भारतीय इतिहास
ईरान की राजधानी का मकरान में स्थानांतरण और सिकंदर की विरासत
- 14 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये:मकरान तट के क्षेत्र, सिकंदर महान, बलूचिस्तान प्रांत, ओमान की खाड़ी, अरब सागर, ग्वादर बंदरगाह, चाबहार बंदरगाह, होर्मुज़ जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी, झेलम और चिनाब नदियाँ, खैबर दर्रा, सिंधु नदी, मौर्य साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य, गांधार कला दर्शन। मेन्स के लिये:भारत पर सिकंदर के आक्रमण का प्रभाव, मकरान तट का महत्त्व। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
ईरान आर्थिक और पारिस्थितिकीय चिंताओं के कारण अपनी राजधानी तेहरान से दक्षिणी मकरान तट के क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है।
- प्राचीन काल में मकरान उस क्षेत्र के रूप में उल्लेखनीय था, जहाँ सिकंदर महान ने भारत पर आक्रमण (327-325 ईसा पूर्व) के बाद मैसेडोनिया की ओर पीछे हटते समय अपने एक तिहाई सैनिकों को खो दिया था।
ईरान की अपनी राजधानी स्थानांतरित करने की योजना के संबंध में प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- ऐतिहासिक संदर्भ: तेहरान 200 से अधिक वर्षों से ईरान की राजधानी रहा है, जिसकी स्थापना ईरान के कज़ार वंश (1794 से 1925) के पहले शासक आगा मोहम्मद खान के शासनकाल के दौरान हुई थी।
- नियोजित स्थानांतरण: ईरान अपनी राजधानी को तेहरान से सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के मकरान में स्थानांतरित करने का आशय रखता है, क्योंकि तेहरान में जनसंख्या अधिक होने से प्रदूषण, जल की कमी और ऊर्जा की कमी भी है।
- राजधानी को स्थानांतरित करने का विचार सर्वप्रथम वर्ष 2000 के दशक के प्रारंभ में महमूद अहमदीनेजाद के राष्ट्रपतित्व काल के दौरान प्रस्तावित किया गया था।
- मकरान का सामरिक महत्त्व: ओमान की खाड़ी के निकट मकरान का सामरिक स्थान समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाने के अवसर प्रस्तुत करता है।
- चाबहार जैसे बंदरगाहों की उपस्थिति के कारण मकरान तट ईरान के पेट्रोलियम भंडार और तटीय व्यापार का एक प्रमुख स्रोत है।
- 1,000 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा और वर्ष 2003 से विकसित चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र के साथ, ईरान का लक्ष्य मकरान को मध्य एशिया के हिंद महासागर से जोड़ने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कॉरिडोर में बदलना है।
मकरान
- मकरान बलूचिस्तान पठार का हिस्सा है, जो पाकिस्तान और ईरान के बीच साझा है।
- यह एक अर्द्ध-रेगिस्तानी तटीय पेटी है, जो अरब सागर और ओमान की खाड़ी से घिरी हुई है।
- मकरान तट पर पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर और ईरानी बंदरगाह चाबहार स्थित हैं, जो होर्मुज़ जलडमरूमध्य और फारस की खाड़ी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं।
- होर्मुज़ जलडमरूमध्य एक 'चोक प्वाइंट' है, जहाँ से विश्व की अधिकांश तेल आपूर्ति गुजरती है और इस प्रकार यह रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
सिकंदर के भारतीय आक्रमण के संबंध में प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय: सिकंदर महान मैसेडोनिया (336 ईसा पूर्व से 323 ईसा पूर्व) का राजा था, इसने बाल्कन से लेकर आधुनिक पाकिस्तान तक विस्तृत विशाल साम्राज्य पर विजय प्राप्त की थी।
- यह युद्ध में अपराजित रहे और इन्हें इतिहास के सबसे महान सैन्य कमांडरों में से एक माना जाता है।
- भारत का राजनीतिक परिदृश्य: उत्तर-पश्चिमी भारत राजतंत्रों और जनजातीय गणराज्यों में विभाजित था, जबकि पूर्वी भारत मगध में धनानंद के शासन के काल में एकजुट था, जिसने सिकंदर की विजय में सहायता की।
- तक्षशिला के अम्भी और उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के पोरस जैसे शासक सिकंदर के खिलाफ एकजुट होने में असफल रहे।
- तक्षशिला के अम्भी ने सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया तथा उसकी सेना को मज़बूत करने के लिये सेना और संसाधन प्रदान किये।
- खैबर दर्रे से प्रवेश: सिकंदर काबुल पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् सिंधु नदी तक पहुँचा, उसके बाद खैबर दर्रे से भारत में प्रवेश किया।
- प्रमुख घटनाएँ:
- हाइडस्पीज़ का युद्ध: झेलम नदी के पास सिकंदर को पोरस से कड़ा विरोध झेलना पड़ा। उसे हराने के बाद, सिकंदर ने उसकी बहादुरी की प्रशंसा की, उसका राज्य वापस कर दिया और उसे अपना मित्र बना लिया।
- हाइफैसिस (ब्यास) नदी पर विराम: सिकंदर की सेना, जो थक चुकी थी और नंद के नेतृत्व वाली एक बड़ी भारतीय सेना से भयभीत हो गई थी, ने गंगा के मैदान में आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और उसे पीछे हटने के लिये राजी कर लिया।
- मजबूरन पीछे हटना: यूनानी इतिहासकार एरियन ने अपने लेख "द एनाबासिस ऑफ अलेक्जेंडर" में गेड्रोसिया (मकरान रेगिस्तान) के रेगिस्तान से होकर गुजरने वाले मार्च को अत्यधिक पीड़ादायक बताया।
- सिकंदर अपनी सेना के एक भाग को दुर्गम गेड्रोसियन (मकरान) रेगिस्तान से होते हुए फारस की ओर वापस ले गया, जिसका उद्देश्य महान साइरस से आगे निकलना था, जो इसे पार करने में असफल रहा था।
- साइरस महान (590-529 ईसा पूर्व), जिसे साइरस द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है, एक फारसी राजा था जिसने सभी ईरानी जनजातियों को एकजुट किया था।
- सिकंदर की सेना का एक बड़ा भाग निर्जलीकरण, थकावट एवं भुखमरी से मर गया, सैनिकों ने भोजन के लिये अपने घोड़ों तथा खच्चरों को मार डाला।
- अनुमानतः 1,20,000 पैदल सैनिकों एवं 15,000 घुड़सवारों के साथ सिकंदर भारत आया, जिसमें से केवल एक-चौथाई ही वापसी यात्रा में जीवित बचे।
- सिकंदर अपनी सेना के एक भाग को दुर्गम गेड्रोसियन (मकरान) रेगिस्तान से होते हुए फारस की ओर वापस ले गया, जिसका उद्देश्य महान साइरस से आगे निकलना था, जो इसे पार करने में असफल रहा था।
सिकंदर के आक्रमण के क्या प्रभाव थे?
- प्रत्यक्ष संपर्क: सिकंदर का आक्रमण प्राचीन यूरोप एवं भारत (दक्षिण एशिया) के बीच पहला बड़ा संपर्क था, जिससे भारत एवं ग्रीस के बीच सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा व्यापारिक आदान-प्रदान की नींव रखी गई।
- इससे चार प्रमुख स्थलीय तथा समुद्री मार्ग (तीन स्थलीय एवं एक समुद्री) खुले, जिससे यूनानी व्यापारियों तथा कारीगरों को इस क्षेत्र में व्यापार करने तथा बसने का अवसर मिलने से वाणिज्यिक संबंध मज़बूत हुए।
- भारत में यूनानी बस्तियाँ : इस आक्रमण के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में प्रमुख यूनानी शहरों की स्थापना हुई, जैसे काबुल क्षेत्र में अलेक्जेंड्रिया और झेलम नदी पर बुकेफला।
- भौगोलिक अन्वेषण: नियार्कस के नेतृत्व में सिकंदर के बेड़े ने सिंधु नदी के मुहाने से लेकर मध्य पूर्व में फरात नदी तक के तट का अन्वेषण किया और ऐतिहासिक अभिलेख उपलब्ध कराए, जिससे बाद की घटनाओं के लिये भारतीय कालक्रम निर्धारित करने में मदद मिली।
- सामाजिक और आर्थिक अंतर्दृष्टि: सिकंदर के इतिहासकारों ने सती प्रथा, गरीब माता-पिता द्वारा बाज़ार में लड़कियों की बिक्री जैसी प्रथाओं के साथ उत्तर-पश्चिम भारत में बैलों की अच्छी नस्ल से संबंधित विवरण प्रदान किया।
- उल्लेखनीय बात यह है कि 2,00,000 बैलों को ग्रीस में उपयोग के लिये मैसेडोनिया भेजा गया था।
- मौर्य विस्तार: उत्तर-पश्चिम भारत में छोटे राज्यों को सिकंदर द्वारा हराने से इस क्षेत्र में मौर्य साम्राज्य के विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- सिकंदर की रणनीति से प्रेरित होकर चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को उखाड़ फेंकने के लिये प्राप्त ज्ञान का उपयोग किया एवं मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
- ग्रीक प्रभाव: कला, वास्तुकला और दर्शन सहित ग्रीक संस्कृति ने भारतीय समाज को प्रभावित किया, जिसे बाद में गांधार कला शैली में शामिल किया गया।
- गांधार कला भारतीय, ग्रीक और रोमन कलात्मक परंपराओं का एक अद्वितीय संश्लेषण है।
निष्कर्ष
ईरान की अपनी राजधानी को मकरान में स्थानांतरित करने की योजना, अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए पारिस्थितिकी एवं आर्थिक चुनौतियों से निपटने के उसके प्रयासों पर प्रकाश डालती है। भारत पर सिकंदर के आक्रमण से इस क्षेत्र को नया रूप मिलने के साथ सांस्कृतिक, व्यापारिक और राजनीतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला, जिससे सदियों तक ग्रीक और भारतीय दोनों ही सभ्यताओं पर प्रभाव पड़ा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: दक्षिण एशिया के राजनीतिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक परिदृश्य को आकार देने में सिकंदर महान के भारत पर आक्रमण के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्सप्रश्न. भारतीय शिलावस्तु के इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. गांधार कला में मध्य एशियाई एवं यूनानी-बैक्ट्रियाई तत्त्वों को उज़ागर कीजिये। (2019) प्रश्न. तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था, जिसके साथ विभिन्न शिक्षण विषयों (डिसिप्लिंस) के अनेक विख्यात विद्वानी व्यक्तित्व संबंधित थे। उसके रणनीतिक अवस्थिति के कारण उसकी कीर्ति फैली, लेकिन नालंदा के विपरीत उसे आधुनिक अभिप्राय में विश्वविद्यालय नहीं समझा जाता। चर्चा कीजिये। (2014) |