भारत-अमेरिका वाणिज्यिक संवाद | 13 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:TPF, IPEF, iCET, अर्द्धचालक, FDI, जलवायु संकट मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका वाणिज्यिक संवाद |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और अमेरिका ने अपनी 5वीं मंत्रिस्तरीय वाणिज्यिक वार्ता पर संयुक्त वक्तव्य जारी किया है, जिसमें आपूर्ति शृंखला से संबंधित मुद्दों पर चर्चा और अर्द्धचालक साझेदारी पहल पर सहमति व्यक्त की गई है।
- जनवरी 2023 में भारत के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री तथा अमेरिका के व्यापारिक प्रतिनिधि राजदूत ने वाशिंगटन डीसी में भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम (TPF) की 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की।
संयुक्त वक्तव्य की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी:
- दोनों ने महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी (iCET) और हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचे (IPEF) पर पहल सहित भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी, साथ ही दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंधों पर चर्चा की।
- अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखला पर समझौता ज्ञापन:
- दोनों देशों ने इस संबंध में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये अर्द्धचालक और आपूर्ति शृंखला तथा नवाचार भागीदारी पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- प्रतिभा, नवाचार और समावेशी विकास:
- दोनों देशों ने माना कि छोटे व्यवसाय और उद्यम अमेरिकी एवं भारतीय अर्थव्यवस्थाओं की जीवनरेखा हैं और दोनों देशों के अर्द्धचालक मिशन के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने तथा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने वाणिज्यिक वार्ता के तहत प्रतिभा, नवाचार और समावेशी विकास पर एक नया कार्य समूह शुरू करने की घोषणा की।
- यात्रा और पर्यटन कार्य समूह:
- उन्होंने महामारी से पहले की प्रगति को जारी रखने और मज़बूत यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र विकसित करने हेतु कई नई चुनौतियों तथा अवसरों को संबोधित करने के लिये यात्रा एवं पर्यटन कार्य समूह को फिर से लॉन्च किया।
- मानक और अनुरूपता सहयोग कार्यक्रम:
- दोनों देशों ने मानक और अनुरूपता सहयोग कार्यक्रम भी शुरू किया यह मानक सहयोग अमेरिकी राष्ट्रीय मानक संस्थान (American National Standard Institute- ANSI) एवं भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) के बीच साझेदारी में किया जाएगा।
- सामरिक व्यापार संवाद:
- यह निर्यात नियंत्रणों को संबोधित करेगा, उच्च प्रौद्योगिकी वाणिज्य को बढ़ाने के तरीकों का पता लगाएगा, साथ ही दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा।
- पर्यावरण प्रौद्योगिकी व्यवसाय विकास मिशन:
- साथ ही अमेरिका वर्ष 2024 में भारत में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के नेतृत्त्व में स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण प्रौद्योगिकी व्यवसाय विकास मिशन भेजेगा।
- यह मिशन ग्रिड आधुनिकीकरण, स्मार्ट ग्रिड समाधान, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, हाइड्रोजन, तरलीकृत प्राकृतिक गैस और पर्यावरण प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में अमेरिका तथा भारत के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करेगा।
- वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन:
- दोनों पक्षों ने ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस और हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास एवं परिनियोजन में साथ मिलकर काम करने की शपथ ली है।
- यूएस-इंडिया एनर्जी इंडस्ट्री नेटवर्क:
- दोनों पक्षों ने यूएस-इंडिया एनर्जी इंडस्ट्री नेटवर्क (US-India Energy Industry Network- EIN) के संदर्भ में क्लीन एज एशिया (Clean EDGE Asia) पहल में अमेरिकी उद्योग की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने हेतु एक व्यापक मंच की घोषणा की, जो कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायी और सुरक्षित स्वच्छ ऊर्जा बाज़ारों को विकसित करने के लिये अमेरिकी सरकार की हस्ताक्षर पहल है।
- दूरसंचार:
- दोनों पक्षों ने 6जी सहित दूरसंचार में अगली पीढ़ी के मानकों को विकसित करने हेतु मिलकर कार्य करने में रुचि व्यक्त की।
अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक संबंध कैसे हैं?
- भारत-अमेरिका द्विपक्षीय साझेदारी में कोविड-19 पर प्रतिक्रिया, महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और सतत् विकास, महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियाँ, सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव, शिक्षा, प्रवासी जनसमूह तथा सुरक्षा एवं रक्षा सहित कई मुद्दों को शामिल किया गया है।
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार वर्ष 2014 के बाद से लगभग दोगुना हुआ है, जो वर्ष 2022 में 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2022 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
- अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यातक और व्यापार साझेदार है, जबकि भारत, अमेरिका का 9वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- दोनों देशों का उद्देश्य वर्ष 2025 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य हासिल करना है।
- अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 तक 56,753 मिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के साथ अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक भी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |