भारतीय अर्थव्यवस्था
आयकर ई-मूल्यांकन के लिये राष्ट्रीय केंद्र (NeAC)
- 25 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
सरकार ने फेसलेस ई-मूल्यांकन योजना को लागू करने के लिये नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र (National e-Assessment Centre-NeAC) स्थापित करने की घोषणा की है।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes-CBDT) जो आयकर विभाग के लिये नीति तैयार करता है, द्वारा NeAC के निर्माण हेतु एक आदेश जारी किया गया है।
संरचना:
- NeAC में 16 अधिकारी होंगे तथा एक प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ई-मूल्यांकन केंद्र की अध्यक्षता करेगा।
- यह एक स्वतंत्र कार्यालय होगा, जो ई-मूल्यांकन के काम की देखरेख करेगा।
- पूछताछ करने वाली एक पृथक इकाई के साथ उचित और सही आकलन सुनिश्चित करने के लिये एक समीक्षा इकाई भी होगी।
कार्यप्रणाली:
- NeAC द्वारा करदाताओं को एक नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें उनके मामले के मूल्यांकन हेतु चयन के कारणों का उल्लेख होगा। केंद्र उक्त नोटिस की प्रतिक्रिया प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर स्वचालित प्रणाली का उपयोग करके एक आकलन अधिकारी को मामला आवंटित करेगा।
- NeAC अपने आठ क्षेत्रीय केंद्रों (नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे और बंगलूरू) को मूल्यांकन के लिये मामले सौंप सकेगा।
- किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र या क्षेत्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र अथवा इस योजना के तहत गठित किसी अन्य इकाई के आयकर प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी।
- हालाँकि यदि करदाता या उनके अधिकृत प्रतिनिधि चाहते हैं कि व्यक्तिगत सुनवाई के लिये उनके मामले को आयकर प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, तो उन्हें किसी भी इकाई में ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। ऐसी सुनवाई विशेष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या किसी अन्य माध्यम से की जाएगी।
निहितार्थ
- यह पहल, आकलन और जाँच में मानवीय गतिविधियों को कम करने के सरकारी प्रयासों का एक हिस्सा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, दूरसंचार अनुप्रयोग, सॉफ्टवेयर और मोबाइल अनुप्रयोग जैसी नई तकनीकों का लाभ उठाकर भ्रष्टाचार की संभावनाओं को समाप्त करेगा।
- यह ई-गवर्नेंस के दायरे का विस्तार और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- NeAC की स्थापना से कर अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा और कर आधार का विस्तार होगा।