डूरंड रेखा: अफगानिस्तान और पाकिस्तान
प्रिलिम्स के लियेडूरंड रेखा, मैकमोहन रेखा, रैडक्लिफ रेखा मेन्स के लियेअफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति और सीमा क्षेत्र विवाद |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तालिबान ने कहा है कि अफगान लोग पाकिस्तान द्वारा डूरंड रेखा पर बनाई गई बाड़ (Fence) का विरोध करते हैं।
- अफगानिस्तान के साथ 2,640 किमी. लंबी सीमा पर बाड़ या घेराव का काम मार्च 2017 में शुरू हुआ था, जब एक के बाद एक सीमा पार से कई हमले हुए थे।
प्रमुख बिंदु
- डूरंड रेखा को 1893 में हिंदूकुश क्षेत्र में स्थापित किया गया, यह अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के बीच आदिवासी भूमि से होकर गुज़रती है। आधुनिक समय में इसने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा को चिह्नित किया है।
- डूरंड रेखा रूसी और ब्रिटिश साम्राज्यों के बीच 19वीं शताब्दी के ग्रेट गेम्स की एक विरासत है, जिसमें अफगानिस्तान को भयभीत अंग्रेज़ों द्वारा पूर्व में रूसी विस्तारवाद के खिलाफ एक बफर ज़ोन के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
- वर्ष 1893 में ब्रिटिश सिविल सेवक सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड और उस समय के अफगान शासक अमीर अब्दुर रहमान के बीच डूरंड रेखा के रूप में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- द्वितीय अफगान युद्ध की समाप्ति के दो साल बाद 1880 में अब्दुर रहमान राजा बने, जिसमें अंग्रेज़ों ने कई क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया जो अफगान साम्राज्य का हिस्सा थे। डूरंड के साथ उनके समझौते ने भारत के साथ अफगान "सीमा" पर उनके और ब्रिटिश भारत के "प्रभाव क्षेत्र" की सीमाओं का सीमांकन किया।
- ‘सेवन क्लॉज़’ एग्रीमेंट ने 2,670 किलोमीटर की रेखा को मान्यता दी, जो चीन के साथ सीमा से लेकर ईरान के साथ अफगानिस्तान की सीमा तक फैली हुई है।
- इसने रणनीतिक खैबर दर्रा को भी ब्रिटिश पक्ष में कर दिया।
- यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा पर हिंदूकुश में एक पहाड़ी दर्रा है।
- यह दर्रा लंबे समय तक वाणिज्यिक और रणनीतिक महत्त्व का था, जिस मार्ग से लगातार आक्रमणकारियों ने भारत में प्रवेश किया था और वर्ष 1839 एवं 1947 के बीच अंग्रेज़ों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था।
- यह रेखा पश्तून आदिवासी क्षेत्रों से होकर गुज़रती है, जिससे गाँवों, परिवारों और भूमि को दो प्रकार से प्रभावित क्षेत्रों के बीच विभाजित किया जाता है।
- वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के साथ पाकिस्तान को डूरंड रेखा विरासत में मिली और इसके साथ ही पश्तून ने रेखा को अस्वीकार कर दिया तथा अफगानिस्तान ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया।
- जब तालिबान ने पहली बार काबुल में सत्ता हथिया ली, तो उन्होंने डूरंड रेखा को खारिज़ कर दिया। उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का निर्माण करने के लिये एक इस्लामी कट्टरपंथ के साथ पश्तून पहचान को भी मज़बूत किया, जिसके चलते वर्ष 2007 के आतंकवादी हमलों ने देश को हिलाकर रख दिया।
अन्य महत्त्वपूर्ण सीमा रेखाएँ
- मैकमोहन रेखा
- ब्रिटिश भारतीय सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सर ‘आर्थर हेनरी मैकमोहन’ (जो ब्रिटिश भारत में एक प्रशासक भी थे) के नाम से प्रसिद्ध ‘मैकमोहन रेखा’ एक सीमांकन है जो तिब्बत और उत्तर-पूर्व भारत को अलग करती है।
- इसे कर्नल मैकमोहन द्वारा 1914 के शिमला सम्मेलन में तिब्बत, चीन और भारत के बीच की सीमा के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
- यह हिमालय के शिखर के साथ भूटान की पूर्वी सीमा से शुरू होती है और ब्रह्मपुत्र नदी में तक पहुँचती है, जहाँ यह नदी अपने तिब्बती हिस्से से असम घाटी में निकलती है।
- इसे तिब्बती अधिकारियों और ब्रिटिश भारत द्वारा स्वीकार किया गया था तथा अब इसे भारत गणराज्य द्वारा आधिकारिक सीमा के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- हालाँकि चीन मैकमोहन लाइन की वैधता को लेकर विवाद उत्पन्न करता रहा है।
- चीन दावा करता है कि तिब्बत एक संप्रभु सरकार नहीं है और इसलिये तिब्बत के साथ की गई कोई भी संधि अमान्य है।
- पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का संरेखण (Alignment) वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के साथ ही है।
- LAC वह सीमांकन है, जो भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करता है।
- रैडक्लिफ रेखा:
- इसने ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया।
- इसका नाम इस लाइन के वास्तुकार सर सिरिल रैडक्लिफ के नाम पर रखा गया है, जो सीमा आयोग के अध्यक्ष भी थे।
- रेडक्लिफ रेखा पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) और भारत के मध्य पश्चिम की तरफ तथा उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से में भारत एवं पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के बीच खींची गई थी।
- रेडक्लिफ रेखा का पश्चिमी भाग अभी भी भारत-पाकिस्तान सीमा के रूप में तथा पूर्वी भाग भारत-बांग्लादेश सीमा के रूप में कार्य करता है।