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जैव विविधता और पर्यावरण

मेकिंग पीस विद नेचर: UNEP रिपोर्ट

  • 23 Feb 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( United Nations Environment Programme- UNEP) द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5) के पांँचवें सत्र से पहले 'मेकिंग पीस विद नेचर' (Making Peace with Nature) रिपोर्ट जारी की गई है।

  • रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का क्षरण तथा प्रदूषण तीनों स्व-स्फूर्त तौर पर पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली आपात स्थितियों से जुड़े हैं जो वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिये अवांछनीय जोखिम उत्पन्न करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

रिपोर्ट से प्राप्त परिणाम:

  • ग्रहीयआपातस्थिति
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल में आर्कटिक महासागर की बर्फ के मुक्त होने की संभावना बढ़ रही है, जिससे सागरीय  परिसंचरण (Ocean Circulation) और आर्कटिक पारिस्थितिक तंत्र (Arctic Ecosystems) बाधित हो रहां है।
      • जलवायु परिवर्तन के कारण वनाग्नि (Wildfires) और जल तनाव  में परिवर्तन आता है तथा कुछ क्षेत्रों में जैव विविधता का नुकसान भूमि क्षरण और सूखे की बारंबारता के साथ जुड़ा है।
    • जैव विविधता हानि
      • रिपोर्ट में इस बात का अनुमान लगाया गया है कि अनुमानित 8 मिलियन पौधों और जानवरों की प्रजातियों में से एक मिलियन से अधिक के विलुप्त होने का खतरा बढ़ रहा है।
      • कोरल रीफ (Coral Reefs) विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, वार्मिंग के स्तर में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी इनके द्वारा कुल आच्छादित क्षेत्र को 10-30% तक कम कर सकती है और यदि वार्मिंग का स्तर बढ़कर 2 डिग्री सेल्सियस पर पहुँचता है तो इनके द्वारा कुल आच्छादित क्षेत्र 1% से भी कम होने का अनुमान लगाया गया है, जो खाद्य प्रावधान, पर्यटन और तटीय संरक्षण को जोखिम में डाल सकता है।
    • प्रदूषण:
      • प्रदूषण के कारण हर साल नौ लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है 
      • हर वर्ष 400 मिलियन टन तक भारी धातु, विलयन , विषाक्त कीचड़ और अन्य औद्योगिक अपशिष्ट वैश्विक जल में प्रवेश करते समानताएँ:
      • मानव की समृद्धि व्यापक असमानताओं की उपज है, जिससे पर्यावरणीय गिरावट का बोझ गरीबों और कमज़ोर वर्ग पर अधिक पड़ता है और आज की युवा एवं भावी पीढ़ियों पर भी इसका भार देखा जाता है।
      • आर्थिक विकास में असमानता ने 1.3 बिलियन लोगों को गरीब बना दिया है। 
    • SDGs पर प्रदर्शन: 
      • जलवायु में हुए वर्तमान और अनुमानित बदलाव, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण ने सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) को प्राप्त करना और भी अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
      • विकास की वर्तमान विधा मानव कल्याण को बनाए रखने हेतु पृथ्वी की परिमित क्षमता को कम करती है।
    • विभिन्न लक्ष्यों पर प्रदर्शन:
      • पर्यावरणीय क्षति को सीमित करने के मामले में समाज अपनी अधिकांश प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल है।
      • निश्चित रूप से वैश्विक समाज भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality), आइची लक्ष्य (Aichi Targets) और पेरिस समझौते (Paris Agreement) के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है।

सुझाव

  • मानव ज्ञान, सरलता/विदग्धता, प्रौद्योगिकी और सहयोग समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं को परिवर्तित कर एक स्थायी भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन की परस्पर प्रकृति, जैव विविधता की हानि, भूमि क्षरण और वायु एवं जल प्रदूषण को देखते हुए यह आवश्यक है कि एकजुट होकर इन समस्याओं से निपटा जाए।
  • सरकारों को पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा जलवायु परिवर्तन को सीमित करने हेतु तीव्रता से कार्रवाई करनी होगी।
  • आर्थिक और वित्तीय प्रणालियों को स्थिरता प्रदान करने तथा स्थानांतरित करने हेतु नेतृत्व प्रदान किया जा सकता है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की ओर हस्तांतरण, जो कि संसाधनों का पुन: उपयोग करने, उत्सर्जन को कम करने और लाखों लोगों की मौत के लिये उत्तरदायी रसायनों तथा विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने के साथ-साथ रोज़गार सृजन में मदद करती है। 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम:

  • 05 जून, 1972 को स्थापित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
  • कार्य: इसका प्राथमिक कार्य वैश्विक पर्यावरण एजेंडा को निर्धारित करना, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना है।
  • प्रमुख रिपोर्ट्स: उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, वैश्विक पर्यावरण आउटलुक, इन्वेस्ट इनटू हेल्थी प्लेनेट रिपोर्ट।
  • प्रमुख अभियान: ‘बीट पॉल्यूशन’, ‘UN75’, विश्व पर्यावरण दिवस, वाइल्ड फॉर लाइफ। 
  • मुख्यालय: नैरोबी (केन्या)। 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा:

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (The United Nations Environment Assembly- UNEA) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का प्रशासनिक निकाय है।
  • यह पर्यावरण के संदर्भ में निर्णय लेने वाली विश्व की सर्वोच्च स्तरीय निकाय है।
  • यह पर्यावरणीय सभा वैश्विक पर्यावरण नीतियों हेतु प्राथमिकताएंँ निर्धारित करने और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून विकसित करने के लिये द्विवार्षिक रूप से आयोजित की जाती है।
  • सतत्  विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का गठन जून 2012 में किया गया। धातव्य है कि सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को RIO + 20 के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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