सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना | 06 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना, संसद सदस्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना, खेलो इंडिया, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारत का सर्वोच्च न्यायालय

मेन्स के लिये:

शक्तियों का पृथक्करण, MPLADS योजना का महत्त्व और संबंधित मुद्दे।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों? 

सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) भारत में एक बहस का विषय है इसके समर्थक इसके स्थानीय सशक्तीकरण लाभों का हवाला देते रहे हैं जबकि इसके आलोचक संबंधित संवैधानिक सिद्धांतों के साथ परियोजना की जवाबदेही पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। 

  • अधूरी परियोजनाओं की हालिया रिपोर्टों और अधिक धनराशि की मांग से MPLADS की निगरानी एवं जवाबदेहिता के संदर्भ में बहस को बढ़ावा मिला है।

MPLADS क्या है?

  • परिचय: MPLADS वर्ष 1993 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जो संसद सदस्यों (MP) को स्थानीय स्तर पर आवश्यक टिकाऊ सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण पर बल देते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाती है।
  • कार्यान्वयन: राज्य स्तरीय नोडल विभाग MPLADS की देखरेख करता है जबकि ज़िला प्राधिकरण संबंधित परियोजनाओं को मंजूरी देने के साथ धन आवंटित करते हैं और इनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हैं।
  • निधि आवंटन: वर्ष 2011-12 से प्रत्येक सांसद को प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपए आवंटित किये जाते हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा ज़िला प्राधिकरण को 2.5 करोड़ रुपए की दो किस्तों में निधि वितरित की जाती है।
  • निधि की प्रकृति: यह निधियाँ व्यपगत नहीं होती हैं और यदि किसी वर्ष में उनका उपयोग नहीं किया जाता है तो उन्हें आगे अंतरित किया जाता है। सांसदों को अपने कोष का न्यूनतम 15% और 7.5% क्रमशः अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के हित में परिसंपत्तियों के निर्माण में आवंटित करना चाहिये।
  • विशेष प्रावधान: सांसद राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं के लिये अपने निर्वाचन क्षेत्र या राज्य से बाहर 25 लाख रुपए वार्षिक तक आवंटित कर सकते हैं। गंभीर प्राकृतिक आपदाओं के लिये सांसद भारत में कहीं भी परियोजनाओं के लिये 1 करोड़ रुपए तक आवंटित कर सकते हैं।
  • MPLADS के अंतर्गत पात्र परियोजनाएँ: MPLADS निधि को टिकाऊ परिसंपत्ति निर्माण के क्रम में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के साथ एकीकृत किया जा सकता है तथा खेल अवसंरचना विकास के लिये इसे खेलो इंडिया कार्यक्रम के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
  • सामाजिक कल्याण में संलग्न पंजीकृत सोसाइटियों या ट्रस्टों के स्वामित्व वाली भूमि पर कम से कम तीन वर्षों तक बुनियादी ढाँचे के समर्थन की अनुमति है लेकिन उन सोसाइटियों के लिये यह निषिद्ध है जहाँ सांसद या उनके परिवार के सदस्य पदाधिकारी हैं।

MPLADS के पक्ष और विपक्ष में मुख्य तर्क क्या हैं?

  • आलोचनाएँ:
    • संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन: आलोचकों का तर्क है कि MPLADS से विधायकों को कार्यकारी शक्ति मिलने से शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होता है।
      • सांसद केवल परियोजनाओं की सिफारिश करने का दावा करते हैं लेकिन इसमें चिंता यह है कि ज़िला प्राधिकारी शायद ही कभी सांसदों की सिफारिशों की अवहेलना करते हैं, जिससे लोकतांत्रिक शासन में जवाबदेही और शक्तियों के पृथक्करण पर सवाल उठते हैं।
      • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) (2005) ने इस योजना को समाप्त करने की सिफारिश की थी, जिसमें विधायिका द्वारा कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने तथा स्थानीय सरकारों के अधिकारों का उल्लंघन करने की समस्या पर प्रकाश डाला गया था।
    • जवाबदेही का अभाव: इससे संबंधित चिंताओं में अपर्याप्त निगरानी और मूल्यांकन तंत्र शामिल हैं, जिसके कारण सार्वजनिक धन का दुरुपयोग होने की संभावना बनी रहती है।
      • इसमें आरोप लगाया जाता है कि सांसद इन निधियों का उपयोग अपने संबंधी ठेकेदारों या यहाँ तक ​​कि परिवार के सदस्यों को लाभ पहुँचाने के लिये करते हैं।
      • MPLADS योजना किसी भी वैधानिक कानून द्वारा शासित नहीं है, जिससे इससे संबंधित नियमों और विनियमों को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
    • राजनीतिक दुरुपयोग: रिपोर्टों से पता चलता है कि धन के उपयोग की जाँच अक्सर राजनीतिक रूप से प्रेरित (विशेष रूप से चुनाव के दौरान) होती है।
  • MPLADS में समस्याएँ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने इस योजना के क्रियान्वयन में कई कमियाँ बताई हैं:
    • एमपीएलएडी के अंतर्गत निधियों का प्रायः पूरा उपयोग नहीं हो पाता है तथा इनकी उपयोग दर 49% से 90% तक होती है।
    • नई परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये धन उपलब्ध कराने के स्थान पर धन का एक प्रमुख हिस्सा मौजूदा परिसंपत्तियों के सुधार के लिये उपयोग किया जाता है।
    • कार्य आदेश जारी करने में देरी और खराब रिकॉर्ड रखने से समस्या और जटिल हो जाती है, जिससे पारदर्शिता एवं जवाबदेही को लेकर चिंताओं में वृद्धि हुई है।
  • पक्ष में तर्क:
    • स्थानीय विकास पर ध्यान: इसके समर्थकों (मुख्य रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों) का मानना ​​है कि MPLADS स्थानीय विकास के लिये एक उपकरण के रूप में कार्य करती है, जिससे सांसदों को अपने समुदायों की आवश्यकताओं पर सीधे प्रतिक्रिया करने की शक्ति मिलती है।
      • परियोजना चयन में लचीलापन: निर्वाचित प्रतिनिधियों का तर्क है कि MPLADS से उन परियोजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन को समर्थन मिलता है जो स्थानीय प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करती हैं।
    • आवंटन में वृद्धि की मांग: कुछ सांसद MPLADS निधि में वृद्धि की वकालत कर रहे हैं, उनका तर्क है कि वर्तमान प्रति व्यक्ति आवंटन छोटी आबादी के लिये विधानसभा के सदस्यों को मिलने वाले आवंटन से कम है।
    • यह माना जा रहा है कि इस वृद्धि से बड़े सांसद निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक समान विकास संभव हो सकेगा तथा विधायकों को उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे। 

MPLADS पर सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण:

  • वर्ष 2010 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस योजना को संवैधानिक माना तथा MPLADS को वैध ठहराया, साथ ही इस बात पर बल दिया कि सांसद केवल परियोजनाओं की सिफारिश करते हैं, जिन्हें ज़िला अधिकारियों द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस योजना ने स्थानीय समुदायों के लिये सकारात्मक योगदान दिया है तथा इसके तहत जल सुविधाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे जैसे आवश्यक विकास कार्यों को वित्तपोषित किया गया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार विनियोग विधेयक (भारतीय संविधान के अनुच्छेद 282) के माध्यम से लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिये धन आवंटित कर सकती है, जिससे MPLADS योजना राज्य की नीति के निर्देशक सिद्धांतों (अनुच्छेद 38) के तहत सार्वजनिक उद्देश्य के हिस्से के रूप में वैध हो जाती है।

MPLADS की निगरानी कितनी प्रभावी है?

  • तृतीय-पक्ष मूल्यांकन: सरकार ने तृतीय-पक्ष निगरानी के माध्यम से MPLADS का मूल्यांकन करने पर बल दिया है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास परामर्श सेवा बैंक (NABCONS) और कृषि वित्त निगम (AFC) लिमिटेड जैसे संगठनों ने कुछ सकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डाला है, जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाली संपत्ति निर्माण और विकेंद्रीकृत विकास।
    • हालांकि तीसरे पक्ष के मूल्यांकन में भी अनियमितताएँ सामने आई हैं जैसे अयोग्य कार्यों की मंजूरी, परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण, कुछ परिसंपत्तियों का अस्तित्व न होना, परिसंपत्तियों के उपयोग में असंतुलन, वित्तीय मंजूरी और कार्यों के पूरा होने में देरी तथा अयोग्य ट्रस्टों/सोसायटियों को कार्य सौंपना।
  • MPLADS की निगरानी में प्रमुख समस्याएँ: तीसरे पक्ष द्वारा किये जाने वाले मूल्यांकन में अक्सर देरी होती है जिससे परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान सुधारात्मक कार्रवाई में समस्या आती है।
    • अपर्याप्त जाँच और अनियमितताओं पर अनुवर्ती कार्रवाई के अभाव से धन के दुरुपयोग को बढ़ावा मिलता है।
    • अपारदर्शी प्रक्रियाओं, अपारदर्शी निधि उपयोग से डेटा तक सीमित सार्वजनिक पहुँच के साथ जाँच में बाधा आती है।
    • प्रत्येक सांसद के पास पिछले 10 वर्षों के दौरान निधि के उपयोग का सटीक विवरण है लेकिन यह जानकारी पोर्टल पर अद्यतन नहीं की गई है

क्या MPLADS में सुधार या समाप्ति की आवश्यकता है?

  • सुधार के पक्ष में तर्क:
    • MPLADS में सुधार के लिये इसे वैधानिक समर्थन देना और एक स्वतंत्र निगरानी निकाय की स्थापना करना शामिल हो सकता है। इससे बेहतर प्रशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी तथा दुरुपयोग और अक्षमता से संबंधित चिंताओं का समाधान होगा।
      • ठेकेदारों के चयन के लिये खुली निविदा का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये CAG प्रतिनिधि मौजूद हों।
    • इसमें ऐसे सुधार हो सकते हैं जो MGNREGS और प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) योजना जैसी राष्ट्रीय योजनाओं के साथ बेहतर एकीकरण को सक्षम बना सकें ताकि धन का प्रभावी उपयोग हो सके।
    • वर्तमान योजना से सांसदों को विभिन्न परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध होता है लेकिन इसके तहत सुधारों में स्थानीय विकास को बढ़ावा देने के क्रम में हाशिये पर पड़े समुदायों के लिये कल्याणकारी पहलों पर बल दिया जा सकता है।
  • उन्मूलन के पक्ष में तर्क:
    • MPLADS को समाप्त करने से धनराशि सीधे स्थानीय सरकारों (पंचायतों, नगर पालिकाओं) को दी जा सकेगी, जो समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझने और उनका समाधान करने की बेहतर स्थिति में होंगी।
    • कई लोगों का तर्क है कि मौजूदा सरकारी योजनाएँ पहले से ही स्थानीय विकास आवश्यकताओं को पूरा करती हैं, तथा MPLADS को समाप्त करने से संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा साथ ही प्रयासों के दोहराव को रोका जा सकेगा।
    • कमज़ोर विनियमन के कारण धन का दुरुपयोग और असमान वितरण से भ्रष्टाचार तथा अकुशलता की संभावना बढ़ गई है।

निष्कर्ष

  • MPLADS के विकास उद्देश्यों को मज़बूत जवाबदेही तंत्र के साथ संतुलित करना इसके भविष्य को निर्धारित कर सकता है। इसमें पारदर्शिता बढ़ाने के लिये सुधार पर्याप्त होंगे या इसके उन्मूलन जैसे अधिक कठोर उपायों की आवश्यकता होगी, यह भारत के लोकतांत्रिक शासन में बहस का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: MPLADS योजना से संबंधित मुद्दे क्या हैं? इससे शक्तियों के पृथक्करण को किस प्रकार चुनौती मिलती है? 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के अंतर्गत निधियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2020)

  1. MPLADS निधियाँ टिकाऊ परिसंपतियों जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की भौतिक आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में ही प्रयुक्त हो सकती हैं। 
  2. प्रत्येक सांसद की निधि का एक निश्चित अंश अनुसूचित जाति/जनजाति जनसंख्या के लाभार्थ प्रयुक्त होना आवश्यक है। 
  3. MPLADS निधियाँ वार्षिक आधार पर स्वीकृत की जाती हैं और अप्रयुक्त निधि को अगले वर्ष के लिये अग्रेषित नहीं किया जा सकता। 
  4. कार्यान्वित हो रहे सभी कार्यों में से कम-से-कम 10% कार्यों का ज़िला प्राधिकारी द्वारा प्रतिवर्ष निरीक्षण करना अनिवार्य है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: (d)