राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान 2020-21 और 2021-22 | 08 Oct 2024
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA), कोविड-19 महामारी, आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE), भारत के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा दिशानिर्देश, 2016, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, पीएम राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK), राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) मुख्य परीक्षा के लिये:स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहल। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान जारी किये हैं।
- ये रिपोर्टें NHA शृंखला के आठवें और नौवें संस्करण हैं, जिनसे देश के स्वास्थ्य देखभाल व्यय का व्यापक अवलोकन मिलता है।
वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिये NHA अनुमानों के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- स्वास्थ्य में सरकारी व्यय (GHE) में वृद्धि: सकल घरेलू उत्पाद में GHE की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 के 1.13% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 1.84% हो गई।
- सामान्य सरकारी व्यय (GHE) में GHE की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 के 3.94% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 6.12% हो गई।
- यह वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता (विशेष रूप से कोविड-19 महामारी की प्रतिक्रिया में) को दर्शाती है।
- आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में गिरावट:
- वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22 तक कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) में OOPE की हिस्सेदारी 62.6% से घटकर 39.4% हो गई।
- यह कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार करने के सरकारी प्रयासों के कारण हुई है, जिससे व्यक्तियों पर वित्तीय दबाव कम हुआ है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) में सरकार की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 के 29% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 48% हो गई।
- यह बदलाव सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक निर्भरता और नागरिकों पर कम वित्तीय बोझ का संकेत देता है।
- GHE में वृद्धि से स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने और व्यक्तियों के लिये वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने के क्रम में सरकार की प्राथमिकता पर प्रकाश पड़ता है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी में वृद्धि: THE में सरकार की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 के 29% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 48% हो गई।
- इससे नागरिकों पर वित्तीय बोझ में कमी आई है।
- सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) में वृद्धि से चिकित्सा सेवाओं तक बेहतर पहुँच और व्यक्तियों के लिये वित्तीय सुरक्षा वृद्धि का संकेत मिलता है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय:
- भारत का अनुमानित कुल स्वास्थ्य व्यय 7,39,327 करोड़ रुपए था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.73% था, यह वर्ष 2020-21 में प्रति व्यक्ति व्यय 5,436 रुपए था।
- भारत का कुल स्वास्थ्य व्यय बढ़कर 9,04,461 करोड़ रुपए हो गया, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.83% है, जो वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति व्यय 6,602 रुपए था।
- स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा व्यय (SSE) में वृद्धि: देश के स्वास्थ्य वित्तपोषण में सामाजिक सुरक्षा व्यय (SSE) में सकारात्मक रुझान रहा है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय में SSE की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 5.7% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 8.7% हो गई।
- इसमें सरकारी वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा, सरकारी कर्मचारियों के लिये चिकित्सा प्रतिपूर्ति और सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम शामिल हैं।
- SSE में हुई वृद्धि से स्वास्थ्य देखभाल के लिये जेब से किये जाने वाले भुगतान में प्रत्यक्ष रूप से कमी आती है।
- एक मज़बूत सामाजिक सुरक्षा तंत्र आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच के दौरान वित्तीय कठिनाई और निर्धनता को रोकने में सहायक है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय में SSE की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 5.7% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 8.7% हो गई।
- वर्तमान स्वास्थ्य व्यय का वितरण:
- वर्ष 2020-21 में चालू स्वास्थ्य व्यय (CHE) में केंद्र सरकार का हिस्सा 81,772 करोड़ रुपए (CHE का 12.33%) था, जिसमें राज्य सरकारों ने 1,38,944 करोड़ रुपए (CHE का 20.94%) का योगदान दिया।
- वर्ष 2021-22 तक केंद्र सरकार के CHE का हिस्सा बढ़कर 1,25,854 करोड़ रुपए (15.94%) हो गया, जिसमें राज्य का योगदान बढ़कर 1,71,952 करोड़ रुपए (21.77%) पहुँच गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा क्या हैं?
- NHA के अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2011 में स्थापित वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य लेखा प्रणाली (SHA) ढाँचे पर आधारित हैं।
- यह ढाँचा स्वास्थ्य देखभाल व्यय पर नज़र रखने और रिपोर्ट करने के लिये एक मानकीकृत पद्धति प्रदान करके अंतर-देशीय तुलना की अनुमति देता है।
- NHA भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में वित्तीय प्रवाह का विवरण देता है, तथा यह दर्शाता है कि किस प्रकार धन एकत्रित किया जाता है, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में व्यय किया जाता है, तथा स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उसका उपयोग किया जाता है।
- भारत का NHA अनुमान भारत के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा दिशानिर्देश, 2016 का अनुसरण करते हैं, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में परिवर्तन को प्रतिबिंबित करने के लिये अद्यतन किये जाते हैं।
- NHA की कार्यप्रणाली और अनुमानों को भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की गतिशील प्रकृति और विकसित नीतियों/कार्यक्रमों के अनुरूप नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।
- डेटा उपलब्धता, आकलन पद्धतियों और हितधारक फीडबैक के संबंध में निरंतर सुधार किये जाते हैं।
स्वास्थ्य सेवा से संबंधित सरकार की पहल क्या हैं? |
निष्कर्ष
- वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान भारत के स्वास्थ्य सेवा व्यय के रुझान और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सरकार के बढ़ते निवेश के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- बढ़ते सरकारी स्वास्थ्य व्यय, कम होते जेब खर्च और बढ़ते सामाजिक सुरक्षा व्यय जैसे प्रमुख संकेतक एक लचीली और समावेशी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का संकेत देते हैं।
- ये अनुमान वित्तीय बाधाओं को कम करने, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे में सुधार लाने तथा चल रहे सुधारों और मज़बूत वित्तीय समर्थन से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को उज़ागर करते हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के उद्देश्यों और प्रमुख घटकों पर चर्चा कीजिये। ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और परिणामों को बेहतर बनाने में इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मुख्य परीक्षा:Q. लगातार उच्च विकास के बावजूद मानव विकास सूचकांक में भारत अभी भी सबसे कम अंकों के साथ है। उन मुद्दों की पहचान करें जो संतुलित और समावेशी विकास को सुनिश्चित करते हैं। (वर्ष 2019) |