जैव विविधता और पर्यावरण
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2025
- 22 Mar 2025
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, खाद्य और कृषि संगठन (FAO), कार्बन पृथक्करण, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA)। मेन्स के लिये:भारत के लिये वनों का महत्त्व, भारत में वनों से जुड़े मुद्दे। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, जिसे विश्व वन दिवस (WFD) के रूप में भी जाना जाता है, मानवता और ग्रह के अस्तित्व के लिये वनों और वृक्षों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है।
- वर्ष 2025 WFD का विषय "वन और भोजन" है।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस
- अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की शुरुआत वर्ष 1971 में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित "विश्व वानिकी दिवस" से हुई।
- इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2012 में औपचारिक रूप से मान्यता दी गई।
- इसका उद्देश्य वन संरक्षण और सतत् प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
नोट
- भारत में वन की परिभाषा: टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ 1996 मामले में , सर्वोच्च न्यायालय ने व्याख्या की कि "वन" शब्द को इसके "शब्दकोश अर्थ" के अनुसार समझा जाना चाहिये।
- यह विवरण सभी वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त वनों को कवर करता है, चाहे वे आरक्षित, संरक्षित या अवर्गीकृत हों।
वनों का महत्त्व क्या है?
- पारिस्थितिक महत्त्व:
- कार्बन पृथक्करण: वन प्रतिवर्ष वैश्विक CO₂ उत्सर्जन (जीवाश्म ईंधन से) का लगभग 30% अवशोषित करते हैं (FAO, 2020) और 861 गीगाटन कार्बन संग्रहित करते हैं, जो उन्हें जलवायु परिवर्तन शमन के लिये महत्त्वपूर्ण बनाता है।
- जैवविविधता संरक्षण: वन स्थलीय जैवविविधता का 80% हिस्सा रखते हैं (UNEP, 2021)।
- भारत के वन एवं वृक्षावरण (कुल क्षेत्रफल का 25.17%) बाघों (3,167, NTCA 2022) और एशियाई हाथियों (~30,000, MoEFCC 2023) जैसी प्रजातियों को आश्रय देते हैं।
- जल सुरक्षा: वन जल विज्ञान चक्र को नियंत्रित करते हैं, भूजल को पुनर्भरित करते हैं और बाढ़ को कम करते हैं।
- 85% से ज़्यादा बड़े शहर स्वच्छ जल के लिये वनाच्छादित जलक्षेत्रों पर निर्भर हैं। संकट के समय, वन ग्रामीण परिवारों की आय का 20% तक प्रदान करते हैं और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
- भारत में पश्चिमी घाट नदियों को पोषित करते हैं जो 245 मिलियन लोगों को जलापूर्ति करती हैं।
- आर्थिक एवं आजीविका मूल्य:
- वैश्विक निर्भरता: 1.6 बिलियन लोग (70 मिलियन स्वदेशी समुदायों सहित) भोजन, ईंधन और दवा के लिये वनों पर निर्भर हैं (विश्व बैंक, 2022)।
- रोज़गार: भारत में 30 मिलियन से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिये वानिकी गतिविधियों पर निर्भर हैं, तथा मनरेगा वनरोपण परियोजनाओं एवं ग्रामीण आजीविका को सहायता प्रदान करता है।
- पशुधन सहायता: वन 30-40 मिलियन चरवाहों का निर्वाह स्रोत हैं और 4 बिलियन पशुओं के लिये चारा स्रोत हैं। वृक्ष छाया और सुरक्षा प्रदान कर चरागाहों का वर्द्धन करते हैं, जिससे पशुधन उत्पादकता में सुधार होता है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: वनों को पुनर्जनन, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिये सांस्कृतिक रूप से पूजनीय माना जाता है।
- भारत में 100,000 से अधिक पवित्र उपवन हैं (जैसे, केरल में कावस, मेघालय में लॉ लिंगदोह), जो जैवविविधता और Myristica malabarica (कर्नाटक) जैसी दुर्लभ वनस्पतियों को संरक्षित करते हैं।
- आनुवंशिक विविधता: वन फसलों के वन्य प्रजातियों (जैसे, असम में वन्य चावल) को सुरक्षा प्रदान करते हैं, जो जलवायु-लचीली किस्मों के जनन के लिये आवश्यक है।
भारत में वनों की स्थिति क्या है?
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR)-2023 के अनुसार, वन एवं वृक्ष आवरण इसके भौगोलिक क्षेत्र (GA) का 25.17% है, जिसमें वन आवरण 21.76% और वृक्ष आवरण 3.41% है।
- देश के वन एवं वृक्ष आवरण में वर्ष 2021 की तुलना में 1,445.81 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
- रिपोर्ट के अनुसार 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है।
- भारत का वन कार्बन स्टॉक अनुमानित रूप से 7,285.5 मिलियन टन है, जो वर्ष 2021 की तुलना में 81.5 मिलियन टन अधिक है।
- भारत का मैंग्रोव आवरण 4,991.68 वर्ग किमी. (GA का 0.15%) है, जिसमें वर्ष 2021 से 7.43 वर्ग किमी. की कमी हुई है।
- सर्वाधिक वन क्षेत्र (क्षेत्रवार): मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़।
- वन आवरण का उच्चतम प्रतिशत: लक्षद्वीप (91.33%), मिज़ोरम (85.34%), अंडमान और निकोबार (81.62%)।
वैश्विक वन क्षेत्र (FAO 2020)
वन संरक्षण संबंधी कौन-सी पहलें की गई हैं?
वैश्विक पहलें
- REDD+ (वनोन्मूलन और वन क्षरण से उत्सर्जन में कमी): यह UNFCCC की पहल है जिसके अंतर्गत विकासशील देशों को वनोन्मूलन में कमी करने और वन कार्बन स्टॉक को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- बॉन चैलेंज (2011): यह जर्मनी और IUCN द्वारा शुरू किया गया था तथा इसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक 150 मिलियन हेक्टेयर और वर्ष 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा (2014): यह एक अबंधक प्रतिबद्धता है जिसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक वनोन्मूलन में 50% कमी करने और वर्ष 2030 तक इसे पूर्ण रूप से समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- पेरिस समझौता (अनुच्छेद 5): यह जलवायु परिवर्तन का शमन करने के लिये वनों सहित GHG सिंक और जलाशयों के संरक्षण और संवर्द्धन पर ज़ोर देता है।
- FAO का वैश्विक वन संसाधन आकलन (FRA): वैश्विक स्तर पर वन संसाधनों, प्रवृत्तियों और संरक्षण प्रयासों पर व्यापक डेटा प्रदान करता है।
- जैवविविधता पर अभिसमय (CBD): CBD वन संरक्षण के लिये एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य जैवविविधता का संरक्षण करना, इसके घटकों का सतत् उपयोग करना और आनुवंशिक संसाधनों से लाभ साझा करना है।
भारत की पहलें
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980
- राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
- प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (CAMPA): वनरोपण के लिये वन भूमि परियोजनाओं से प्राप्त निधियों के समुपयोग पर आधारित।
- ग्रीन इंडिया मिशन (GIM): यह राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) का हिस्सा है, जिसे वर्ष 2015-16 में जैवविविधता, जल संसाधन और कार्बन पृथक्करण पर ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य 10 मिलियन हेक्टेयर वन/वृक्ष क्षेत्र का विस्तार और सुधार तथा वन-आधारित आय के माध्यम से 3 मिलियन परिवारों की आजीविका को बढ़ावा देना है।
- उप-मिशन: वन क्षेत्र में वृद्धि, शहरी हरियाली तथा कृषि वानिकी एवं सामाजिक वानिकी।
- ग्रीन इंडिया मिशन (GIM): यह राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) का हिस्सा है, जिसे वर्ष 2015-16 में जैवविविधता, जल संसाधन और कार्बन पृथक्करण पर ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किया गया था।
- राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति: इसे जलवायु अनुकूलता, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ के लिये कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
- यह नर्सरी और ऊतक संवर्द्धन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री (QPM) पर केंद्रित है।
- ICAR-केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान (CAFRI) नोडल एजेंसी है, जिसे राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से सहयोग मिलता है।
- वन अग्नि निवारण एवं प्रबंधन योजना: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो वन अग्नि की रोकथाम एवं नियंत्रण में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करती है।
- विश्व बैंक, NDMA और राज्य वन विभागों के साथ मिलकर वन अग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना (2018) विकसित की गई।
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) वास्तविक समय में वनाग्नि की चेतावनी के लिये रिमोट सेंसिंग, GPS, GIS और उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग करता है।
- पीएम वन धन योजना (PMVDY): कौशल प्रशिक्षण, बुनियादी ढाँचे और बाज़ार संपर्कों के माध्यम से लघु वन उपज (MFP) में मूल्य संवर्द्धन करके जनजातीय आजीविका को बढ़ाना।
- वन धन विकास केंद्र (VDVK): लघु वनोपजों के प्रसंस्करण और विपणन के लिये प्रति केंद्र 15 स्वयं सहायता समूहों से 300 सदस्य।
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निष्कर्ष
ग्रीन इंडिया मिशन, वन धन योजना और वन अग्नि प्रबंधन जैसी पहलों के माध्यम से भारत के वन संरक्षण प्रयास पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, जलवायु अनुकूल और आजीविका वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2025 पर, सतत् नीतियों और समुदाय-संचालित संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करना एक हरित और समृद्ध भविष्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत में वन संरक्षण की चुनौतियों की जाँच करना तथा जलवायु परिवर्तन एवं विकास के संदर्भ में सतत् प्रबंधन के लिये रणनीति प्रस्तावित करना। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न . भारत का एक विशेष राज्य निम्नलिखित विशेषताओं से युक्त हैः (2012) 1- यह उसी अक्षांश पर स्थित है, जो उत्तरी राजस्थान से होकर जाता है निम्नलिखित राज्यों में से कौन-सा ऊपर दी गई सभी विशेषताओं से युक्त है? (a) अरूणाचल प्रदेश उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. “भारत में आधुनिक कानून की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानीकरण है।” सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022) |