शासन व्यवस्था
SPICe + वेब फॉर्म का उद्घाटन
- 25 Feb 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:SPICe + वेब फॉर्म, व्यापार सुगमता सूचकांक मेन्स के लिये:व्यापार सुगमता के मार्ग में आने वाली प्रमुख समस्याएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs-MCA) ने ‘SPICe+’ वेब फॉर्म का उद्घाटन किया।
क्या है SPICe+ वेब फॉर्म:
- भारत सरकार की ‘इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ (Ease of Doing Business-EODB) पहल के एक भाग के रूप में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने SPICe+ (जिसे SPICe प्लस के रूप में जाना जाता है ) नामक एक वेब फाॅर्म (डिजिटल प्लेटफॉर्म) को अधिसूचित किया है।
- इस वेब फाॅर्म से व्यापार की सुगमता में आने वाली समस्याओं यथा- प्रक्रियागत जटिलता, समय की देरी और अधिक लागत आदि का समाधान संभव हो पायेगा।
- यह वेब फाॅर्म केंद्र सरकार के 3 मंत्रालयों (कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग) तथा 1 राज्य (महाराष्ट्र) को लगभग 10 सेवाएँ प्रदान करेगा।
SPICe+ वेब फाॅर्म की विशेषताएँ:
- SPICe+ एक एकीकृत वेब फॉर्म होगा, जिसके दो भाग हैं:
- भाग A- नई कंपनियों के नाम को आरक्षित करने के लिये।
- भाग B- विभिन्न सेवाओं को एक साथ लिंक करने यथा-PAN (Permanent Account Number) का अनिवार्य मुद्दा, DIN (Director Identification Number) आवंटन आदि के लिये।
- नया वेब फॉर्म ऑन-स्क्रीन फाइलिंग और कंपनियों के निर्बाध समावेश (Incorporated) के लिये वास्तविक समय डेटा सत्यापन (Real Time Data Validation) की सुविधा प्रदान करेगा।
- नई कंपनियों को SPICe+ के माध्यम से समावेशन के लिये कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees' Provident Fund Organisation- EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees State Insurance Corporation- ESIC) में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- महाराष्ट्र राज्य की नई कंपनियों के लिये SPICe+ के माध्यम से व्यवसाय टैक्स (Profession Tax) हेतु पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- नई कंपनियों को बैंक खाते खोलने के लिये SPICe+ के माध्यम से आवेदन करना अनिवार्य होगा।
EODB के क्षेत्र:
- राष्ट्रीय स्तर पर सरकार निम्नलिखित 10 क्षेत्रों में सुधार के प्रयास कर रही है-
- किसी व्यवसाय को शुरू करना,
- निर्माण परमिट लेना
- बिजली प्राप्त करना
- संपत्ति को पंजीकृत करना
- ऋण प्राप्त करना
- लघु निवेशकों की रक्षा करना
- करों का भुगतान करना
- सीमा पार व्यापार
- अनुबंधों को लागू करना
- दिवालियापन की समस्या को हल करना
EODB के लिये उठाए गए कदम:
- ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म का बेहतर उपयोग, व्यावसायिक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, परमिट के निर्माण में लगने वाले समय को कम करना।
- GST (Goods and Services Tax), मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना जैसी पहलें प्रारंभ की हैं, जिनकी सहायता से लोगों द्वारा व्यवसाय करना और व्यापार के लिये पूंजी प्राप्त आसान हो गया है।
- लघु और मध्यम उद्योगों की क्षमता को ठीक से पहचान कर इनमें वित्त के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये छोटे-छोटे क्लस्टर विकसित करना, लघु और मध्यम उद्योगों तथा कृषि क्षेत्र में ऋण की उपलब्धता बढ़ाने के लिये MCLR (Marginal Cost of Fund Based Lending Rate) प्रणाली के स्थान पर एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट की प्रणाली लागू की गई है।
- हाल ही में कॉर्पोरेट करों में कटौती की गई है ताकि निवेश लागत कम हो तथा निवेश को बढ़ावा मिले।
- ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म के संदर्भ में भारत डिजिटल इंडिया का क्रियान्वयन कर रहा है जिसके तहत व्यापार प्रारंभ करना, संचालित करना, ऋण उपलब्धता अधिक आसान हो गई है।
आगे की राह:
- विश्व बैंक के ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सूचकांक-2020’ में भारत 63वें स्थान पर पहुँच गया है लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर लगातार कम हो रही है, इस कम होती गति को पुन: तेज़ करने हेतु GST व्यवस्था, NPA और दोहरे तुलनपत्र जैसी समस्याओं, भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी राजनीतिक निर्णयों में निवेशकों का विश्वास, IBC सुधार जैसे उपायों पर जल्द कार्यवाही की आवश्यकता है।