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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में निवेश संवर्द्धन

  • 24 Jul 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, आत्मनिर्भर अभियान, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड,  ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग, नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड, इन्वेस्ट इंडिया 

मेन्स के लिये:

भारत में निवेश संबंधी मुद्दे और उसके संवर्द्धन हेतु उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने '2021 इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट स्टेटमेंट्स: इंडिया' (2021 Investment Climate Statements: India) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में आर्थिक मंदी और कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र भारत सरकार द्वारा किये गए संरचनात्मक आर्थिक सुधारों की सराहना की गई है।

  • हालाँकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत व्यापार करने के लिये एक चुनौतीपूर्ण स्थान बना हुआ है।
  • इससे पहले यूके इंडिया बिज़नेस काउंसिल (UKIBC) ने ज़ोर देकर कहा था कि आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत कुछ सुधारों के परिणाम यूके और सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये नकारात्मक हो सकते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • निजीकरण: फरवरी 2021 में भारत सरकार ने एक महत्त्वाकांक्षी निजीकरण कार्यक्रम के माध्यम से 2.4 बिलियन डॉलर जुटाने की योजना की घोषणा की, जो अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका को नाटकीय रूप से कम कर देगी।
  • हाल के आर्थिक सुधार:
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) उदारीकरण: अगस्त 2019 में सरकार ने उदारीकरण उपायों के एक नए पैकेज की घोषणा की और कोयला खनन तथा अनुबंध निर्माण सहित कई क्षेत्रों को स्वचालित मार्ग के तहत लाया गया।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान: कोविड-19 से संबंधित आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया।
    • इस कार्यक्रम में व्यापक सामाजिक कल्याण और आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रमों तथा बुनियादी ढाँचे एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि की परिकल्पना की गई है।
    • इसके अलावा इसका उद्देश्य वैश्विक बाज़ार में हिस्सेदारी हासिल करने के लिये सुरक्षा अनुपालन और सामानों की गुणवत्ता में सुधार करते हुए प्रतिस्थापन पर ध्यान केंद्रित कर आयात निर्भरता को कम करना है।
  • उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना: सरकार ने फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों को भी अपनाया।
  • इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड: वर्ष 2016 में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की शुरुआत और कार्यान्वयन ने इनसॉल्वेंसी संबंधित मौजूदा ढाँचे को बदल दिया तथा अधिक आवश्यक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया।
  • मध्यस्थता के वैश्विक मानकों का मिलान: भारत सरकार ने मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2021 पारित किया।
    • अधिनियम में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के लिये प्रावधान तथा सुलह की कार्यवाही संचालित करने हेतु कानून को परिभाषित किया गया है।
  • सॉवरेन वेल्थ फंड: वर्ष 2016 में भारत सरकार ने नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड (NIIF) की स्थापना की, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिये भारत का पहला सॉवरेन वेल्थ फंड माना जाता है।
    • सरकार ने फंड में 3 अरब डॉलर का योगदान देने पर सहमति जताई, जबकि अतिरिक्त 3 अरब डॉलर निजी क्षेत्र से  जुटाए जाएंगे।
  • श्रम संहिता: बजट 2021 में सरकार ने घोषणा की कि 1 अप्रैल, 2021 से भारत में चार श्रम संहिताओं को लागू किया जाएगा।
    • इन श्रम संहिताओं में देश के पुरातन श्रम कानूनों को सरल बनाने और श्रमिकों के लाभों से समझौता किये बिना आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की परिकल्पना की गई है।
  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार के लिये अन्य उपाय: 
    • इन्वेस्ट इंडिया : यह आधिकारिक निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा प्रदाता एजेंसी है, जो निवेशकों के साथ उनके निवेश जीवनचक्र के माध्यम से बाज़ार प्रवेश रणनीतियों, उद्योग विश्लेषण, भागीदारी खोज और आवश्यकता के अनुसार नीति की वकालत करने के साथ-साथ सहायता प्रदान करने के लिये काम करती है।
    • प्रगति पहल: विशेष रूप से प्रमुख परियोजनाओं के मामले में अनुमोदन प्रक्रिया को तीव्र गति प्रदान करने के लिये भारत सरकार ने सक्रिय शासन और सामयिक कार्यान्वयन (PRAGATI - Pro-Active Governance and Timely Implementation) पहल शुरू की।
      • यह सरकार की अनुमोदन प्रक्रिया को गति देने के लिये एक डिजिटल, बहु-उद्देश्यीय मंच है।

विदेशी निवेशकों के लिये चिंतनीय आर्थिक नीतियाँ: 

  • विवादास्पद निर्णय: हाल ही में सरकार ने दो विवादास्पद निर्णय लिये अर्थात् जम्मू और कश्मीर राज्य (J&K) से विशेष संवैधानिक दर्जा हटाना तथा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 पारित करना।
    • हालाँकि भारत का कहना है कि CAA और अनुच्छेद 370 को समाप्त करना उसका आंतरिक मामला था तथा "किसी भी विदेशी पार्टी को भारत की संप्रभुता से संबंधित मुद्दों को उठाने का कोई अधिकार नहीं है।"
  • नए संरक्षणवादी उपाय: अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों ने विदेशी पूंजी के साथ-साथ प्रबंधन और नियंत्रण प्रतिबंधों के लिये इक्विटी सीमाएँ बरकरार रखी हैं, जो निवेश को अवरुद्ध करते हैं।
    • उदाहरण : वर्ष 2016 में भारत ने घरेलू एयरलाइनों में 100% तक एफडीआई की अनुमति दी थी, लेकिन पर्याप्त स्वामित्व और प्रभावी नियंत्रण (SOEC) नियमों का मुद्दा, जो कि भारतीय नागरिकों द्वारा बहुमत नियंत्रण को अनिवार्य करता है, को अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है।
  • द्विपक्षीय निवेश समझौते और कराधान संधियाँ : भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही में  निवेश परिस्थितियों के अनुकूल निर्णयों के पश्चात् दिसंबर 2015 में एक नए  मॉडल  द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaty-BIT) को अपनाया।
    • नया मॉडल बीआईटी विदेशी निवेशकों को निवेशक-राज्य विवाद निपटान विधियों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता है और इसके बजाय विदेशी निवेशकों को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता में भाग लेने से पूर्व सभी स्थानीय न्यायिक एवं प्रशासनिक उपायों को समाप्त करने की आवश्यकता होती है।
  • खरीद नियम शामिल हैं जो प्रतिस्पर्द्धी विकल्पों को सीमित करते हैं: सरकारी खरीद के लिये प्रेफरेंशियल मार्केट एक्सेस (PMA) ने भारत में कार्यरत विदेशी फर्मों के लिये काफी चुनौतियाँ उत्पन्न कर दी हैं।
    • राज्य के स्वामित्व वाले "सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम" और सरकार द्वारा 50% से अधिक स्थानीय सामग्री का उपयोग करने वाले विक्रेताओं को 20% मूल्य वरीयता दी जाती है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार: कमज़ोर बौद्धिक संपदा (IP) के संरक्षण और प्रवर्तन को लेकर चिंताओं के कारण भारत को वर्ष 2020 की स्पेशल 301 नामक रिपोर्ट में प्राथमिकता निगरानी सूची (PWL) में रखा गया।
  • भ्रष्टाचार:  ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (CPI) 2020 में भारत 40 अंकों के साथ 180 देशों में 86वें स्थान पर है।
  • अन्य मुद्दे: ऐसे अन्य मुद्दे हैं जो द्विपक्षीय व्यापार में विस्तार को प्रतिबंधित करते हैं जैसे- स्वच्छता और पादप स्वच्छता (Phytosanitary) मानक एवं भारतीय-विशिष्ट मानक, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

आगे की राह 

  • भारत सरकार को निवेश और व्यवसायों के लिये नौकरशाही बाधाओं को कम करके एक आकर्षक एवं विश्वसनीय निवेश वातावरण को बढ़ावा देना चाहिये।
  • भारत और अन्य देशों की सरकारों को मानकों, व्यापार सुविधा, प्रतिस्पर्द्धी एवं डंपिंग रोधी जैसे क्षेत्रों में सहयोग करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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