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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम

  • 24 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन, व्यापार नीति फोरम, टोटलाइज़ेशन एग्रीमेंट

मेन्स के लिये:

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध तथा भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम की विशेषताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चार वर्ष के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच व्यापार नीति फोरम/मंच (TPF) का आयोजन किया गया था। फोरम ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को 'आगामी उच्च स्तर' पर ले जाने का संकल्प लिया और 'संभावित लक्षित टैरिफ कटौती' को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया।

Bolstering

प्रमुख बिंदु

  • उद्देश्य: कृषि, गैर-कृषि वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और बौद्धिक संपदा पर टीपीएफ के कार्य समूहों को सक्रिय करना तथा लाभकारी तरीके से पारस्परिक चिंता के मुद्दों का समाधान करना।
    • साथ ही अतिरिक्त बाज़ार तक पहुँच स्थापित करने जैसे मुद्दों को हल करके दोनों देशों को ठोस लाभ प्रदान करना है।
  • फोरम की मुख्य विशेषताएँ:
    • म्युचुअल मार्केट एक्सेस: फोरम ने भारत से अमेरिकी बाज़ार तक पहुँच की सुविधा के लिये एक समझौते के तहत कई कृषि एवं पशु उत्पादों हेतु भारतीय बाज़ार में समान पहुँच के लिये पारस्परिक रूप से फैसला लिया है।
    • GSP की बहाली: भारत ने अमेरिका से सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली (जनरलाइज़्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस-GSP) के लाभों की बहाली की मांग की है।
    • समग्रता समझौता: फोरम दोनों पक्षों के श्रमिकों के हित में सामाजिक सुरक्षा संरक्षण के समन्वय के लिये "समग्रता समझौते" (Totalization Agreement) पर बातचीत करने पर भी सहमत हुआ। 
      • टोटलाइज़ेशन एग्रीमेंट दो देशों के बीच समान आय के लिये दोहरी सामाजिक सुरक्षा योगदान को रोकने वाला एक समझौता है।
      • यह दोनों देशों के श्रमिकों को अपनी सेवानिवृत्ति की बचत को स्थानांतरित करने की अनुमति देगा, जिसकी कमी विशेष रूप से यू.एस. में भारतीय IT श्रमिकों को प्रभावित करती है।
    • नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली की ओर: भारत और अमेरिका ने बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं और लोकतंत्रों के बीच एक पारदर्शी, नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली के साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये विश्व व्यापार संगठन (WTO) एवं जी20 सहित विभिन्न बहुपक्षीय व्यापार निकायों में भागीदारी पर भी चर्चा की।
    • इथेनॉल आपूर्ति: अमेरिका ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल सम्मिश्रण के अपने लक्ष्य के लिये भारत को इथेनॉल की आपूर्ति में रुचि दिखाई।
    • फार्मा सहयोग: दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सुरक्षित फार्मास्यूटिकल निर्माण आधार और जोखिम रहित वैश्विक आपूर्ति शृंखला विकसित करने में सहयोग के साथ साझेदारी का निर्णय लिया।
    • सर्विस फ्रंट (Services Front): फोरम ने उन तरीकों पर चर्चा की जिसमें कानूनी, नर्सिंग व लेखा सेवाएँ व्यापार तथा निवेश में वृद्धि की सुविधा प्रदान कर सकती हैं और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवाओं एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था पर एक साथ काम करने की मांग की।
    • महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग: दोनों देश साइबर स्पेस, सेमी-कंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और भविष्य की पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी जैसी महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के महत्त्व को पहचानते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन: दोनों देशों ने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के दृष्टिकोणों पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जैसा कि भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी में सहमति व्यक्त की गई थी।

आगे की राह

  • टैरिफ हटाने की पहल: संभावित सौदे की दिशा में भारत के लिये पहला कदम पहल करना और एकतरफा अपने प्रतिशोधी शुल्क को हटाने पर विचार करना है। यह व्यापार वार्ता में एक रचनात्मक पक्षकार बनने के इच्छुक भारत का प्रतिनिधित्व करेगा।
    • भले ही अमेरिका की प्रतिबद्धता के बिना टैरिफ हटाना विश्वास में बढ़ोतरी है, यह अंततः द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के लिये फायदेमंद होगा।
  • चीन का मुकाबला करना: रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिये चीन का मुकाबला करने का एक उपाय यही है कि भारत अपने उन भागीदारों के साथ व्यापार संबंधों को गहन करे जिन्होंने भारत के विकास का समर्थन करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की है।   
    • अमेरिका के साथ समझौता करना भारत के लिये रणनीतिक और आर्थिक दोनों रूप से लाभप्रद होगा। 
    • चूँकि अमेरिकी कंपनियाँ अपनी कुछ विनिर्माण गतिविधियों को चीन से बाहर स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं, एक जीवंत व्यापार रणनीति, उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं को पूरकता प्रदान कर विनिर्माण एवं निर्यात दोनों को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।  
  • डिजिटल विकास को सुगम बनाना: डिजिटल क्षेत्र (जो 100 बिलियन डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है) में विकास को बढ़ावा देने के लिये दोनों पक्षों को कई मूलभूत मुद्दों- डिजिटल सेवा कर, सीमा पार डेटा प्रवाह, साझा सेलुलर मानक आदि को संबोधित करने की आवश्यकता होगी।  
    • यह महत्त्वपूर्ण है कि डिजिटल सेवा कर के मामले में भारत उभरते वैश्विक समझौतों के साथ अनुकूलता लाए, जिससे व्यापार में तेज़ी आएगी।  

स्रोत: द हिंदू

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