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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार

  • 03 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों:

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 'मेक इन इंडिया' अभियान के माध्यम से आयात प्रतिस्थापन पर भारत का हालिया ज़ोर भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के सामने कई चुनौतियों में से एक है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार:

    • वर्ष 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका उन देशों में से एक है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।
    • अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष वर्ष 2018-19 के 16.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 17.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • सेवाओं के आयात के मामले में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता था।
    • भारत का वृहद् बाज़ार, आर्थिक विकास और विकास की दिशा में प्रोन्नति आदि स्थितियाँ इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्यातकों के लिये एक आवश्यक बाज़ार के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
  • व्यापार से संबंधित मुद्दे:

    • टैरिफ: दोनों देश टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं के साथ ही विदेशी कंपनियों को हानि पहुँचाने वाली कई प्रथाओं और नियमों के साथ बाज़ार को नियंत्रित करते हैं।
    • सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली (Generalized System of Preferences- GSP): अमेरिका ने जून 2019 से GSP कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों को मिलने वाले शुल्क मुक्त लाभ को वापस लेने का फैसला किया।
    • सेवाएँ: भारत के लिये एक प्रमुख समस्या अमेरिका की अस्थायी वीज़ा नीतियाँ हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने वाले भारतीय नागरिकों को प्रभावित करती हैं।
      • भारत दोनों देशों में कार्य करने वाले श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा संरक्षण के समन्वय के लिये एक "समग्रीकरण समझौते" की तलाश में है।
    • कृषि: भारत में ‘सैनिटरी और फाइटोसैनेटरी’ (SPS) बाधाएँ संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि निर्यात को सीमित करती हैं।
      • प्रत्येक पक्ष दूसरे के कृषि समर्थन कार्यक्रमों को बाज़ार विकृति के रूप में भी देखता है।
    • बौद्धिक संपदा: नवाचार को प्रोत्साहित करने और अन्य नीतिगत लक्ष्यों, जैसे-दवाओं तक पहुँच स्थापित करना आदि नियमों को संतुलित करने के लिये दोनों देशों के बौद्धिक संपदा संरक्षण नियम अलग-अलग हैं।
    • भारत वर्ष 2020 में पेटेंट, विभिन्न प्रतिबंध दरों और व्यापार संरक्षण की चिंताओं के आधार पर अमेरिका की ‘स्पेशल 301’ रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ पर बना हुआ है।
    • अनिवार्य स्थानीयकरण: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर इसकी अनिवार्य स्थानीयकरण प्रथाओं को लेकर दवाब बनाता रहता है।
      • देश में डेटा भंडारण, घरेलू सामग्री (जैसे भारत के सौर क्षेत्र की रक्षा करने वाले कानून) और कुछ क्षेत्रों में घरेलू परीक्षण की आवश्यकताओं को बढ़ावा देने वाली विभिन्न विनिर्माण और रोज़गार आधारित पहलें।
      • इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवा आपूर्तिकर्त्ताओं जैसे- मास्टर कार्ड, वीज़ा आदि के लिये भारत की नई डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताएँ।
    • निवेश: निवेश बाधाओं के बारे में अमेरिका की चिंताएँ अभी भी बनी हुई हैं, ऐसे में नए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे- अमेज़ॅन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट के व्यवसाय पर नए भारतीय प्रतिबंध बढाए गए हैं।
    • रक्षा व्यापार: अमेरिका भारत की रक्षा ऑफसेट नीति और रक्षा क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में अधिक सुधारों का आग्रह करता है।

सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली (GSP):

  • सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है जिसे 129 लाभार्थी देशों और क्षेत्रों के 4,800 उत्पादों के लिये प्राथमिकता आधारित शुल्क मुक्त प्रविष्टि प्रदान कर विकासशील दुनिया में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु बनाया गया है।
  • 1 जनवरी, 1976 को वर्ष 1974 के व्यापार अधिनियम के तहत GSP की स्थापना की गई थी।

आगे की राह:

  • दोनों देशों में विशेष रूप से चीन विरोधी भावना बढ़ने के कारण द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की बहुत अधिक संभावना है।
  • इस प्रकार वार्ताओं को विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं और बाज़ार पहुँच संबंधी सुधारों पर केंद्रित करना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू

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