भारतीय अर्थव्यवस्था
खुदरा मुद्रास्फीति में प्रमुख रुझान और चुनौतियाँ
- 16 Jan 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:खुदरा मुद्रास्फीति, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), खाद्य मुद्रास्फीति, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI), खरीफ, रबी, कोर मुद्रास्फीति, रुपए का मूल्यह्रास, आयातित मुद्रास्फीति, विदेशी निवेश, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), क्रय शक्ति, औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (CPI-IW), कृषि मज़दूरों के लिये CPI (CPI-AL), ग्रामीण मज़दूरों के लिये CPI (CPI-RL), शहरी गैर-शारीरिक कर्मचारियों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-UNME), खाद्य और कृषि संगठन। मेन्स के लिये:मुद्रास्फीति और संबंधित चिंताओं को कम करना, मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति प्रबंधन। |
स्रोत: बीएस
चर्चा में क्यों?
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति, खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण, नवंबर 2024 में 5.48% से घटकर दिसंबर 2024 में 5.22% हो गई।
- खुदरा मुद्रास्फीति उस दर को मापती है जिस पर उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं, जो जीवन-यापन की लागत में परिवर्तन को दर्शाती है।
खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के क्या कारण हैं?
- कम खाद्य मुद्रास्फीति: उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) द्वारा मूल्यांकित खाद्य मुद्रास्फीति, नवंबर 2024 में 9.04% से घटकर दिसंबर 2024 में 8.39% हो गई।
- सकारात्मक कृषि उत्पादन: अच्छी खरीफ फसल, अनुकूल रबी बुवाई की स्थिति और पर्याप्त जलाशय स्तर ने खाद्य मुद्रास्फीति को कम कर दिया।
- ईंधन की कीमतों में गिरावट: ईंधन की कीमतों में मुद्रास्फीति -1.39% पर संकुचन में रही, जबकि परिवहन (2.64%) और शिक्षा (3.89%) के लिये यह अपरिवर्तित रही, जिससे समग्र मुद्रास्फीति दबाव में कमी आई।
- कोर मुद्रास्फीति, जिसमें अस्थिर खाद्य और ईंधन वस्तुएँ शामिल नहीं हैं, दिसंबर 2024 में घटकर 3.5% हो गई।
- गैर-खाद्य श्रेणियों में स्थिरता: आवास (2.71%), वस्त्र एवं जूते (2.74%) तथा घरेलू सामान (2.75%) में मुद्रास्फीति मामूली परिवर्तन के साथ स्थिर रही।
मुद्रास्फीति से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- RBI के लक्ष्य से अधिक मुद्रास्फीति: सात राज्यों में RBI की 6% सीमा से अधिक मुद्रास्फीति दर्ज की गई, जबकि दस राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक मुद्रास्फीति दर्ज की गई।
- छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 7.63% मुद्रास्फीति दर्ज की गई, जिसके बाद बिहार (7.4%) और ओडिशा (7%) का स्थान रहा, जो स्थानीय मुद्रास्फीति चुनौतियों को दर्शाता है।
- आयातित मुद्रास्फीति: रुपए के मूल्यह्रास से आयातित कच्चे तेल और वैश्विक वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है, जिससे घरेलू कीमतें बढ़ जाती हैं और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है।
- खाद्य तेलों जैसी आयातित वस्तुओं पर निर्भरता के कारण भारत को वैश्विक मूल्य अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
- रुपए के मूल्य पर पड़ने वाले प्रभाव से आयात की कीमतें बढ़ जाती हैं, क्योंकि समान मात्रा में आयातित वस्तुओं को खरीदने के लिये अधिक रुपए की आवश्यकता होती है।
- उच्च वैश्विक ब्याज दरें: उच्च वैश्विक ब्याज दरें भारत में विदेशी निवेश को बाधित कर सकती हैं, जिससे वित्तीय स्थिरता प्रभावित होगी तथा मुद्रा अवमूल्यन की स्थिति और खराब होगी।
- इससे निवेशक अपनी पूंजी अमेरिका और यूरोप जैसे देशों की ओर स्थानांतरित कर सकते हैं, जहाँ उच्च प्रतिफल मिलता है, जिससे भारत जैसे उभरते बाज़ारों में विदेशी निवेश का प्रवाह कम हो जाता है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक क्या है?
- परिचय: CPI 2012 को आधार वर्ष मानकर समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के विविध समूह के आधार पर उपभोक्ता कीमतों में समग्र परिवर्तन को मापता है।
- वस्तुओं की इस शृंखला में भोजन, वस्त्र, परिवहन, चिकित्सा, विद्युत, शिक्षा आदि शामिल हैं।
- CPI को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा मासिक रूप से प्रकाशित किया जाता है।
- उद्देश्य: CPI का उपयोग मूल्य स्थिरता को लक्षित करने, महंगाई भत्ते को समायोजित करने तथा जीवन-यापन की लागत, क्रय शक्ति और वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
- गणना: CPI की गणना एक चालू वर्ष में निश्चित वस्तुओं और सेवाओं की लागत को आधार वर्ष की लागत से विभाजित करके फिर 100 से गुणा करके की जाती है।
- प्रकार: CPI माप के चार अलग-अलग प्रकार हैं।
- औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (CPI-IW): यह समय के साथ औद्योगिक श्रमिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के एक विविध समूह में मूल्य परिवर्तनों को ट्रैक करता है। श्रम और रोज़गार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो CPI-IW संकलित करता है।
- कृषि मज़दूरों के लिये CPI (CPI-AL): श्रम ब्यूरो विभिन्न राज्यों में कृषि मज़दूरों के लिये न्यूनतम मज़दूरी को संशोधित करने में सहायता के लिये CPI-AL संकलित करता है।
- ग्रामीण मज़दूरों के लिये CPI (CPI-RL): यह कृषि और ग्रामीण मज़दूरों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की खुदरा कीमतों में परिवर्तन को मापता है ।
- श्रम ब्यूरो CPI-RL संकलित करता है।
- शहरी गैर-शारीरिक कर्मचारियों के लिये CPI (CPI-UNME): CPI-UNME को NSO द्वारा संकलित किया जाता है। एक शहरी गैर-शारीरिक कर्मचारी शहरी गैर-कृषि क्षेत्र में गैर-शारीरिक कार्य से अपनी आय का 50% या उससे अधिक कमाता है।
- घटक: CPI के प्राथमिक घटक (उनके भार सहित) निम्नलिखित हैं।
- खाद्य एवं पेय (45.86%)
- आवास (10.07%)
- ईंधन और प्रकाश (6.84%)
- कपड़े और जूते (6.53%)
- पान, तम्बाकू और नशीले पदार्थ (2.38%)
- विविध (28.32%)
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक
- परिचय: उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) एक आधार वर्ष के संदर्भ में किसी निश्चित क्षेत्र में एक निर्धारित जनसंख्या समूह द्वारा उपभोग किये जाने वाले खाद्य उत्पादों के खुदरा मूल्यों में परिवर्तन का एक माप है।
- वर्तमान में प्रयुक्त आधार वर्ष 2012 है।
- जारी करने वाली संस्था: NSO, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने मई, 2014 से अखिल भारतीय आधार पर तीन श्रेणियों अर्थात ग्रामीण, शहरी और संयुक्त के लिये CFPI जारी करना शुरू कर दिया।
- CPI की तरह CFPI की गणना भी मासिक आधार पर की जाती है।
नोट: FAO खाद्य मूल्य सूचकांक: वैश्विक स्तर पर, खाद्य मूल्य सूचकांक संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा मासिक आधार पर जारी किया जाता है।
- खाद्य वस्तुओं की टोकरी में 5 वस्तु समूह मूल्य सूचकांक (अनाज, वनस्पति तेल, डेयरी, मांस और चीनी) का औसत शामिल है, जिसे 2002-2004 के लिये प्रत्येक समूह के औसत निर्यात हिस्से के साथ भारित किया गया है।
निष्कर्ष:
- दिसंबर, 2024 में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.22% हो गई है, जिसका कारण खाद्य मुद्रास्फीति में कमी और गैर-खाद्य श्रेणियों के स्थिर रहना है। हालाँकि, स्थानीय मुद्रास्फीति, रुपए में गिरावट और उच्च वैश्विक ब्याज दरों के कारण चिंताएँ बनी हुई हैं, जो घरेलू मुद्रास्फीति नियंत्रण और विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकती हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: मौद्रिक नीति को आकार प्रदान करने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की भूमिका और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:Q. संभावित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है। इसके निर्धारकों की चर्चा कीजिये। उन कारकों का भी उल्लेख कीजिये जो भारत को अपनी संभावित सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त करने में बाधा डालते हैं। (2020) Q. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि स्थिर सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019) |