अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की कोयला रिपोर्ट- 2023 | 20 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, कोयला, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, नवीकरणीय ऊर्जा मेन्स के लिये:कोयले की मांग में कमी में योगदान देने वाले कारक, नवीकरणीय ऊर्जा के साथ विकास को संतुलित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये चुनौतियाँ और अवसर |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की वार्षिक कोयला बाज़ार रिपोर्ट वैश्विक कोयला मांग के प्रक्षेप पथ में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का पूर्वानुमान करती है, जो वर्ष 2026 तक संरचनात्मक कमी का संकेत देती है।
- यह प्रत्याशित परिवर्तन विभिन्न कारकों से प्रभावित है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार और प्रमुख क्षेत्रों में परमाणु उत्पादन में वृद्धि शामिल है
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- वैश्विक स्तर पर कोयले की मांग:
- वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच, कोयले की मांग वर्ष 2022 में सालाना 4% बढ़कर 8.42 बिलियन टन (Bt) हो गई, जिसने एक रिकॉर्ड बनाया।
- एशिया ऊर्जा और गैर-ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में कोयले की मांग में वृद्धि का प्राथमिक परिचालक बना हुआ है।
- चीन में कोयले की मांग में 4.6% या 200 मिलियन मीट्रिक टन (Mt) की वृद्धि हुई।
- भारत में कोयले की मांग में 9% की वृद्धि देखी गई, जो 97 मिलियन टन तक पहुँच गई।
- इंडोनेशिया में निकेल स्मेल्टरों के कारण मांग में 32% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो लगभग 49 मिलियन टन तक पहुँच गई।
- संयुक्त राज्य अमेरिका को कोयले की मांग में लगभग 8% की कमी का सामना करना पड़ा, जो लगभग 37 मिलियन टन थी तथा प्रमुख वैश्विक बाज़ारों में हुई महत्त्वपूर्ण गिरावट थी।
- यूरोप ने खपत में 4.3% की वृद्धि के बावजूद अनुमान से अधिक वृद्धि प्रदर्शित की।
- कुछ यूरोपीय देशों में जलविद्युत और परमाणु विद्युत् ऊर्जा उत्पादन में कमी हुई।
- यूरोप में कमज़ोर अर्थव्यवस्था और साधारण सर्दी ने प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद की।
- भविष्य के अनुमान और अनिश्चितताएँ:
- वर्ष 2023 में अधिकांश उन्नतवस्थाओं में कोयले की मांग में कमी होने का अनुमान है।
- कुल मिलाकर वर्ष 2026 में वैश्विक कोयले की खपत 2023 की तुलना में 2.3% कम होने का अनुमान है।
- अपेक्षित कमी के बावजूद, वैश्विक कोयले की खपत वर्ष 2026 तक 8 बिलियन टन से ऊपर रहने का अनुमान है, जो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में इसकी निरंतर भूमिका को उजागर करता है।
- वैश्विक स्तर पर तीन सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों चीन, भारत और इंडोनेशिया के वर्ष 2023 में उत्पादन रिकॉर्ड से आगे निकालने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक उत्पादन वर्ष 2023 में एक नई ऊँचाई पर पहुँच जाएगा। ये तीन देश अब विश्व के कोयला उत्पादन के 70% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- चीन और भारत में, विशेष रूप से बढ़ती कोयले की खपत ऊर्जा की मांग में प्रबल वृद्धि और कमी जलविद्युत उत्पादन से प्रेरित है।
- कोयला माँग में कमी को प्रभावित करने वाले कारक:
- कोयले की मांग में कमी का श्रेय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर वैश्विक बदलाव को दिया जाता है।
- IEA, कोयले की मांग में अपेक्षित कमी को वैश्विक जलवायु में हुए परिवर्तन से जोड़ता है उसके अनुसार अल-नीनो की स्थिति ला-नीना में संक्रमित हो रही है, जिससे संभावित रूप से जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
- उक्त रिपोर्ट में कम लागत वाले सौर फोटोवोल्टिक परिनियोजन में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के विकास में योगदान दे रहा है।
- परमाणु ऊर्जा उत्पादन में, विशेष रूप से चीन, भारत एवं यूरोपीय संघ में मध्यम वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे कोयला आधारित उत्पादन और प्रभावित होगा।
- कोयला बाज़ार में चीन का प्रभुत्व:
- चीन की कोयले की खपत वर्ष 2024 में कम होने तथा वर्ष 2026 तक स्थिर रहने की उम्मीद है।
- जलविद्युत उत्पादन में सुधार होने की उम्मीद है, जबकि चीन में सौर PV एवं पवन से विद्युत उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
- चीन में आर्थिक विकास की गति तथा उसके कोयले का उपयोग अनिश्चित है क्योंकि इसमें व्यापक संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा का व्यापक उपयोग करने की प्रतिबद्धताओं के बावजूद, भारत, इंडोनेशिया तथा अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक विकास के लिये कोयले पर निर्भर रहने की उम्मीद है।
- UNFCCC में पार्टियों के 28वें सम्मेलन (COP28) के अनुरूप 'अनअबेटेड' कोयले के उपयोग को कम करने के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आवश्यक माना जाता है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2020-2050 के बीच वैश्विक कोयला उत्सर्जन में लगभग 95% की कमी लाना है।
- चीन की कोयले की खपत वर्ष 2024 में कम होने तथा वर्ष 2026 तक स्थिर रहने की उम्मीद है।
- कोयला उद्योग में परिवर्तन:
- विगत दो वर्षों में कोयले की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे उपभोक्ताओं तथा उद्योग की गतिशीलता दोनों पर प्रभाव पड़ा है।
- बढ़ती लागत के बावजूद, कोयला खनन कंपनियों ने अपनी लाभप्रद स्थिति को बनाए रखा है। इसके कारण, विविध खनन कंपनियाँ ऊर्जा संक्रमण से जुड़ी मांग में अपेक्षित वृद्धि का लाभ उठाते हुए, कोयला उद्योग से अर्जित लाभ को अन्य क्षेत्रों में पुनर्निवेशित करने में सक्षम हुई हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी क्या है?
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है, को 1970 के दशक के मध्य में हुए तेल संकट का सामना करने हेतु आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1974 में एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
- IEA का केंद्र मुख्य रूप से ऊर्जा संबंधी नीतियाँ हैं, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
- IEA अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार से संबंधित जानकारी प्रदान करने तथा तेल की आपूर्ति में किसी भी भौतिक व्यवधान के विरुद्ध कार्रवाई करने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
- सदस्य:
- IEA परिवार 31 सदस्य देशों (भारत सहित) 13 सहयोगी देशों और 4 परिग्रहण देशों से बना है।
- IEA के लिये एक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये।
- IEA परिवार 31 सदस्य देशों (भारत सहित) 13 सहयोगी देशों और 4 परिग्रहण देशों से बना है।
- प्रमुख रिपोर्टें:
सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (B) मेन्स:प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |