भारत-अमेरिका संबंध | 25 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत-अमेरिका संबंध, संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN), क्षेत्रीय मंच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका संबंध- हालिया विकास, भू-राजनीतिक चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने कहा है कि सामयिक मुद्दों के बावजूद, भारत और अमेरिका संबंध सकारात्मक पथ पर हैं।
- प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय हित से प्रेरित गहन साझेदारी, समझ तथा मित्रता पर ज़ोर दिया।
अमेरिका के साथ भारत के संबंध कैसे रहे हैं?
- परिचय:
- अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता तथा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।
- व्यापार, निवेश एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों देशों के साझा हित हैं।
- आर्थिक संबंध:
- दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर सामने आया है।
- भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ निर्यात 2.81% बढ़कर 78.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 76.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था तथा आयात लगभग 16% बढ़कर 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN), क्षेत्रीय मंच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सहित बहुपक्षीय संगठनों में निकटता से सहयोग करते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2021 में दो वर्ष के कार्यकाल के लिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल करने का स्वागत किया तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया जिसमें भारत को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
- भारत, हिंद-प्रशांत आर्थिक संरचना (Indo-Pacific Economic Framework for Prosperity- IPEF) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाले बारह देशों में से एक है।
- भारत हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक संवाद भागीदार है।
- वर्ष 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका भारत में मुख्यालय वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया और वर्ष 2022 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) में शामिल हो गया।
- रक्षा सहयोग:
- भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।
- वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA),
- वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA),
- वर्ष 2020 में भू-स्थानिक सहयोग हेतु बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA)
- जबकि सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) पर बहुत समय पहले हस्ताक्षर किये गए थे, इसके विस्तार औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (ISA) पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- भारत, जिसे शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी हथियार उपलब्ध नहीं हो सके, ने पिछले दो दशकों में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार खरीदे हैं।
- हालाँकि अमेरिका के प्रोत्साहन से भारत को अपनी सैन्य आपूर्ति के लिये रूस पर ऐतिहासिक निर्भरता कम करने में मदद मिल रही है।
- भारत और अमेरिका की सशस्त्र सेनाएँ क्वाड फोरम (मालाबार) में चार भागीदारों के साथ व्यापक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास (युद्ध अभ्यास, वज्र प्रहार) तथा लघुपक्षीय अभ्यास में संलग्न हैं।
- मध्य पूर्व में एक और समूह - I2U2 जिसमें भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं, को नया क्वाड कहा जा रहा है।
- भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।
- अंतरिक्ष और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
- NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) पृथ्वी अवलोकन के लिये एक माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग उपग्रह, NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) विकसित कर रहे हैं।
- जून 2023 में ISRO ने बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण एवं संधारणीय नागरिक अन्वेषण में भाग लेने के लिये NASA के साथ आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- iCET AI, क्वांटम, टेलीकॉम, अंतरिक्ष, बायोटेक, सेमीकंडक्टर और रक्षा जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी डोमेन में सहयोग एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अमेरिका व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की एक संयुक्त पहल है। इसे जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया था।
भारत और अमेरिका के बीच प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- भारत की विदेश नीति की अमेरिकी आलोचना:
- यदि भारतीय अभिजात वर्ग ने लंबे समय से विश्व को गुटनिरपेक्षता के दृष्टिकोण से देखा है, तो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से गठबंधन संबंध अमेरिका की विदेश नीति के केंद्र में रहे हैं।
- विशेषकर शीत युद्ध के दौरान भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति हमेशा पश्चिम देशों, विशेषकर अमेरिका के लिये चिंता का विषय रही है।
- 9/11 के हमलों के बाद, अमेरिका ने भारत से अफगानिस्तान में सेना भेजने के लिये कहा; भारतीय सेना ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
- वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया, तब भी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सैन्य समर्थन रोक दिया था।
- आज भी भारत रूसी-यूक्रेन युद्ध के समय पर अमेरिकी लाइन पर चलने से इनकार करता है और सस्ते रूसी तेल का आयात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
- भारत को "इतिहास के सही पक्ष" में लाने की मांग को लेकर प्रायः अमेरिका समर्थक आवाज़ें उठती रही हैं।
- यदि भारतीय अभिजात वर्ग ने लंबे समय से विश्व को गुटनिरपेक्षता के दृष्टिकोण से देखा है, तो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से गठबंधन संबंध अमेरिका की विदेश नीति के केंद्र में रहे हैं।
- अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों के साथ भारत की भागीदारी:
- भारत ने ईरान और वेनेज़ुएला के तेल को खुले बाज़ार से रोकने के अमेरिकी फैसले की आलोचना की है।
- भारत ने ईरान को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल करने के लिये सक्रिय रूप से भूमिका निभाई है।
- भारत के लोकतंत्र की अमेरिका द्वारा आलोचना:
- विभिन्न अमेरिकी संगठन और फाउंडेशन, समय-समय पर, कुछ कांग्रेसियों (अमेरिकी संसद) तथा सीनेटरों के मौन समर्थन के साथ भारत में लोकतांत्रिक चर्चा, प्रेस व धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट लेकर आते हैं।
- उनमें से कुछ में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 और भारत पर मानवाधिकार रिपोर्ट 2021 शामिल हैं।
- विभिन्न अमेरिकी संगठन और फाउंडेशन, समय-समय पर, कुछ कांग्रेसियों (अमेरिकी संसद) तथा सीनेटरों के मौन समर्थन के साथ भारत में लोकतांत्रिक चर्चा, प्रेस व धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट लेकर आते हैं।
- आर्थिक तनाव:
- आत्मनिर्भर भारत अभियान ने अमेरिका में इस विचार को और तीव्र कर दिया है कि भारत तेज़ी से एक संरक्षणवादी बंद बाजार अर्थव्यवस्था बनता जा रहा है।
- जून 2019 से, प्रभावी होकर संयुक्त राज्य अमेरिका ने जीएसपी (वरीयता सामान्यीकृत प्रणाली) कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों को शुल्क-मुक्त लाभ वापस लेने का निर्णय लिया, जिससे भारत के फार्मा, कपड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव पार्ट्स जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्र प्रभावित होंगे।
आगे की राह
- मुक्त व्यापर और नियमों से बंधे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिये दोनों देशों के बीच साझेदारी महत्त्वपूर्ण है।
- अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार एवं निवेश के लिये विशाल अवसर प्रदान करता है।
- अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रही अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भारत एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। यह अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग अपने महत्त्वपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के लिये करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा , विगत वर्ष प्रश्नमेन्स:प्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज़ करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |