को सिंगापुर, थाईलैंड एवं मलेशिया से जोड़ना शामिल है।
    • इंडिया यूरोप एक्सप्रेस (IEX) द्वारा चेन्नई और मुंबई को फ्राँस, ग्रीस, सऊदी अरब, मिस्र एवं जिबूती से जोड़ना शामिल है।

और पढ़ें: अंतःसमुद्री (अंडरसी) केबल नेटवर्क


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छत्रपति शिवाजी महाराज

स्रोत: द हिंदू 

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती 19 फरवरी को विश्व स्तर पर मनाई गई, जो उनकी स्थायी विरासत और प्रभाव को दर्शाती है।

  • छत्रपति शिवाजी महाराज: शिवाजी महाराज का 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग, पुणे में जन्म हुआ, वे भोंसले वंश के एक दूरदर्शी नेता और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, जिन्हें मुगल साम्राज्य का विरोध करने और स्वशासन हेतु प्रयास करने के लिये जाना जाता है।
  • प्रमुख युद्ध: प्रतापगढ़ का युद्ध, पावनखिंड का युद्ध, सूरत पर कब्ज़ा, पुरंदर का युद्ध, सिंहगढ़ का युद्ध और संगमनेर का युद्ध।
    • वाघनख का उपयोग शिवाजी ने वर्ष 1659 में प्रतापगढ़ के युद्ध में अफ़ज़ल खान को मारने के लिये किया था।
  • उपाधियाँ: छत्रपति, शककर्ता (Shakakarta), क्षत्रिय कुलवंत, और हैन्दव धर्मोद्धारक।
  • प्रशासन: अष्टप्रधान (आठ मंत्रियों की परिषद) के साथ केंद्रीकृत प्रशासन, जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया गया, रैयतवाड़ी प्रणाली को लागू किया गया और तटीय रक्षा के लिये एक मज़बूत नौसेना बल का निर्माण किया गया।
  • शिवाजी अपनी नवीन गुरिल्ला युद्ध रणनीति के लिये प्रसिद्ध हैं, जिसने बाद के शासकों को प्रभावित किया और मराठा सैन्य परिदृश्य को आकार दिया।
  • अन्य प्रमुख मराठा राजा: शिवाजी के बाद, संभाजी (1681–1689), राजाराम (1689–1700) और शाहू (1707–1749) ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया। बाद में पेशवा प्रशासन की शुरुआत बालाजी विश्वनाथ (1713–1720) से हुई, जिन्होंने मराठा शासन को सुदृढ़ किया।
  • पेशवा माधवराव प्रथम (1761-1772) ने पानीपत के तीसरे युद्ध (1761) के बाद मराठा शक्ति को पुनर्जीवित किया।

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और पढ़ें... छत्रपति शिवाजी महाराज


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रामकृष्ण परमहंस की जयंती

स्रोत: पी.आई.बी.

प्रधानमंत्री ने 18 फरवरी 2025 को स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • परिचय: रामकृष्ण परमहंस का जन्म गदाधर चट्टोपाध्याय के रूप में 18 फरवरी 1836 को बंगाल में हुआ था।

Ramakrishna_Paramhansa

  • धार्मिक दर्शन: वह देवी काली के प्रति गहरी आस्था रखते थे, पुजारी के रूप में सेवा करते थे और दक्षिणेश्वर काली मंदिर में उनकी पूजा करते थे।
    • उन्होंने तांत्रिक, भक्ति, वैष्णववाद और अद्वैत वेदांत सहित विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं का अनुसरण किया।
    • रामकृष्ण ने धार्मिक एकता का उपदेश दिया और उनका मानना था कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। 
  • विरासत का प्रसार: उनके प्रमुख शिष्य नरेन्द्र नाथ दत्त (बाद में स्वामी विवेकानंद) ने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और रामकृष्ण की शिक्षाओं को भारत, अमेरिका एवं यूरोप में प्रसारित किया।
  • शिक्षण दस्तावेज़ीकरण: उनके शिष्य महेंद्रनाथ गुप्त ने श्री श्री रामकृष्ण कथामृत (बंगाली) नामक पुस्तक में रामकृष्ण की शिक्षाओं का दस्तावेज़ीकरण किया।

और पढ़ें: रामकृष्ण मिशन के 'जागृति' कार्यक्रम


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