अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024 | 05 Dec 2024
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024, वैश्विक ऋण रुझान और निहितार्थ, ऋण, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)। मेन्स के लिये:वैश्विक ऋण रुझान और निहितार्थ। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी विश्व बैंक की "अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024" में विकासशील देशों के लिये बढते ऋण संकट पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें वर्ष 2023 में दो दशकों में उच्चतम ऋण सेवा स्तर अंकित होगा, जो बढ़ती ब्याज दरों और आर्थिक चुनौतियों से प्रेरित है।
- इसके अतिरिक्त इससे पहले जून, 2024 में UNCTAD की एक रिपोर्ट, "ए वर्ल्ड ऑफ डेट 2024: ए ग्रोइंग बर्डन टू ग्लोबल प्रॉसपेरिटी" ने विश्व को प्रभावित करने वाले गंभीर वैश्विक ऋण संकट पर प्रकाश डाला।
अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट, 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
बढ़ता ऋण स्तर:
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों (विकासशील या LMIC) का कुल बाह्य ऋण वर्ष 2023 के अंत तक रिकॉर्ड 8.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वर्ष 2020 से 8% की वृद्धि को दर्शाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) - पात्र देशों का बाह्य ऋण लगभग 18% बढ़कर 1.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- वर्ष 1960 में स्थापित IDA एक विश्व बैंक समूह की संस्था है, जो कम आय और खराब ऋण पात्रता वाले विश्व के अति निर्धन देशों को रियायती ऋण और अनुदान प्रदान करती है।
बढ़ती ऋण सेवा लागत:
- वर्ष 2023 में LMIC को ऋण सेवा लागत (मूलधन और ब्याज भुगतान) में रिकॉर्ड 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च उठाना पड़ा, जिसमें ब्याज भुगतान 33% बढ़कर 406 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिससे राष्ट्रीय बजट पर भारी दबाव पड़ा।
- ब्याज भुगतान में तीव्र वृद्धि ने स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश को कम कर दिया है, जिससे विकास संबंधी चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं।
उधारी में वृद्धि:
- वर्ष 2023 में आधिकारिक लेनदारों से ऋण पर ब्याज दरें दोगुनी होकर 4% से अधिक हो जाएँगी, जबकि निज़ी लेनदारों की दरें बढ़कर 6% हो जाएँगी, जो 15 वर्षों में उच्चतम स्तर है।
- ब्याज दरों में इस वृद्धि से विकासशील देशों पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ गया, जिससे उसकी ऋण को चुकाने में चुनौतियाँ बढ़ गई हैं।
निज़ी और आधिकारिक लेनदारों की भूमिका:
- जैसे-जैसे वैश्विक ऋण की स्थिति खराब होती गई, निज़ी ऋणदाताओं ने IDA देशों को ऋण देना कम कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप नवीन ऋणों की तुलना में ऋण चुकौती में 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई।
- इसके विपरीत विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय ऋणदाताओं ने इन अर्थव्यवस्थाओं को ऋण भुगतान से प्राप्त राशि से 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक प्रदान करके सहायता प्रदान की।
IDA-पात्र देशों पर प्रभाव:
- IDA-पात्र देशों को वर्ष 2023 में गंभीर वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ा, ऋण भुगतान में 96.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ा, जिसमें रिकॉर्ड-उच्च ब्याज लागत में 34.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल थे - जो वर्ष 2014 की तुलना में 4 गुना अधिक था।
- औसतन, उनकी निर्यात आय का लगभग 6% ब्याज भुगतान में चला जाता है, कुछ का आवंटन 38% तक होता है।
वैश्विक ऋण
- यह विश्व भर में सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा लिये गए कुल ऋण को संदर्भित करता है, जिसमें सार्वजनिक और निजी ऋण दोनों शामिल हैं ।
- सार्वजनिक ऋण: यह सरकार द्वारा घरेलू और विदेशी ऋणदाताओं को दिया जाने वाला ऋण है। इसे आमतौर पर बाॅण्ड, ट्रेजरी बिल या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से ऋण जारी करके वित्तपोषित किया जाता है।
- निजी ऋण: यह व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा बैंकों, ऋणदाताओं एवं वित्तीय संस्थानों को दिये जाने वाले ऋण से संबंधित है। इसमें बंधक, कॉर्पोरेट बाॅण्ड, छात्र ऋण और क्रेडिट कार्ड ऋण शामिल हैं।
UNCTAD विश्व ऋण रिपोर्ट, 2024 के अनुसार वैश्विक ऋण संकट की स्थिति क्या है?
- वैश्विक सार्वजनिक ऋण में तीव्र वृद्धि: वैश्विक ऋण, जिसमें परिवारों, व्यवसायों और सरकारों द्वारा लिया गया ऋण शामिल है, वर्ष 2024 में 315 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 3 गुना है।
- कोविड-19 महामारी, खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतें, जलवायु परिवर्तन, तथा धीमी विकास दर और बढ़ती बैंक ब्याज दरों के कारण सुस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था जैसे कारकों के कारण सार्वजनिक ऋण तेजी से बढ़ रहा है।
- ऋण वृद्धि में क्षेत्रीय असमानताएँ: विकासशील देशों का सार्वजनिक ऋण, जो 29 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है (वैश्विक ऋण का 30%, जो वर्ष 2010 में 16% था), विकसित देशों की तुलना में दोगुनी तेज़ी से बढ़ रहा है।
- ऋण सेवा और जलवायु पहल पर प्रभाव: लगभग 50% विकासशील देश अब अपने सरकारी राजस्व का कम से कम 8% ऋण के लिये आवंटित करते हैं, यह आँकड़ा पिछले दशक में दोगुना हो गया है।
- वर्तमान में, विकासशील देश जलवायु पहलों (2.1%) की तुलना में ऋण चुकौती (2.4%) पर सकल घरेलू उत्पाद का अधिक प्रतिशत व्यय करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है।
- पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, वर्ष 2030 तक जलवायु निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 6.9% तक बढ़ाना होगा।
- आधिकारिक विकास सहायता (ODA) में बदलाव: ODA, जो विकासशील देशों में आर्थिक विकास और कल्याण का समर्थन करता है, में उल्लेखनीय गिरावट आ रही है और अब ऋण सहायता का 34% है, जो वर्ष 2012 में 28% था, जिससे ऋण का भार बढ़ रहा है।
- ऋण राहत निधि वर्ष 2012 में 4.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2022 में 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर रह गई है, जिससे विकासशील देशों के लिये ऋण प्रबंधन की स्थिति और खराब हो गई है।
नोट:
- आधिकारिक विकास सहायता (ODA) से तात्पर्य गरीब देशों के विकास को समर्थन देने के लिये दाता देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता से है।
- विश्व बैंक का एक अंग, अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (ODA) ढाँचे के भीतर एक प्रमुख बहुपक्षीय संस्था है। यह दुनिया के सबसे गरीब देशों को अनुकूल शर्तों के साथ रियायती ऋण और अनुदान प्रदान करता है, इस प्रकार इन देशों में विकास प्रयासों का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विश्व बैंक का एक अंग, अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), ODA ढाँचे के भीतर एक प्रमुख बहुपक्षीय संस्था है। यह विश्व के सबसे गरीब देशों को अनुकूल शर्तों के साथ रियायती ऋण और अनुदान प्रदान करता है, इस प्रकार इन देशों में विकास प्रयासों का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वर्ष 2020 में शुरू किये गए और पेरिस क्लब के सहयोग से G20 द्वारा समर्थित ऋण उपचार के लिये G20 कॉमन फ्रेमवर्क का उद्देश्य अस्थिर ऋण स्तरों से जूझ रहे है, निम्न-आय वाले देशों (LIC) को संरचनात्मक सहायता प्रदान करना है।
- वर्ष 2020 में शुरू किया गया और पेरिस क्लब तथा G20 द्वारा अनुमोदित, ऋण उपचार के लिये G-20 कॉमन फ्रेमवर्क का उद्देश्य निम्न आय वाले देशों (LIC) को संरचनात्मक सहायता प्रदान करना है, जो असहनीय ऋण स्तरों से जूझ रहे हैं।
- यह ढाँचा LIC के सामने आने वाली गंभीर ऋण चुनौतियों से निपटने के लिये एक समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो कोविड-19 महामारी के कारण और भी गंभीर हो गई हैं।
वैश्विक ऋण संकट को कम करने के लिये क्या उपाय किये गए हैं?
- ऋण प्रबंधन और वित्तीय विश्लेषण प्रणाली (DMFAS) कार्यक्रम: DMFAS कार्यक्रम UNCTAD द्वारा कार्यान्वित किया गया है जो विकासशील देशों को उनके ऋण प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करने में सहायता करता है।
- यह डेब्ट रिकॉर्डिंग, जोखिम मूल्यांकन और बातचीत को बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता प्रदान करता है, जिससे सतत् ऋण प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है साथ ही भविष्य के ऋण संकटों को रोका जा सकता है।
- अत्यधिक ऋणग्रस्त गरीब देश (HIPC) पहल:
- HIPC को और IMF द्वारा वर्ष 1996 में लॉन्च किया गया था। यह विश्व के सबसे गरीब देशों, जो अस्थिर ऋण का सामना कर रहे हैं, को ऋण राहत और कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करता है। पात्रता सख्त मानदंडों जैसे सुधारों के ट्रैक रिकॉर्ड और गरीबी न्यूनीकरण रणनीति पत्र (PRSP) के विकास पर आधारित है।
- इस कार्यक्रम को पूरा करने वाले देशों को ऋण-सेवा राहत और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन प्राप्त होंगे।
- वर्ष 2005 में शुरू की गई बहुपक्षीय ऋण राहत पहल (MDRI) HIPC पहल का पूरक है, जो देशों को सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है ।
- उदाहरण के लिये, सोमालिया ने दिसंबर, 2023 में कार्यक्रम पूरा करने के बाद ऋण भुगतान में 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की।
- वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन (GSDR) :
- GSDR ऋणी देशों और आधिकारिक तथा निजी ऋणदाताओं को एक साथ लाता है, जिसका उद्देश्य ऋण स्थिरता और ऋण पुनर्गठन चुनौतियों तथा उनके समाधान के तरीकों पर प्रमुख हितधारकों के बीच साझा समझ का निर्माण करना है।
- इसकी सह-अध्यक्षता IMF, विश्व बैंक और G-20 द्वारा की जाती है।
आगे की राह
- समावेशी शासन:
- निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में निम्न आय वाले देशों की भागीदारी बढ़ाना यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि उनकी आवाज़ सुनी जाए। संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास कार्यालय द्वारा जोर दिये जाने के अनुसार, ऋण संकट को रोकने हेतु वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है।
- आकस्मिक वित्तपोषण:
- आपातकालीन वित्तीय सहायता प्रदान करने में IMF की अहम भूमिका है। वर्ष 2019 की IMF रिपोर्ट में प्रस्तावित विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights- SDR) तक पहुँच बढ़ाने जैसे उपाय संकट के समय विकासशील देशों के भंडार वृद्धि में मदद कर सकते हैं।
- असंवहनीय ऋण का प्रबंधन:
- मौजूदा ऋण पुनर्गठन ढाँचे जैसे कि ऋण उपचार के लिये G20 कॉमन फ्रेमवर्क को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- संकट के दौरान ऋण भुगतान निलंबन हेतु स्वचालित प्रावधानों को शामिल करने से अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करने हेतु लचीलापन प्राप्त हो सकता है।
- मौजूदा ऋण पुनर्गठन ढाँचे जैसे कि ऋण उपचार के लिये G20 कॉमन फ्रेमवर्क को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- सतत् वित्तपोषण को बढ़ाना:
- बहुपक्षीय विकास बैंकों (Multilateral Development Banks- MDB) को सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के लिये दीर्घकालिक वित्तपोषण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने हेतु परिवर्तित किया जाना चाहिये। स्वच्छ ऊर्जा जैसी सतत् परियोजनाओं के लिये निजी निवेश को आकर्षित करना और विशेष रूप से विकासशील देशों के लिये सहायता और जलवायु वित्त से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
विश्व बैंक की अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024 विकासशील देशों के सामने अपने ऋण के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों की एक स्पष्ट छवि प्रस्तुत करती है। निष्कर्ष बहुपक्षीय समर्थन की तत्काल आवश्यकता और ऋण डेटा में बेहतर पारदर्शिता को रेखांकित करते हैं ताकि सतत् आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। जैसे-जैसे ये देश अपनी वित्तीय चुनौतियों से निपटते हैं, ऋण चुकौती को आवश्यक विकास प्राथमिकताओं के साथ संतुलित करने के लिये आवश्यक सहायता प्रदान करने में बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका तेज़ी से महत्त्वपूर्ण होती जाती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: वैश्विक ऋण संकट को बढ़ावा देने वाले कारक क्या हैं? विकसित और विकासशील दोनों देश इस समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान करने तथा इसे प्रबंधित करने के लिये संभावित उपायों का आकलन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: c मेन्स:प्रश्न: 12. उतर-उदारीकरण अवधि के दौरान, बजट निर्माण के संदर्भ में लोक व्यय प्रबंधन भारत सरकार के समक्ष एक चुनौती है। इसको स्पष्ट कीजिये। (2019) |