सीसा युक्त पेट्रोल पर रोक: यूएनईपी | 31 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, गैसोलीन, सीसा युक्त पेट्रोल

मेन्स के लिये:

सीसा युक्त पेट्रोल के उन्मूलन की आवश्यकता एवं इसके पर्यावरण तथा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme-UNEP) ने घोषणा की है कि वैश्विक स्तर पर सीसा युक्त पेट्रोल का उपयोग समाप्त कर दिया गया है।

पेट्रोल/गैसोलीन

  • गैसोलीन, जिसे गैस या पेट्रोल भी कहा जाता है, पेट्रोलियम से प्राप्त वाष्पशील, ज्वलनशील तरल हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है, इसका उपयोग आंतरिक-दहन इंजन के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग तेल और वसा के लिये विलायक के रूप में भी किया जाता है।
  • गैसोलीन मूल रूप से पेट्रोलियम उद्योग का एक उप-उत्पाद (केरोसिन प्रमुख उत्पाद) है जो अपनी उच्च दहन ऊर्जा और कार्बोरेटर में हवा के साथ आसानी से मिश्रित होने की क्षमता के कारण पसंदीदा ऑटोमोबाइल ईंधन बन गया।

सीसायुक्त बनाम सीसामुक्त पेट्रोल

  • सीसायुक्त और सीसामुक्त अर्थात् लेड और अनलेडेड ईंधन के बीच मुख्य अंतर एडिटिव टेट्राएथिल लेड (Additive Tetraethyl Lead) का है।
    • सीसा युक्त पेट्रोल के दहन से हवा में सीसा मुक्त होता है।
    • सीसा एक भारी प्रदूषक है जो न केवल पर्यावरण को बल्कि इसके संपर्क में आने वाले लोगों को भी नुकसान पहुंँचाता है।

प्रमुख बिंदु

  • सीसा युक्त पेट्रोल के उन्मूलन के बारे में:
    • यह निर्णय एक मील का पत्थर है जो समय से पहले होने वाली 1.2 मिलियन से अधिक मौतों को रोकने में मददगार साबित होगा तथा इससे वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को सालाना 2.4 ट्रिलियन अमेरीकी डाॅलर से अधिक की बचत होगी। यह वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
    • UNEP ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के भयावह प्रभावों को दूर करने के लिये जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सामान्य रूप से अभी भी काफी कम किया जाना चाहिये।
  • सीसायुक्त पेट्रोल का युग:
    • 1970 के दशक तक वैश्विक स्तर पर बेचे जाने वाले लगभग सभी पेट्रोल/गैसोलीन में सीसा होता था।
    • वर्ष 2002 में जब UNEP ने सीसायुक्त पेट्रोल के खिलाफ पार्टनरशिप फॉर क्लीन फ्यूल्स एंड व्हीकल्स (PCFV) नाम से अपना अभियान शुरू किया, तो अमेरिका, चीन और भारत सहित कई प्रमुख आर्थिक शक्तियों ने पहले ही सीसायुक्त ईंधन का उपयोग बंद कर दिया लेकिन निम्न-आय वाले देशों में स्थिति भयावह बनी रही।
      • समय से पहले होने वाली मौतों, खराब स्वास्थ्य तथा मिट्टी और वायु प्रदूषण से जुड़े अध्ययनों के बावजूद वैश्विक स्तर पर 100 से अधिक देश अभी भी सीसायुक्त पेट्रोल का उपयोग कर रहे हैं। वर्ष 1924 की शुरुआत में पहली बार इसे लेकर चिंता ज़ाहिर की गई।
      • जुलाई 2021 में अल्ज़ीरिया ने सीसायुक्त पेट्रोल के प्रयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जो सीसायुक्त पेट्रोल का उपयोग करने वाला अंतिम देश था।
  • उन्मूलन की आवश्यकता:
    • प्रदूषण:
      • परिवहन क्षेत्र, ऊर्जा से संबंधित वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग एक-चौथाई के लिये ज़िम्मेदार है और वर्ष 2050 तक इसके एक-तिहाई तक बढ़ने की आशंका है।
      • साथ ही आने वाले दशकों में 1.2 अरब नए वाहन सड़कों पर होंगे।
      • इसमें यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान से मध्यम एवं निम्न आय वाले देशों में निर्यात किये गए लाखों खराब गुणवत्ता वाले वाहन शामिल हैं।
    • ग्लोबल वार्मिंग:
      • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) द्वारा क्लाइमेट चेंज, 2021 नामक एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि पृथ्वी के औसत तापमान में पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में वर्ष 2030 के आसपास 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।
        • अनुमान से एक दशक पहले इस वृद्धि ने जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बारे में खतरे की घंटी बजा दी है।
    • स्वास्थ्य:
      • सीसायुक्त पेट्रोल हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर का कारण बनता है। यह मानव मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित करता है, खासकर बच्चों को नुकसान पहुंँचा रहा है।
  • महत्त्व:
    • सीसायुक्त पेट्रोल की समाप्ति से अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण (SDG3), स्वच्छ जल (SDG6), स्वच्छ ऊर्जा (SDG7), सतत् शहरों (SDG11), जलवायु एक्शन (SDG13) सहित कई सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति की उम्मीद है।
    • यह पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने का अवसर भी प्रदान करता है, विशेष रूप से शहरी वातावरण में, जो कि विशेष रूप से ज़हरीले प्रदूषकों से प्रभावित हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

परिचय

स्रोत: द हिंदू