भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली
- 12 Feb 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली, व्यापार सुगमता मेन्स के लिये:व्यापार सुगमता में राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (National Single Window System- NSWS) में शामिल होने वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश बन गया।
- केंद्रशासित प्रदेश में व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business- EoDB) की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
- NSWS इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (IILB) से जुड़ा हुआ है, जो जम्मू-कश्मीर के 45 औद्योगिक पार्कों की मेज़बानी करता है। इससे निवेशकों को जम्मू-कश्मीर में उपलब्ध भू-खंड खोजने में मदद मिलेगी।
क्या है राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली?
- इस प्लेटफॉर्म को सितंबर 2021 में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
- यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो निवेशकों को उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार अनुमोदन के लिये आवेदन करने हेतु गाइड के रूप में कार्य करता है।
- यह सूचना एकत्र करने और विभिन्न हितधारकों से मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये निवेशकों की अलग-अलग प्लेटफॉर्मों/कार्यालयों का दौरा करने की समस्या को दूर कर व्यवसाय पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाता है।
महत्त्व:
- यह राज्य और केंद्र सरकार से अनुमोदन प्राप्त करने हेतु "वन स्टॉप शॉप" के रूप में काम करेगा तथा पारिस्थितिकी तंत्र को पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुक्रियाशीलता प्रदान करेगा।
- यह व्यवसायों को उन सभी अनुमोदनों के विवरण के साथ-साथ एक सामान्य पंजीकरण फॉर्म, दस्तावेज़ भंडार और ई-संचार मॉड्यूल के विवरण के बारे में सूचित करने के लिये अनुमोदन के बारे में जानें (Know Your Approvals- KYA) जैसी सेवा भी प्रदान करेगा।
- यह अन्य योजनाओं जैसे- मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना (PLI) आदि को मज़बूती प्रदान करेगा।
व्यापार सुगमता (EoDB) में सुधार हेतु अन्य पहलें:
- केंद्रीय बजट भाषण 2020 में निवेश निकासी प्रकोष्ठ (Investment Clearance Cell-ICC) की घोषणा की गई थी।
- ICC पूर्व-निवेश परामर्श सहित निवेशकों को "अंत तक" सुविधा और समर्थन, भूमि बैंकों से संबंधित जानकारी और केंद्र एवं राज्य स्तर पर मंज़ूरी की सुविधा प्रदान करेगा। सेल को एक ऑनलाइन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) तथा गैर-अपराधीकरण में संशोधन।
- मध्यम आकार की कंपनियों के लिये निगम कर को 30% से घटाकर 25% किया गया है।
- कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने MCA21 परियोजना शुरू की है, जो कॉर्पोरेट संस्थाओं, पेशेवरों और आम जनता के लिये सेवाओं तक आसान व सुरक्षित पहुँच को सक्षम बनाता है।
- इसने कंपनी इलेक्ट्रॉनिकली प्लस (SPICe+) वेब फॉर्म को शामिल करने के लिये सरलीकृत प्रपत्र भी लॉन्च किया है।
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कागज़ रहित प्रसंस्करण, सहायक दस्तावेज़ो को अपलोड करने और सीमा पार व्यापार की सुविधा हेतु ई-संचित (ई-स्टोरेज एवं अप्रत्यक्ष कर दस्तावेज़ो का कम्प्यूटरीकृत संचालन) सुविधा शुरू की है।
- करदाताओं हेतु ई-मूल्यांकन योजना।