दुबई में बाढ़ | 25 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:वर्षा, जल निकासी प्रणाली, जलवायु परिवर्तन, चक्रवात, टोर्नेडो/बवंडर। मेन्स के लिये:भारत और विश्व में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ ऊर्जा |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates- UAE) में भयंकर तूफान आने के बाद सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई। संयुक्त अरब अमीरात से पहले टोर्नेडो/बवंडर ने शुरुआत में ओमान को प्रभावित किया था।
- वहीं, अरब सागर के दूसरी ओर स्थित मुंबई में पिछले कुछ दिनों से उमस भरी गर्मी पड़ रही है, जिस कारण मौसम में 55% की उच्च सापेक्ष आर्द्रता है।
मुंबई के गर्म मौसम का कारण क्या है?
- मुंबई के गर्म मौसम का कारण इस क्षेत्र में विकसित एक बड़ा एंटी-साइक्लोनिक प्रभाव है।
- प्रतिचक्रवात उच्च वायुमंडलीय दबाव वाले क्षेत्र होते हैं।
- प्रतिचक्रवात में वायु नीचे की ओर चलती है और संकुचित होती है, जिससे ताप उत्पन्न होता है। वे अक्सर बड़े पैमाने पर हीटवेव का कारण बनते हैं।
- प्रतिचक्रवात अन्य मौसम प्रणालियों को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे उनके आसपास चरम स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- मुंबई में प्रतिचक्रवात ने "हीट डोम" प्रभाव उत्पन्न किया, जिससे वायु और अधिक गर्म हो गई।
- पश्चिम एशिया व अरब सागर से गर्म वायु स्थल की ओर प्रवाहित होती है और आगे बढ़ते हुए वह मंद गति से ठंडी होना प्रारंभ होती है, जिसके फलस्वरूप मानसून सीज़न से पहले मुंबई में नमी बढ़ जाती है।
- आमतौर पर, रात्रि में समुद्री हवाएँ मुंबई के तापमान को ठंडा करती हैं, लेकिन प्रतिचक्रवात ने उन्हें अवरुद्ध कर दिया। इसके परिणामस्वरूप रात का तापमान सामान्य से अधिक रहा।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की जलवायु और वर्षा पैटर्न क्या है?
- परिचय:
- संयुक्त अरब अमीरात दुनिया के शुष्कतम क्षेत्रों में स्थित है इसलिये वहाँ इतनी भारी बारिश होना असामान्य है।
- दुबई में एक साल में औसतन 94.7 मिमी बारिश होती है। लेकिन यह घटना ऐतिहासिक थी क्योंकि इसमें 24 घंटों में 142 मिमी से अधिक बारिश हुई थी, जिससे दुबई में बाढ़ जैसे हालत बने।
- अतिवृष्टि के संभावित कारण: ऐसी विनाशकारी घटना के संभावित कारणों को निम्नलिखित कारणों से ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है:
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ इससे जुड़े कई कारक जैसे प्राकृतिक जलवायु परिवर्तनशीलता के पैटर्न, जैसे अल-नीनो और ला-नीना ने अत्यधिक बारिश में योगदान दिया है।
- ग्लोबल वार्मिंग: इससे तापमान में वृद्धि हुई है, जिससे न केवल भूमि से बल्कि महासागरों और अन्य जल निकायों से भी जल का वाष्पीकरण हो रहा है, जिससे वातावरण में अति उष्णार्द्र जैसी स्थिति बनी हुई है।
- औसत तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लिये, वातावरण में लगभग अधिकतम 7% तक आर्द्रता में वृद्धि हो सकती है।
- यह आने वाले तूफानों को और अधिक खतरनाक बना देता है क्योंकि इससे वर्षा की तीव्रता, अवधि या तूफान की आवृत्ति में वृद्धि होती है।
- मेघ बीजन (Cloud Seeding):
- क्लाउड सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सिल्वर आयोडाइड क्रिस्टल जैसे रसायनों को बादलों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव करते हैं ताकि वर्षण प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके वर्षा कराई जा सके, जहाँ जल की कमी एक चिंता का विषय है।
- पृथ्वी पर सबसे गर्म और सबसे शुष्क क्षेत्र के रूप में स्थित संयुक्त अरब अमीरात, मेघों के बीजारोपण एवं वर्षा वृद्धि के प्रयास का नेतृत्व कर रहा है।
- झंझावत:
- झंझावत वायुमंडलीय असंतुलन और कई स्थितियों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं, जिनमें अस्थिर, उष्ण पवन का वायुमंडल में तेज़ी के साथ बढ़ना, मेघ के बनने तथा वर्षा होने के लिये पर्याप्त आर्द्रता; जलवायवीय वताग्र (शीतल व उष्ण), समुद्री पवनों या पहाड़ों के टकराने के कारण पवन की धाराओं का ऊपर की ओर उठना शामिल है।
झंझावत क्या हैं?
- परिचय:
- इसे तड़ित झंझा (Electrical Storm) के रूप में भी जाना जाता है, यह एक ऐसा तूफान है, जिसमें बिजली गिरती है और पृथ्वी के वायुमंडल में भयंकर श्रव्य प्रभाव (Audible Effect) उत्पन्न करती है।
- यह प्रायः उष्ण, आर्द्र वातावरण में उत्पन्न होता है और तीव्र वर्षा, ओलावृष्टि तथा शक्तिशाली पवनों की उत्पत्ति कर सकता है। ये आमतौर पर दोपहर या शाम को विकसित होते हैं तथा कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक बने रह सकते हैं।
- गठन: झंझावात का निर्माण 3 चरण में होता है।
- कपासी (Cumulus) चरण:
- सूर्यातप के कारण भूमि अत्यधिक गर्म हो जाती है।
- वायु प्रवाह के तीव्र उत्थापन के कारण निम्न दाब (संवहन) बनने लगता है।
- आस-पास के क्षेत्र से वायु निम्नदाब के माध्यम से निर्मित शून्यता की आपूर्ति के लिये आती है।
- उष्णार्द्र पवन के तीव्र संवहन के कारण एक विशाल कपासीवर्षी (Cumulonimbus) मेघों का निर्माण होता है।
- परिपक्व अवस्था:
- उष्ण पवनों के मज़बूत ऊर्ध्वप्रवाह का बढ़ना इसकी विशेषता है, जो मेघों को ऊपर उठने का कारण बनती है। बाद में, अधोप्रवाह के कारण पृथ्वी पर शीतल पवन के साथ-साथ वर्षा होती है।
- हवा का तेज़ झोंका तूफान के आने का संकेत होता है। यह हवा एक मज़बूत अधोप्रवाह के कारण होती है।
- ऊर्ध्ववाह और अधोप्रवाह तूफान का मार्ग निर्धारित करते हैं। अधिकांशतः यह मार्ग अनियमित होता है।
- अपव्यय का चरण:
- जब बादल उस ऊँचाई पर पहुँच जाते हैं जहाँ तापमान शून्य से नीचे होता है, तब जल के संघनित कण ओले के रूप में गिरते हैं। इसके बाद अत्यधिक वर्षा होती है।
- कुछ ही मिनटों में तूफान थमने के बाद मौसम साफ होने लगता है।
- कपासी (Cumulus) चरण:
भारत में इसी प्रकार की चरम मौसमी घटनाएँ:
- वर्ष 2023 में भारत में अभूतपूर्व जलवायवीय घटनाएँ घटित हुईं, यह जलवायु परिवर्तन के कारण होने प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली किंतु नई सामान्य स्थिति का संकेत देती है।
- फरवरी में 123 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए वर्ष 2023 की शुरुआत भीषण तापमान से हुई।
- चक्रवाती घटना: अरब सागर में 13 दिनों तक चलने वाले चक्रवात बिपरजॉय का निर्माण हुआ, जो वर्ष 1977 के बाद से सबसे लंबी अवधि का चक्रवात था।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में 365 दिनों में से 314 दिनों में चरम मौसमी घटनाएँ अनुभव की गईं।
- बड़ी संख्या में लोगों की मौत: अनियमित मौसमी स्थितियों के कारण लाखों भारतीय जलवायु आपदाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं, प्रत्येक वर्ष हज़ारों लोग अपनी जान गँवाते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादकता पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न करता है।
- चरम मौसमी घटनाओं के कारण 3,026 लोगों की मौत हुई है और 1.96 मिलियन हेक्टेयर (हेक्टेयर) फसल क्षेत्र को नुकसान पहुँचा है।
- वर्ष 2023 में IPCC द्वारा किये गए आकलन में इस बात के पुख्ता सबूत पेश किये गए कि निरंतर होने वाली भारी बारिश जैसी गंभीर जलवायु संबंधी घटनाएँ ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रही हैं।
- जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर 3-5% का नुकसान हो रहा है और यदि तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित नहीं किया गया तो यह आँकड़ा 10% तक पहुँच सकता है।
- मानसून पैटर्न में बदलाव: लंबे समय तक निम्न वर्षा की अवधि के बाद कुछ दिनों तक तीव्र वर्षा होना इसकी विशेषता है।
- पिछले कई दशकों से इसी पैटर्न में वर्षा हो रही है।
- गर्म तापमान, हवा में बढ़ी हुई नमी और दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रभाव के परिणामस्वरूप कम समय में भारी वर्षा हो रही है।
- हाल ही में उत्तर भारत में हुई भारी वर्षा का कारण पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिण-पश्चिम मानसून का संयुक्त प्रभाव है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: चर्चा कीजिये कि कैसे जलवायु परिवर्तन ने चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और परिमाण को तेज़ कर दिया है। साथ ही, इन घटनाओं से निपटने के लिये हमारी तैयारियों को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपाय भी सुझाइए। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स: प्रश्न. ऐसा संदेह है कि ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में आई बाढ़ का कारण ला-नीना था। ला-नीना, अल-नीनो से किस प्रकार भिन्न है? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (D) प्रश्न. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से अधिक नहीं बढ़ना चाहिये। यदि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3°C के परे बढ़ जाता है, तो विश्व पर उसका संभावित असर क्या होगा? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये (2021) :
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. तड़ितझंझा (Thunderstorm) के दौरान आकाश में गर्जना (Thunder) किसके द्वारा उत्पन्न होती है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न.3 'भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि' (ग्लोबल क्लाइमेट चेंज एलाएंस के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017) |